नई दिल्ली : भारत में ब्लड कैंसर से पीड़ित लोगों को इलाज के रूप में कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन कराने वाले ज्यादातर मरीजों को आसानी से मैचिंग डोनर नहीं मिल पाते हैं. 10 लाख में से एक ही व्यक्ति ऐसा निकलता है, जो मैचिंग डोनर के तौर पर सामने आकर मरीज की मदद कर पाता है. इस ट्रीटमेंट से मरीज की हालत में बेहतर सुधार आ सकता है, लेकिन एक मैचिंग डोनर का मिलना सबसे कठिन काम होता है. इसके कारण ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीजों की मौत हो जाती है.
ब्लड कैंसर के खिलाफ संघर्षरत एक गैर-सरकारी संगठन डिकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन इंडिया की तरफ से वर्ल्ड ब्लड कैंसर डे’ के पहले आयोजित एक कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने भारत में ब्लड स्टेम सेल डोनेशन पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया. साथ ही स्टेम स्टेल डोनेशन को बढ़ावा देने पर जोर दिया. वहीं डोनरों ने लोगों से कहा कि वे सभी उनकी तरह डोनर बनकर डोनरों की संख्या में वृद्धि करने में अपना योगदान दें और लोगों का जीवन बचाने में सहयोग करें.
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट बेहद आवश्यकः ब्लड कैंसर एक एक जानलेवा बीमारी है, जिससे पीड़ित मरीजों की जान बचाने के लिए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट बेहद आवश्यक हो जाता है. यह पीड़ित मरीजों को बचाने की आखिरी उम्मीद के तौर पर काम आता है. इन मरीजों में से केवल 30 प्रतिशत मरीज ही ऐसे होते हैं, जिन्हें ट्रांसप्लांट के लिए अपने परिवारों के भीतर ही डोनर मिल जाते हैं.
बाकी 70 प्रतिशत मरीजों को बाहरी व मैचिंग प्रोफाइल वाले लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो उन मरीज़ों और उनके परिवार के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आता है. एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में हर साल तकरीबन 70,000 लोग ब्लड कैंसर के चलते अपनी जान गंवा देते हैं, जबकि स्टेम सेल डोनरों की संख्या लगभग 0.04 प्रतिशत ही है.
दिल्ली में राजीव गांधी कैंसर अस्पताल एवं शोध संस्थान में हेमेटो ऑन्कोलॉजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेंट के तौर पर कार्यरत डॉ. नरेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि भारत में ब्लड कैंसर एक बड़े खतरे के रूप में सामने आया है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है. देश भर में हर साल एक लाख मामले सामने आते हैं. ऐसे में इस घातक बीमारी का प्रभावी ढंग से निपटने के लिये डोनरों का अभाव एक बड़ी चिंता का विषय है. साथ ही पूरी तरह से मैच होने वाले डोनरों का अनुपात भी 1/10 लाख है.
ब्लड कैंसर के इलाज में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट बेहद कारगरः स्वस्थ रक्त कोशिकाओं को प्रभावी ढंग से उपयोग में लाने से स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के जरिए ब्लड कैंसर का प्रभावी रूप से इलाज किया जा सकता है. इससे काफी सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं और कई लोगों की जिंदगियों को बचाने में भी मदद मिली है. हालांकि उपचार के नतीजे मरीज के फिजिकल पर निर्भर करते हैं, लेकिन 60-70% मामलों में ऐसा देखा गया है कि समय रहते मरीज़ों का उपचार करने से उनकी जान बचाने में डॉक्टरों को सफलता मिली है.
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट उपचार की अत्याधुनिक तकनीक के चलते सफलता का प्रतिशत बढ़कर अब लगभग 80% तक हो गया है. ल्यूकिमिया, लिम्फोमा या मल्टिपल मायेलोमा इन सभी बीमारियों में स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन मरीज़ों की हालत में सकरात्मक बदलाव लाता है और स्वस्थ ढंग से रक्त संचार व प्रतिरक्षा प्रणाली के पुनर्निर्माण में सहयोग करता है. लोगों में इस संबंध में जागरुकता फैलाने, डोनर की संख्या में वृद्धि करने और दूसरों की मदद करने के प्रचलन को और बढ़ाने से हम भारत में बड़ी संख्या में ब्लड कैंसर का शिकार होने वाले लोगों की जान को बचा सकते हैं.
ये भी पढ़ें : Heart Attack Research : शोध में वैज्ञानिकों का दावा, हार्ट अटैक होने पर मजबूत पैर वाले मरीजों के लिए खतरा होता है कम