नई दिल्ली: एलएनजेपी, एम्स और लेडी हार्डिंग अस्पताल में ट्रू -नेट मशीन से कोविड-19 संक्रमित मरीजों की जांच की जा रही है. अभी तक इस मशीन से टीबी के संक्रमण का पता लगाया जाता था. अब इसका इस्तेमाल कोविड-19 के मरीजों का टेस्ट करने में भी होने लगा है. इस मशीन से टेस्ट की रिपोर्ट के लिए दो दिनों तक इंतजार भी नहीं करना पड़ता है. फटाफट एक घंटे के भीतर ही रिपोर्ट आ जाती है. वो भी पूरी एक्यूरेसी के साथ.
ट्रू -नेट मशीन से कोरोना टेस्टिंग
जब किसी मरीज के ऊपर कोई डॉक्टर मेडिकल प्रोसीजर कर रहा हो और वो कोविड-19 सस्पेक्ट है. तो ऐसे मरीजों के तत्काल कोविड जांच के लिए टीबी मशीन का प्रयोग किया जा सकता है. सिर्फ एक घंटे में ही रिपोर्ट आ जाती है अगर पॉजिटिव है तो उसके साथ अतिरिक्त सुरक्षा के साथ मेडिकल प्रोसीजर किया जा सकता है. जाने-माने माइक्रोबायोलॉजिस्ट और साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉ नरेंद्र सैनी ने बताया कि अभी कोरोना टेस्टिंग के दो तरीके अपनाए जा रहे हैं. एक तो पारंपरिक पीसीआर के जरिए और दूसरा कॉर्पोरेट बेस टेक्नोलॉजी के जरिए. लेकिन इसी बीच आईसीएमआर ने एक और टेस्टिंग मेथड की अनुमति दी है. वो है ट्रू -नेट मशीन से टेस्टिंग. इस मशीन से टीबी की जांच पहले से ही की जा रही है. अच्छी बात ये है कि इससे रिजल्ट 1 घंटे के भीतर ही मिल जाता है.
बैट्री से भी हो सकती हैं संचालित
डॉ. सैनी बताते हैं कि कोविड-19 इंफेक्शन बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. इस अनुपात में लोगों की जांच नहीं हो पा रही है. सिर्फ 20 फीसदी उन मरीजों के ही जांच हो पा रही हैं, जिनमें लक्षण दिखाई देते हैं. पीसीआर किट्स की कमी भी बड़े पैमाने पर जांच के आड़े आ रहा है. ट्रू-नेट मशीन की अच्छी बात ये है कि ये स्वदेशी है और इसे बैट्री से भी संचालित किया जा सकता है. जहां बिजली की सुविधा नहीं है. वहां इस मशीन की मदद से जांच की जा सकती है. एक छोटी-सी ट्रेनिंग देकर इस मशीन से जांच के लिये किसी को भी तैयार किया जा सकता है.
बायोमेडिकल वेस्ट डिस्पोजल की व्यवस्था होनी चाहिए
डॉ. सैनी बताते हैं कि छोटे पैमाने पर इस मशीन से जांच की जा सकती है. इसकी अपनी एक सीमा है. भारत में जो मौजूदा समय में ट्रू-नेट मशीनें हैं. उनसे एक बार में सिर्फ 4 सैंपल की ही जांच की जा सकती है. सबसे अहम सवाल ये भी है कि इससे होने वाले बायो वेस्ट को अच्छे से डिस्पोज ऑफ करने की भी व्यवस्था होनी चाहिये. 50-60 मिनट में ही ये पता चल जाता है कि कोरोना है या नहीं.
डॉ. सैनी के मुताबिक इस मशीन की अपनी सीमाएं हैं. इससे सिर्फ उन्हीं मरीजों की जांच की जा सकती है, जिनमें कोविड का कोई लक्षण दिख रहा हो. इसलिए सिर्फ इमरजेंसी वाले उन मरीजों की जांच की जानी चाहिए जिनमें लक्षण हों. कोविड-19 सस्पेक्ट डेथ केस में भी इस मशीन में जांच की जा सकती है.