नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय की पहली कट ऑफ लिस्ट इस बार पिछली बार से बढ़कर 99 फ़ीसदी तक पहुंच गई है. हिंदू कॉलेज ने पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स के लिए 99 फ़ीसदी की कट ऑफ लिस्ट जारी की है.
हर बार दिल्ली विश्वविद्यालय की कट ऑफ लिस्ट बढ़ती जाती है, जिसका विरोध छात्रों द्वारा होता है. इसी मामले पर दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में तमाम सरकारी स्कूल के छात्रों ने विरोध दर्ज कराया है.
इसलिए कटऑफ जाती है ऊपर
विरोध कर रहे इन छात्रों का आरोप है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में दाखिले के लिए कट ऑफ लिस्ट हर बार बढ़ जाती है. इसके पीछे का कारण कॉलेजों में सीटों की कमी है. इसी कारण कट ऑफ लिस्ट इतनी ऊपर रखी जाती है. नतीजा यह है कि सरकारी स्कूल के छात्रों को किसी भी कॉलेज में दाखिला नहीं मिल पाता क्योंकि 90 या 99 तक नंबर लाना बहुत बड़ी बात होती है और ऐसे में कट ऑफ को बीट कर पाना मुश्किल होता है.
पास होने का क्राइटेरिया 33 फ़ीसदी क्यों?
पटेल नगर के सर्वोदय विद्यालय से पढ़कर 66 फ़ीसदी लाने वाले प्रवीण बताते हैं कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स करना चाहते हैं लेकिन उसके लिए 99 फ़ीसदी कट ऑफ पहुंची है.
उनका कहना था जब पास होने का क्राइटेरिया 33 फ़ीसदी रखा गया है तो दाखिले के लिए 90 फ़ीसदी से ज़्यादा अंक क्यों रखे जाते हैं?
पहली कटऑफ के बाद ही सीटें भर जाती हैं
कटऑफ को लेकर छात्रों का यही कहना था कि जो 70 फ़ीसदी नंबर लाने वाले छात्र हैं अगर वह दूसरी, तीसरी कटऑफ का वेट करते हैं. तब तक कॉलेजों में सीट भर जाती है और यही कारण है कि पहली कट ऑफ इतनी ऊपर रखी जाती है.
छात्रों का प्रशासन से सवाल था कि देश में मॉल और शॉपिंग कंपलेक्स की संख्या बढ़ाई जा रही है लेकिन वहीं सरकार कॉलेजों की संख्या क्यों नहीं बढ़ा रही?