नई दिल्ली: लोगों में बढ़ते मेकअप और हेयर स्टाइल के चलन को देखते हुए दिल्ली सरकार का अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विभाग उधोग के हिसाब से बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है.
इस बाबत सरकार ने शनिवार को पारपंरिक कला और सैलून के लिए कला केश बोर्ड का गठन किया है. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि आज जिस तरह से इस पेशे से जुड़े लोग नवीनतम तकनीकों को अपना रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि अन्य लोग भी तकनीक का सहारा ले अपनी कला को बेहतर बनाएं.
केश कला बोर्ड में होंगे कितने सदस्य
मंत्री ने कहा कि राज्य स्तरीय बोर्ड में एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित पांच सदस्य होंगे. बोर्ड का सदस्य सचिव, उप-सचिव पद पर कार्यरत या सेवा निवृत्त अधिकारी होगा, जिसे दिल्ली सरकार नियुक्त करेगी. जिला स्तरीय समिति में एक अध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे. ये समितियां नीतियों और योजनाओं के निर्माण में सहायता देंगी. जबकि जिला स्तरीय समिति में किसी प्रकार का कार्यालय या पारिश्रमिक नहीं मिलेगा.
इस उधोग से बढ़ेगी आय
मंत्री ने कहा कि केशों से जुड़े इस उद्योग ने कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी समाधानों को देखा है, जो बाजारों में अपनी आय की वृद्धि को बढ़ावा मिल रहा है. उन्होंने कहा कि वैश्विक तौर पर 2024 तक इस उद्योग से जुड़े व्यवसाय से 105.3 बिलियन अमरीकी डॉलर (7,33, 282.87 करोड़) तक के व्यापार पहुंचने की उम्मीद है. अनौपचारिक अनुमान के अनुसार भारत में इस व्यवसाय से आय की कीमत 22500 करोड़ है.
राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि बाल काटने के पेशे में कार्यरत बार्बर समुदाय को इस उद्योग में आई तेजी के लाभ का भागीदार बनाने के लिए सरकारी सहायता की अत्यंत आवश्यकता है. उन्हें आज के समय में इस उद्योग में कारगर नवीनतम प्रौद्योगिकी के उचित प्रशिक्षण और स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता है. इस बाबत दिल्ली सरकार ने केश कला बोर्ड का गठन किया है.