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5 साल की बच्ची को दर दर लेकर भटकी मां, बच्ची की हुई मौत

लॉकडाउन के दौरान नेब सराय स्थित राजू पार्क में एक बच्ची की मौत हो गई है. बच्ची की अस्पताल में मौत हो गई. मृत बच्ची की मां ने मालवीय नगर और सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर पर कौम और मरकज को लेकर बच्ची का सही इलाज नहीं करने का लगाया आरोप.

girl death in lockdown
लॉकडाउन में बच्ची की मौत
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Published : Apr 17, 2020, 9:21 PM IST

Updated : Apr 17, 2020, 9:28 PM IST

नई दिल्ली: साउथ दिल्ली में दिल को कचोटने वाली खबर सामने आई है. लॉकडाउन के दौरान नेब सराय स्थित राजू पार्क में एक बच्ची की मौत हो गई है. बच्ची की अस्पताल में मौत हो गई. मृत बच्ची की मां ने मालवीय नगर और सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर पर कौम और मरकज को लेकर बच्ची का सही इलाज नहीं करने का लगाया आरोप.

परिजनों ने लगाया अस्पतालों पर लापरावाही का आरोप

लगाए 5 अस्पतालों के चक्कर

दरअसल मौत से 15 दिन पहले बीमार बच्ची का परिजनों ने स्थानीय मदन मोहन मालवीय हॉस्पिटल से इलाज शुरू करवाया. एक सप्ताह से ज्यादा घर से अस्पताल इलाज कराने के बाद मालवीय नगर अस्पताल ने बच्ची को हॉस्पिटल में भर्ती कर लिया. जिसके बाद 5 दिन से ज्यादा ट्रीटमेंट करने के बाद हालात खराब होते ही डॉक्टर ने उसे सफदरजंग रेफर कर दिया. उसके बाद लगातार 5 अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद आखिकार सफदरजंग अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में बच्ची की मौत हो गयी. मृत बच्ची की मां ने मालवीय नगर और सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर पर कौम और मरकज को लेकर बच्ची का सही इलाज नहीं करने का लगाया आरोप.

तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती किया

पांच साल की मृत अलीना जो अब अपनी मां की गोद को सुनी कर इस दुनिया से चल बसी. अलीना पास के विद्या पब्लिक प्ले स्कूल में पढ़ती थी. मृत बच्ची अलीना और उसका पूरा परिवार साउथ दिल्ली के नेब सराय थाना स्थित राजू पार्क में रहता है. पिता पेशे से वैल्डिंग (मजदूरी) करते हैं. मृत बच्ची के मां ने बताया कि मार्च महीने के अंतिम दिनों ने बच्ची को बुखार आया था. तो हमने आसपास के डॉक्टर से उसका चेकअप कराया. लेकिन बच्ची 3 दिनों बाद भी ठीक नहीं हुई. तो परिजन उसे थोड़ी दूर मदन मोहन मालवीय हॉस्पिटल में इलाज के लिए लेकर पहुंचे.

मदन मोहन मालवीय अस्पताल में शुरू हुआ इलाज

जिसके बाद डॉक्टर साहब ने बच्ची का चेकअप किया और टेस्ट करवाने को कहा. टेस्ट करवाने के बाद रिपोर्ट देखकर डॉक्टर ने दवाई लिख दी और घर पर ही रह कर बच्ची का ख्याल रखने के लिए कहा. बच्ची की मां ने बताया कि कई दिन दवाईंया चलती रही साथ में बीच-बीच अस्पताल में चेकअप करवाते रहे. डॉक्टर दवाई लिखते रहे. उसके कुछ दिन बाद डॉक्टर ने बच्ची को अस्पताल में भर्ती कर लिया. बच्ची का मदन मोहन मालवीय अस्पताल में इलाज शुरू हुआ. 13 तारीख को बच्ची की तबीयत ज्यादा खराब होने पर अस्पताल ने बच्ची को सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया


सफदरजंग अस्पताल में रेफर किया

सफदरजंग अस्पताल से लाडो सराय टीबी अस्पताल रेफर कर दिया. वहां पहुंचा तो उन्होंने कलावती हॉस्पिटल वहां से आरएमएल अस्पताल और वहां से एम्स और वहां कुछ देर रुकने के बाद वापस सफदरजंग अस्पताल ही भेज दिया गया. जिसके अगले दिन बच्ची की मौत हो गयी.

परिजनों का अस्पतालों पर लापरवाही का आरोप

परिजनों का कहना है कि उनकी बच्ची को सिर्फ बुखार था और उन्होंने यहां से वहां दौड़ा-दौड़ा कर मेरी प्यारी बच्ची को मौत के मुंह में पहुंचा दिया. बच्ची की मां ने अस्पताल प्रशासन (ड्यूटी) पर मौजूद डॉक्टर पर आरोप लगाते हुए कहा कि मदन मोहन मालवीय अस्पताल में सभी बार-बार पूछ रहे थे नाम क्या है. नाम बताने पर कौम जानकर बार-बार यही पूछते कही मरकज में तो नहीं गया था. कोई या तुम्हारे घर मिलने आया हो. एक मां का सवाल है कि हम एक मुस्लिम थे. इसलिए मेरी बच्ची का इलाज सही से इलाज नहीं हुआ. जिसके कारण आज वो हमारे बीच नहीं है.


एडीएम ने दिया जांच का आदेश

जब इस मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम इलाके के एडीएम अरुण गुप्ता, DANICS के पास पहुंची, तो उन्होंने इस मामले की जानकारी मिलने की बात की. उन्होंने कहा कि वो तुरंत सीडीएमओ (CDMO) और डीएसओ(DSO) से इस मामले की तफ्तीश करने का आदेश देंगे और जल्द ही पूरे मामले की जानकारी मिलते ही मीडिया के सामने रखेंगे. उन्होंने कहा कि जब बच्ची को एडमिट किया गया. क्या बीमारी थी. क्या-क्या दवाईंया चली. क्यों उसकी मौत हुई. सब जांच के बाद पता चलेगा. उन्होंने कहा कि अभी जो ये कोरोना संक्रमण है. उसके एक दूसरे से संपर्क आने के बाद फैल रहा है. इसमें किसी जाति धर्म पर कुछ कहना सही नहीं है. जांच के बाद पता चलेगा.


विधायक ने दिया आश्वासन

इस मामले की जानकारी पर स्थानीय विधायक अजय दत्त ने बच्ची के परिवार के प्रति संवेदना जाहिर करते हुए सभी तरह से उनका सहयोग करने का दावा किया है. साथ कहा कि एम्स और सफदरजंग अस्पताल में बच्ची का इलाज सही तरीके क्यों नही हुआ इसकी जांच जरूर कराएंगे. अभी जो स्थित है कोरोना संक्रमण को लेकर उसमें अधिकतर सरकारी अस्पताल सिर्फ कोरोना से जुड़े मरीजों का ही इलाज कर रही है. जिससे हो सकता है कि उस बच्ची को एडमिट नहीं किया गया हो. मामले में स्थानीय अधिकारी एसडीएम से बात कर मामले की जांच करेंगे.

नई दिल्ली: साउथ दिल्ली में दिल को कचोटने वाली खबर सामने आई है. लॉकडाउन के दौरान नेब सराय स्थित राजू पार्क में एक बच्ची की मौत हो गई है. बच्ची की अस्पताल में मौत हो गई. मृत बच्ची की मां ने मालवीय नगर और सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर पर कौम और मरकज को लेकर बच्ची का सही इलाज नहीं करने का लगाया आरोप.

परिजनों ने लगाया अस्पतालों पर लापरावाही का आरोप

लगाए 5 अस्पतालों के चक्कर

दरअसल मौत से 15 दिन पहले बीमार बच्ची का परिजनों ने स्थानीय मदन मोहन मालवीय हॉस्पिटल से इलाज शुरू करवाया. एक सप्ताह से ज्यादा घर से अस्पताल इलाज कराने के बाद मालवीय नगर अस्पताल ने बच्ची को हॉस्पिटल में भर्ती कर लिया. जिसके बाद 5 दिन से ज्यादा ट्रीटमेंट करने के बाद हालात खराब होते ही डॉक्टर ने उसे सफदरजंग रेफर कर दिया. उसके बाद लगातार 5 अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद आखिकार सफदरजंग अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में बच्ची की मौत हो गयी. मृत बच्ची की मां ने मालवीय नगर और सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर पर कौम और मरकज को लेकर बच्ची का सही इलाज नहीं करने का लगाया आरोप.

तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती किया

पांच साल की मृत अलीना जो अब अपनी मां की गोद को सुनी कर इस दुनिया से चल बसी. अलीना पास के विद्या पब्लिक प्ले स्कूल में पढ़ती थी. मृत बच्ची अलीना और उसका पूरा परिवार साउथ दिल्ली के नेब सराय थाना स्थित राजू पार्क में रहता है. पिता पेशे से वैल्डिंग (मजदूरी) करते हैं. मृत बच्ची के मां ने बताया कि मार्च महीने के अंतिम दिनों ने बच्ची को बुखार आया था. तो हमने आसपास के डॉक्टर से उसका चेकअप कराया. लेकिन बच्ची 3 दिनों बाद भी ठीक नहीं हुई. तो परिजन उसे थोड़ी दूर मदन मोहन मालवीय हॉस्पिटल में इलाज के लिए लेकर पहुंचे.

मदन मोहन मालवीय अस्पताल में शुरू हुआ इलाज

जिसके बाद डॉक्टर साहब ने बच्ची का चेकअप किया और टेस्ट करवाने को कहा. टेस्ट करवाने के बाद रिपोर्ट देखकर डॉक्टर ने दवाई लिख दी और घर पर ही रह कर बच्ची का ख्याल रखने के लिए कहा. बच्ची की मां ने बताया कि कई दिन दवाईंया चलती रही साथ में बीच-बीच अस्पताल में चेकअप करवाते रहे. डॉक्टर दवाई लिखते रहे. उसके कुछ दिन बाद डॉक्टर ने बच्ची को अस्पताल में भर्ती कर लिया. बच्ची का मदन मोहन मालवीय अस्पताल में इलाज शुरू हुआ. 13 तारीख को बच्ची की तबीयत ज्यादा खराब होने पर अस्पताल ने बच्ची को सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया


सफदरजंग अस्पताल में रेफर किया

सफदरजंग अस्पताल से लाडो सराय टीबी अस्पताल रेफर कर दिया. वहां पहुंचा तो उन्होंने कलावती हॉस्पिटल वहां से आरएमएल अस्पताल और वहां से एम्स और वहां कुछ देर रुकने के बाद वापस सफदरजंग अस्पताल ही भेज दिया गया. जिसके अगले दिन बच्ची की मौत हो गयी.

परिजनों का अस्पतालों पर लापरवाही का आरोप

परिजनों का कहना है कि उनकी बच्ची को सिर्फ बुखार था और उन्होंने यहां से वहां दौड़ा-दौड़ा कर मेरी प्यारी बच्ची को मौत के मुंह में पहुंचा दिया. बच्ची की मां ने अस्पताल प्रशासन (ड्यूटी) पर मौजूद डॉक्टर पर आरोप लगाते हुए कहा कि मदन मोहन मालवीय अस्पताल में सभी बार-बार पूछ रहे थे नाम क्या है. नाम बताने पर कौम जानकर बार-बार यही पूछते कही मरकज में तो नहीं गया था. कोई या तुम्हारे घर मिलने आया हो. एक मां का सवाल है कि हम एक मुस्लिम थे. इसलिए मेरी बच्ची का इलाज सही से इलाज नहीं हुआ. जिसके कारण आज वो हमारे बीच नहीं है.


एडीएम ने दिया जांच का आदेश

जब इस मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम इलाके के एडीएम अरुण गुप्ता, DANICS के पास पहुंची, तो उन्होंने इस मामले की जानकारी मिलने की बात की. उन्होंने कहा कि वो तुरंत सीडीएमओ (CDMO) और डीएसओ(DSO) से इस मामले की तफ्तीश करने का आदेश देंगे और जल्द ही पूरे मामले की जानकारी मिलते ही मीडिया के सामने रखेंगे. उन्होंने कहा कि जब बच्ची को एडमिट किया गया. क्या बीमारी थी. क्या-क्या दवाईंया चली. क्यों उसकी मौत हुई. सब जांच के बाद पता चलेगा. उन्होंने कहा कि अभी जो ये कोरोना संक्रमण है. उसके एक दूसरे से संपर्क आने के बाद फैल रहा है. इसमें किसी जाति धर्म पर कुछ कहना सही नहीं है. जांच के बाद पता चलेगा.


विधायक ने दिया आश्वासन

इस मामले की जानकारी पर स्थानीय विधायक अजय दत्त ने बच्ची के परिवार के प्रति संवेदना जाहिर करते हुए सभी तरह से उनका सहयोग करने का दावा किया है. साथ कहा कि एम्स और सफदरजंग अस्पताल में बच्ची का इलाज सही तरीके क्यों नही हुआ इसकी जांच जरूर कराएंगे. अभी जो स्थित है कोरोना संक्रमण को लेकर उसमें अधिकतर सरकारी अस्पताल सिर्फ कोरोना से जुड़े मरीजों का ही इलाज कर रही है. जिससे हो सकता है कि उस बच्ची को एडमिट नहीं किया गया हो. मामले में स्थानीय अधिकारी एसडीएम से बात कर मामले की जांच करेंगे.

Last Updated : Apr 17, 2020, 9:28 PM IST
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