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एम्स के डॉक्टरों ने रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर पर की चर्चा, बताया ऐसे इलाज है संभव

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 14, 2023, 8:44 PM IST

राजधानी में रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर पर डॉक्टरों ने विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि एम्स में हर महीने रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर के काफी मामले सामने आते हैं, लेकिन इसका इलाज संभव है.

All India Institute of Medical Sciences
All India Institute of Medical Sciences
डॉ. भावना चावला

नई दिल्ली: देशभर में बढ़ते रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर को देखते हुए लगातार जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. यह कैंसर अधिकतर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में पाया जाता है. इसी क्रम में गुरुवार को रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर को लेकर एम्स में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें इस कैंसर पर चर्चा की गई.

डॉक्टरों ने कहा कि रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिस पर लगातार रिसर्च किए जा रहे हैं, जिससे इस बीमारी से ग्रसित मरीजों के सफलतापूर्वक इलाज किया जा सके. साथ ही यह भी बताया कि दिल्ली एम्स में रेटिनोब्लास्टोमा के केस लगातार सामने आ रहे हैं. हर महीने रेटिनोब्लास्टोमा के काफी मरीजों का उपचार किया जाता है.

इस दौरान डॉ. भावना चावला ने बताया कि रेटिनोब्लास्टोमा के मरीजों में सबसे ज्यादा खतरा तब बढ़ जाता है, जब यह दूसरे स्टेज पर पहुंच जाता है. तब इसका इलाज काफी मुश्किल हो जाता है. इससे दोनों आंखों की रोशनी प्रभावित हो जाती है. ऐसे में हमारी कोशिश रहती है कि हम कम से कम मरीज की एक आंख को बचा सकें, वह अपना जीवन एक आंख के सहारे ही गुजार सके.

यह भी पढ़ें-एम्स के डॉक्टरों ने अल्जाइमर को योग से ठीक करने पर शुरू किया शोध, बताई ये बातें

उन्होंने बताया कि इस बीमारी में एक तिहाई बच्चों की दोनों आंखें प्रभावित होती हैं. एम्स में दूरदराज से लोग इस बीमारी से ग्रसित बच्चों का इलाज कराने आते हैं, जिसका इलाज संभव है. बीमारी के स्टेज के अनुसार इसका इलाज सर्जरी कीमोथेरेपी या फिर रेडिएशन के माध्यम से ट्रीटमेंट किया जाता है.

यह भी पढ़ें-Delhi AIIMS Hospital: मरीजों की सहूलियत के लिए ICICI बैंक ने एम्स अस्पताल को सौंपी 9 शटल

डॉ. भावना चावला

नई दिल्ली: देशभर में बढ़ते रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर को देखते हुए लगातार जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. यह कैंसर अधिकतर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में पाया जाता है. इसी क्रम में गुरुवार को रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर को लेकर एम्स में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें इस कैंसर पर चर्चा की गई.

डॉक्टरों ने कहा कि रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिस पर लगातार रिसर्च किए जा रहे हैं, जिससे इस बीमारी से ग्रसित मरीजों के सफलतापूर्वक इलाज किया जा सके. साथ ही यह भी बताया कि दिल्ली एम्स में रेटिनोब्लास्टोमा के केस लगातार सामने आ रहे हैं. हर महीने रेटिनोब्लास्टोमा के काफी मरीजों का उपचार किया जाता है.

इस दौरान डॉ. भावना चावला ने बताया कि रेटिनोब्लास्टोमा के मरीजों में सबसे ज्यादा खतरा तब बढ़ जाता है, जब यह दूसरे स्टेज पर पहुंच जाता है. तब इसका इलाज काफी मुश्किल हो जाता है. इससे दोनों आंखों की रोशनी प्रभावित हो जाती है. ऐसे में हमारी कोशिश रहती है कि हम कम से कम मरीज की एक आंख को बचा सकें, वह अपना जीवन एक आंख के सहारे ही गुजार सके.

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उन्होंने बताया कि इस बीमारी में एक तिहाई बच्चों की दोनों आंखें प्रभावित होती हैं. एम्स में दूरदराज से लोग इस बीमारी से ग्रसित बच्चों का इलाज कराने आते हैं, जिसका इलाज संभव है. बीमारी के स्टेज के अनुसार इसका इलाज सर्जरी कीमोथेरेपी या फिर रेडिएशन के माध्यम से ट्रीटमेंट किया जाता है.

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