नई दिल्ली: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ के जवान न केवल सरहदों पर अपनी जान की बाजी लगाकर देश की हिफाजत करते हैं, बल्कि मौत के बाद भी अंगदान कर जरूरतमंद लोगों को नई जिंदगी देने का भी काम करते हैं. देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स के ओर्बो के साथ मिलकर सीआरपीएफ के 80,000 जवानों ने मौत के बाद अंगदान करने का संकल्प लेकर एक इतिहास रच दिया है. एक साथ इतनी बड़ी संख्या में पहले कभी भी अंगदान के लिए संकल्प नहीं लिया गया था.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में लिया गया संकल्प
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की मौजूदगी में इस बार अंगदान दिवस के उपलक्ष्य में सीआरपीएफ के लगभग 80,000 जवानों ने अंगदान का संकल्प लिया. आपको बता दें कि सीआरपीएफ देश की सबसे बड़ी पैरामिलिट्री फोर्स है. इस बार अंगदान दिवस के अवसर पर अपने 1,20000 जवानों को अंगदान के लिए प्रेरित किया. इसके पहले अंगदान को लेकर संजीवनी नामक एक ऑर्गन डोनेशन ड्राइव चला गया था.
22 नवंबर को 5 हजार किमी का साईक्लोथोन में भी थे शामिल
अंगदान के प्रति जागरूकता के लिए 22 नवंबर को सीआरपीएफ ने 5000 किमी के साईक्लोथोन में भी हिस्सा लिया था, जिसमें अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक किया गया था. एम्स के ऑर्गन रेट्रीवल बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन की हेड डॉ. आरती विज डॉक्टर आरती विज के मुताबिक, महिला दिवस के मौके पर सीआरपीएफ की एक महिला बटालियन ही थी जिसने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के सामने पहली बार अंगदान की शपथ ली थी.
जवानों को दिया गया ऑर्गन डोनेशन कार्ड
आपको बता दें कि सीआरपीएफ के जवानों को नेशनल ऑर्गन टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन की ओर से ऑर्गन डोनेशन कार्ड भी दिया गया है ताकि किसी भी दुर्घटना होने की स्थिति में उनके शरीर को उनके परिवार तक पहुंचाने से पहले उनके ऑर्गन डोनेट किए जा सकें.
सीआरपीएफ के हर सेक्टर में किया गया था वर्कशॉप का आयोजन
मेगा ऑर्गन डोनेशन कैंपेन की शुरुआत अक्टूबर 2016 में सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल ने तीन लाख सीआरपीएफ के जवानों को ऑर्गन डोनेशन के बारे में अपनी राय बताने को कहा था. इसके लिए सीआरपीएफ के सभी सेक्टर्स में वर्कशॉप आयोजित की गई, जिसके बाद डोनेशन के लिए 80,000 सीआरपीएफ के जवान सामने आए.