नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता एवं नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी के नेतृत्व में प्रदेश भाजपा का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के आवास पर दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर बातचीत करने के लिए गए, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री आवास के बाहर ही रोक दिया गया. प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रदूषण (delhi pollution) को लेकर किसी भी तरह की चर्चा करने के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार ने यदि 16 करोड़ रुपये विज्ञापन की जगह प्रदूषण के रोकथाम पर किए होते तो आज दिल्ली की स्थिति कुछ और होती. उन्होनें दोनो खर्चो की तुलना करते हुए कहां कि पराली के घोल पर खर्च 40 हज़ार रुपये हैं और विज्ञापन पर खर्च 16 करोड़, यानि चार हज़ार गुना ज्यादा. यदि यह रुपये स्मॉग टॉवर (smog tower) लगाने पर इस्तेमाल किए होते तो दिल्ली के लोगों को प्रदूषण से राहत मिलती. पंजाब और हरियाणा की बात करने वाले केजरीवाल को पता होना चाहिए कि वर्तमान में पंजाब और हरियाणा की स्थिति दिल्ली की तुलना में बेहतर और शुद्ध है.
आदेश गुप्ता ने कहा कि पिछले सात सालों में अरविंद केजरीवाल ने सिर्फ घोषणाएं ही की हैं, यदि कुछ किया होता तो दिल्ली की जनता आज खुद को हैरान, परेशान और असहाय महसूस नही कर रही होती, दिल्ली की जनता स्मॉग चैंबर में जीने को मजबूर है. जो मूल समस्या है उस पर सिर्फ 40 हज़ार रुपये खर्च करना यह साबित करता है कि केजरीवाल सरकार प्रदूषण के प्रति अभी तक सिर्फ असंवेदनशील रवैया अपनाती रही है.
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने पराली से खाद बनाने की बात कही थी लेकिन एक छटाक भी खाद नहीं बनी और 16 करोड़ रुपये प्रचार पर बहा दिए. दिल्ली वालों के टैक्स के पैसों से किसानों का फायदा तो नहीं हुआ बल्कि वे रुपये केजरीवाल ने अपने प्रचार में खर्च कर दिए. दिल्ली की परिवहन व्यवस्था बिल्कुल जर्जर हो चुकी है, जिसके कारण दिल्ली ‘प्रदूषण राजधानी’ बन चुकी हैं. 11,000 इलेक्ट्रिक बसें लाने का वायदा किया था लेकिन केजरीवाल सरकार ने पिछले सात सालों में एक भी बस नहीं खरीदी और अभी जो बसें सड़कों पर दौड़ रही है उनकी भी मियाद खत्म हो चुकी है. लोग इन बसों में यात्रा करने से डर रहे हैं, जिसके चलते लोगों ने अपनी गाड़ियां सड़को पर उतारी हैं. दिल्ली में प्रदूषण में इन गाड़ियों का योगदान 41 प्रतिशत है.