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AIIMS में बाल रोग विभाग नई बिल्डिंग में हुई शिफ्ट, 1 जून से यहीं देखे जाएंगे मरीज - DELHI NCR NEWS

दिल्ली AIIMS में पीडियाट्रिक विभाग को नई बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया है. 1 जून से बाल रोग विभाग की ओपीडी नए ओपीडी ब्लॉक में चलेगी. बाल रोग विभाग को मातृ एवं शिशु ब्लॉक में शिफ्ट किया गया है, जिससे बच्चों के इलाज से संबंधित सभी सुविधाएं एक छत के नीचे मिलेंगी.

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Published : May 31, 2023, 8:59 PM IST

नई दिल्ली: एम्स के पीडियाट्रिक (बाल रोग) विभाग की ओपीडी मस्जिद मोठ स्थित नए ओपीडी ब्लॉक में शिफ्ट की गई है. 1 जून से बाल रोग विभाग की ओपीडी नए ओपीडी ब्लॉक में चलेगी. अप्वाइंटमेंट के साथ नए मरीजों को सी विंग के प्रथम तल पर देखा जाएगा. अप्वाइंटमेंट वाले फॉलो अप मरीजों को सेकेंड फ्लोर सी विगं में देखा जाएगा. बिना अप्वाइंटमेंट वाले नए मरीजों को बी विंग के ग्राउंड फ्लोर पर देखा जाएगा. वहीं, बिना अप्लाइंटमेंट फॉलो अप मरीजों को ए विंग के ग्राउ‍ंड फ्लोर पर देखा जाएगा. फैकल्टी के साइन और स्टांप दूसरे फ्लोर पर, ईएचएस रजिस्ट्रेशन 8वें फ्लोर पर किए जाएंगे. इसके अलावा ओएसडी एवं अन्य विशेष साइन (हस्ताक्षर) काउंटर नंबर 23 और 24 पर उपलब्ध होगा.

बाल रोग विभाग को मातृ एवं शिशु ब्लॉक में किया गया शिफ्ट: बाल रोग विभाग को मातृ एवं शिशु ब्लॉक में स्थानांतरित किया गया है. इसके लिए विभाग के डॉक्टरों ने मातृ एवं शिशु ब्लॉक के ढांचे में कुछ आवश्यक तकनीकी बदलाव करने का सुझाव दिया गया था. मातृ एवं शिशु ब्लॉक के ढांचे में आवश्यक बदलाव होने के बाद बाल रोग विभाग भी मातृ एवं शिशु ब्लॉक में स्थानांतरित कर दिया गया है.

बच्चों के इलाज से संबंधित सभी सुविधाएं एक छत के नीचे: नई व्यवस्था से ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचने वाले बच्चों को बेहतर सुविधा मिल पाएगी और बच्चों का इलाज कराने में आसानी होगी. बाल रोग विभाग एम्स के सबसे व्यस्त विभागों में से एक है. इस विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन 400 से 450 बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं. इस वजह से जगह कम पड़ती है और ओपीडी में डॉक्टर से दिखाने के लिए भी मरीजों को घंटों ओपीडी के बाहर इंतजार करना पड़ता है.

इसे भी पढ़ें: साइलेंट किलर की तरह बढ़ रहा है मल्टीपल स्केलेरोसिस, जान लें इसका लक्षण और बचाव के उपाय

मरीजों और तीमारदारों के लिए बैठने की पर्याप्त जगह: नए ओपीडी ब्लॉक में मरीजों और स्वजनों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह है. इसके अलावा नया ओपीडी ब्लॉक में सेंट्रलाइज ऐसी होने के कारण यह पूरी तरह वातानुकूलित है. इस वजह से ओपीडी में इलाज के दौरान विलंब होने पर बच्चे गर्मी के कारण परेशान नहीं होंगे. इससे बच्चों को बड़ी राहत मिलेगी.

इसे भी पढ़ें: Metro Malfunction: जनकपुरी से बॉटैनिकल गार्डन रूट पर मेट्रो में आई खराबी, लोगों को झेलनी पड़ी परेशानी

नई दिल्ली: एम्स के पीडियाट्रिक (बाल रोग) विभाग की ओपीडी मस्जिद मोठ स्थित नए ओपीडी ब्लॉक में शिफ्ट की गई है. 1 जून से बाल रोग विभाग की ओपीडी नए ओपीडी ब्लॉक में चलेगी. अप्वाइंटमेंट के साथ नए मरीजों को सी विंग के प्रथम तल पर देखा जाएगा. अप्वाइंटमेंट वाले फॉलो अप मरीजों को सेकेंड फ्लोर सी विगं में देखा जाएगा. बिना अप्वाइंटमेंट वाले नए मरीजों को बी विंग के ग्राउंड फ्लोर पर देखा जाएगा. वहीं, बिना अप्लाइंटमेंट फॉलो अप मरीजों को ए विंग के ग्राउ‍ंड फ्लोर पर देखा जाएगा. फैकल्टी के साइन और स्टांप दूसरे फ्लोर पर, ईएचएस रजिस्ट्रेशन 8वें फ्लोर पर किए जाएंगे. इसके अलावा ओएसडी एवं अन्य विशेष साइन (हस्ताक्षर) काउंटर नंबर 23 और 24 पर उपलब्ध होगा.

बाल रोग विभाग को मातृ एवं शिशु ब्लॉक में किया गया शिफ्ट: बाल रोग विभाग को मातृ एवं शिशु ब्लॉक में स्थानांतरित किया गया है. इसके लिए विभाग के डॉक्टरों ने मातृ एवं शिशु ब्लॉक के ढांचे में कुछ आवश्यक तकनीकी बदलाव करने का सुझाव दिया गया था. मातृ एवं शिशु ब्लॉक के ढांचे में आवश्यक बदलाव होने के बाद बाल रोग विभाग भी मातृ एवं शिशु ब्लॉक में स्थानांतरित कर दिया गया है.

बच्चों के इलाज से संबंधित सभी सुविधाएं एक छत के नीचे: नई व्यवस्था से ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचने वाले बच्चों को बेहतर सुविधा मिल पाएगी और बच्चों का इलाज कराने में आसानी होगी. बाल रोग विभाग एम्स के सबसे व्यस्त विभागों में से एक है. इस विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन 400 से 450 बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं. इस वजह से जगह कम पड़ती है और ओपीडी में डॉक्टर से दिखाने के लिए भी मरीजों को घंटों ओपीडी के बाहर इंतजार करना पड़ता है.

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मरीजों और तीमारदारों के लिए बैठने की पर्याप्त जगह: नए ओपीडी ब्लॉक में मरीजों और स्वजनों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह है. इसके अलावा नया ओपीडी ब्लॉक में सेंट्रलाइज ऐसी होने के कारण यह पूरी तरह वातानुकूलित है. इस वजह से ओपीडी में इलाज के दौरान विलंब होने पर बच्चे गर्मी के कारण परेशान नहीं होंगे. इससे बच्चों को बड़ी राहत मिलेगी.

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