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DU एडमिशन: हाई कट ऑफ का सरकारी स्कूल के छात्रों ने किया विरोध

दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में सरकारी स्कूल के छात्रों ने हाई कट ऑफ को लेकर विरोध दर्ज कराया है. इन छात्रों का आरोप है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में दाखिले के लिए कट ऑफ लिस्ट हर बार बढ़ जाती है.

डीयू में हाई कट ऑफ को लेकर सरकारी स्कूल के छात्रों ने किया विरोध
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Published : Jul 1, 2019, 8:27 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय की पहली कट ऑफ लिस्ट इस बार पिछली बार से बढ़कर 99 फ़ीसदी तक पहुंच गई है. हिंदू कॉलेज ने पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स के लिए 99 फ़ीसदी की कट ऑफ लिस्ट जारी की है.

हर बार दिल्ली विश्वविद्यालय की कट ऑफ लिस्ट बढ़ती जाती है, जिसका विरोध छात्रों द्वारा होता है. इसी मामले पर दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में तमाम सरकारी स्कूल के छात्रों ने विरोध दर्ज कराया है.

डीयू में हाई कट ऑफ को लेकर सरकारी स्कूल के छात्रों ने किया विरोध

इसलिए कटऑफ जाती है ऊपर
विरोध कर रहे इन छात्रों का आरोप है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में दाखिले के लिए कट ऑफ लिस्ट हर बार बढ़ जाती है. इसके पीछे का कारण कॉलेजों में सीटों की कमी है. इसी कारण कट ऑफ लिस्ट इतनी ऊपर रखी जाती है. नतीजा यह है कि सरकारी स्कूल के छात्रों को किसी भी कॉलेज में दाखिला नहीं मिल पाता क्योंकि 90 या 99 तक नंबर लाना बहुत बड़ी बात होती है और ऐसे में कट ऑफ को बीट कर पाना मुश्किल होता है.

पास होने का क्राइटेरिया 33 फ़ीसदी क्यों?
पटेल नगर के सर्वोदय विद्यालय से पढ़कर 66 फ़ीसदी लाने वाले प्रवीण बताते हैं कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स करना चाहते हैं लेकिन उसके लिए 99 फ़ीसदी कट ऑफ पहुंची है.

उनका कहना था जब पास होने का क्राइटेरिया 33 फ़ीसदी रखा गया है तो दाखिले के लिए 90 फ़ीसदी से ज़्यादा अंक क्यों रखे जाते हैं?

पहली कटऑफ के बाद ही सीटें भर जाती हैं
कटऑफ को लेकर छात्रों का यही कहना था कि जो 70 फ़ीसदी नंबर लाने वाले छात्र हैं अगर वह दूसरी, तीसरी कटऑफ का वेट करते हैं. तब तक कॉलेजों में सीट भर जाती है और यही कारण है कि पहली कट ऑफ इतनी ऊपर रखी जाती है.

छात्रों का प्रशासन से सवाल था कि देश में मॉल और शॉपिंग कंपलेक्स की संख्या बढ़ाई जा रही है लेकिन वहीं सरकार कॉलेजों की संख्या क्यों नहीं बढ़ा रही?

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय की पहली कट ऑफ लिस्ट इस बार पिछली बार से बढ़कर 99 फ़ीसदी तक पहुंच गई है. हिंदू कॉलेज ने पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स के लिए 99 फ़ीसदी की कट ऑफ लिस्ट जारी की है.

हर बार दिल्ली विश्वविद्यालय की कट ऑफ लिस्ट बढ़ती जाती है, जिसका विरोध छात्रों द्वारा होता है. इसी मामले पर दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में तमाम सरकारी स्कूल के छात्रों ने विरोध दर्ज कराया है.

डीयू में हाई कट ऑफ को लेकर सरकारी स्कूल के छात्रों ने किया विरोध

इसलिए कटऑफ जाती है ऊपर
विरोध कर रहे इन छात्रों का आरोप है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में दाखिले के लिए कट ऑफ लिस्ट हर बार बढ़ जाती है. इसके पीछे का कारण कॉलेजों में सीटों की कमी है. इसी कारण कट ऑफ लिस्ट इतनी ऊपर रखी जाती है. नतीजा यह है कि सरकारी स्कूल के छात्रों को किसी भी कॉलेज में दाखिला नहीं मिल पाता क्योंकि 90 या 99 तक नंबर लाना बहुत बड़ी बात होती है और ऐसे में कट ऑफ को बीट कर पाना मुश्किल होता है.

पास होने का क्राइटेरिया 33 फ़ीसदी क्यों?
पटेल नगर के सर्वोदय विद्यालय से पढ़कर 66 फ़ीसदी लाने वाले प्रवीण बताते हैं कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स करना चाहते हैं लेकिन उसके लिए 99 फ़ीसदी कट ऑफ पहुंची है.

उनका कहना था जब पास होने का क्राइटेरिया 33 फ़ीसदी रखा गया है तो दाखिले के लिए 90 फ़ीसदी से ज़्यादा अंक क्यों रखे जाते हैं?

पहली कटऑफ के बाद ही सीटें भर जाती हैं
कटऑफ को लेकर छात्रों का यही कहना था कि जो 70 फ़ीसदी नंबर लाने वाले छात्र हैं अगर वह दूसरी, तीसरी कटऑफ का वेट करते हैं. तब तक कॉलेजों में सीट भर जाती है और यही कारण है कि पहली कट ऑफ इतनी ऊपर रखी जाती है.

छात्रों का प्रशासन से सवाल था कि देश में मॉल और शॉपिंग कंपलेक्स की संख्या बढ़ाई जा रही है लेकिन वहीं सरकार कॉलेजों की संख्या क्यों नहीं बढ़ा रही?

Intro:28 जून को दिल्ली विश्वविद्यालय की पहली कट ऑफ लिस्ट जारी हो गई और इस बार कट ऑफ लिस्ट पिछली बार से बढ़कर 99 फ़ीसदी तक पहुंची, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज ने पॉलीटिकल साइंस ऑनर्स के लिए 99 फ़ीसदी की कट ऑफ लिस्ट जारी की, वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय की कट ऑफ लिस्ट हर बार बढ़ती है जिसका कई छात्र भी विरोध करते हैं इसी को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में तमाम सरकारी स्कूल के छात्रों ने विरोध दर्ज कराया.


Body:सीटों की कमी के कारण कटऑफ जाती है ऊपर
विरोध कर रहे छात्रों का आरोप है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में दाखिले के लिए कट ऑफ लिस्ट हर बार बढ़ती है और इसके पीछे का कारण कॉलेजों में सीटों की कमी होती है इसी कारण कट ऑफ लिस्ट इतनी ऊपर रखी जाती है नतीजा यह निकलता है कि हम सरकारी स्कूल के छात्रों को किसी भी कॉलेज में दाखिला नहीं मिल पाता, 90 या 99 तक नंबर लाना बहुत बड़ी बात होती है और ऐसे में कट ऑफ को बीट कर पाना मुश्किल होता है ऐसे में हमें किसी भी कॉलेज में दाखिला नहीं मिल पाता,

पास होने का क्राइटेरिया 33 फ़ीसदी क्यों?
पटेल नगर के सर्वोदय विद्यालय से पढ़कर 66 फ़ीसदी लाने वाले प्रवीण बताते हैं की वह दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज से पॉलीटिकल साइंस ऑनर्स करना चाहते हैं लेकिन उसके लिए 19 फ़ीसदी कटऑफ पहुंची है ऐसे में दिल्ली विश्वविद्यालय की कटऑफ को देखकर तो मानो यह लग रहा है कि उन्हें किसी भी कॉलेज में किसी भी विषय पर दाखिला नहीं मिलेगा, उनका कहना था जब पास होने का क्राइटेरिया 33 फ़ीसदी रखा गया है तो दाखिले के लिए 90 फ़ीसदी से ज़्यादा अंक क्यों रखे जाते हैं

पहली कटऑफ के बाद ही सीटें भर जाती हैं
जब हम ने छात्रों से बात की तो छात्रों का यही कहना था कि जो 70 फ़ीसदी नंबर लाने वाले छात्र हैं अगर वह दूसरी तीसरी कटऑफ का वेट करते हैं तब तक कॉलेजों में सीट भर जाती है और कारण यही है कि पहली कटऑफ इतनी हाय रखी जाती है किसी से भर जाए सीटों की कमी के कारण ही कटऑफ को ऊपर रखा जाता है


छात्रों का प्रशासन से सवाल था कि देश में मॉल और शॉपिंग कंपलेक्स की संख्या बढ़ाई जा रही है लेकिन वहीं सरकार कॉलेजों की संख्या क्यों नहीं बढ़ा रही दिल्ली विश्वविद्यालय में कॉलेज की संख्या क्यों नहीं बढ़ाई जा रही है और अगर संख्या है तो उनमें सीटें चुनिंदा क्यों है


Conclusion:नहीं मिलता किसी कॉलेज में दाखिला
नॉर्थ कैंपस में आर्ट फैकेल्टी के सामने इकट्ठा होकर सभी सरकारी स्कूलों के छात्रों का सिर्फ यही सवाल था कि आखिर कट ऑफ कितनी ऊपर क्यों रखी जाती है हर छात्र 90 या उससे ज्यादा फ़ीसदी अंक नहीं डाल सकता इसका मतलब कि क्या वह दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज में पढ़ने योग्य नहीं है जब 12वीं तक पढ़ने के लिए पास होने का क्राइटेरिया 33 फ़ीसदी रखा गया है तो कॉलेज में पढ़ने के लिए 90 फ़ीसदी तक नंबर लाना क्यों आवश्यक है
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