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डॉक्टरों की सुरक्षा के लिये फिर उठी सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग

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Published : Oct 14, 2021, 10:51 PM IST

दिल्ली के पीतमपुरा स्थित एक निजी हॉस्पिटल के डॉक्टर और नर्स के ऊपर हमला किया गया है. जिसके बाद डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग एक बार फिर उठने लगी है. एम्स के डॉक्टर अमरिंदर सिंह का कहना ने हेल्थ वर्कर्स की सुरक्षा के लिये सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट पास करने की मांग की है.

delhi aiims doctors demanded to implement central protection act for safety of doctors
डॉक्टरों की सुरक्षा के लिये फिर उठी सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग

नई दिल्ली: कोरोना के काले साये के बीच डॉक्टर भगवान बन कर पिछले 18 महीने से मरीजों की जान बचाने में लगे हुए हैं. इस दौरान वे अपनी जान को दांव पर लगाकर भी मरीजों की सेवा करते हैं. इसके बावजूद लोगों का गुस्सा डॉक्टरों के ऊपर ही फूटता है और कई बार डॉक्टरों पर हमला भी किया जाता है. ऐसे में डॉक्टर सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट और इंडियन मेडिकल सर्विस को लागू करने की मांग कर रहे हैं.

ऐसे मामलों की निंदा करते हुये एम्स के कार्डियो- रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर अमरिंदर सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी की इस दौर में भी जब डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना वारियर्स की तरह कोरोनावायरस का सामना कर रहे हैं और हमारी जान की रक्षा कर रहे हैं, उन्हें भी पीटने से लोग परहेज नहीं कर रहे हैं.

डॉक्टरों की सुरक्षा के लिये फिर उठी सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग
डॉ अमरिंदर बताते हैं कि ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के हिसाब से अगर कोई ज्यादा गंभीर मरीज आता है तो वहां उपलब्ध डॉक्टर सबसे पहले उस मरीज की देखभाल करते हैं. डॉक्टर ने अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए स्ट्रोक की बुजुर्ग मरीज को बेसिक ट्रीटमेंट दे दिया. उसके बाद सड़क दुर्घटना में घायल मरीज को देखने चला गया. इस बात से बुजुर्ग महिला मरीज तीमारदार इतना नाराज होते हैं कि वह अपने मरीज को वहां से हटा लेते हैं और अस्पताल में बुरी तरह से तोड़फोड़ शुरू कर देते हैं. मौके पर मौजूद फीमेल डॉक्टर को भी नहीं बख्शा जाता है. नर्स के पेट में गंभीर चोट आती है.

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डॉ अमरिंदर बताते हैं कि अगर सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट आ गया होता तो कोई भी डॉक्टर के ऊपर हमला करने के पहले 100 बार जरूर सोचता. इस एक्ट के सिफारिश के मुताबिक अगर कोई भी मरीज या मरीज के तीमारदार किसी डॉक्टर का नर्सिंग स्टाफ के ऊपर हाथ उठाता है तो इसके लिए उसे अधिकतम 7 साल तक की सजा हो सकती थी. इसके साथ ही उन पर भारी आर्थिक जुर्माना भी लगाने का प्रावधान किया गया था.

ये भी पढ़ें- क्रूज ड्रग्स केस: जेल में ही रहेंगे आर्यन खान, 20 अक्टूबर को जमानत पर फैसला

उन्होंने कहा कि डॉक्टर को सुरक्षा प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका है इंडियन मेडिकल सर्विस को लागू करना. यह लागू होते ही डॉक्टर के ऊपर होने वाले हिंसा लगभग खत्म हो जाएंगे. डॉ अमरिंदर ने गृह मंत्री अमित शाह से डॉक्टर की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की.

नई दिल्ली: कोरोना के काले साये के बीच डॉक्टर भगवान बन कर पिछले 18 महीने से मरीजों की जान बचाने में लगे हुए हैं. इस दौरान वे अपनी जान को दांव पर लगाकर भी मरीजों की सेवा करते हैं. इसके बावजूद लोगों का गुस्सा डॉक्टरों के ऊपर ही फूटता है और कई बार डॉक्टरों पर हमला भी किया जाता है. ऐसे में डॉक्टर सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट और इंडियन मेडिकल सर्विस को लागू करने की मांग कर रहे हैं.

ऐसे मामलों की निंदा करते हुये एम्स के कार्डियो- रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर अमरिंदर सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी की इस दौर में भी जब डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना वारियर्स की तरह कोरोनावायरस का सामना कर रहे हैं और हमारी जान की रक्षा कर रहे हैं, उन्हें भी पीटने से लोग परहेज नहीं कर रहे हैं.

डॉक्टरों की सुरक्षा के लिये फिर उठी सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग
डॉ अमरिंदर बताते हैं कि ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के हिसाब से अगर कोई ज्यादा गंभीर मरीज आता है तो वहां उपलब्ध डॉक्टर सबसे पहले उस मरीज की देखभाल करते हैं. डॉक्टर ने अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए स्ट्रोक की बुजुर्ग मरीज को बेसिक ट्रीटमेंट दे दिया. उसके बाद सड़क दुर्घटना में घायल मरीज को देखने चला गया. इस बात से बुजुर्ग महिला मरीज तीमारदार इतना नाराज होते हैं कि वह अपने मरीज को वहां से हटा लेते हैं और अस्पताल में बुरी तरह से तोड़फोड़ शुरू कर देते हैं. मौके पर मौजूद फीमेल डॉक्टर को भी नहीं बख्शा जाता है. नर्स के पेट में गंभीर चोट आती है.

ऑपरेशन के दौरान नवजात की मौत, परिजनों किया जमकर हंगामा

डॉ अमरिंदर बताते हैं कि अगर सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट आ गया होता तो कोई भी डॉक्टर के ऊपर हमला करने के पहले 100 बार जरूर सोचता. इस एक्ट के सिफारिश के मुताबिक अगर कोई भी मरीज या मरीज के तीमारदार किसी डॉक्टर का नर्सिंग स्टाफ के ऊपर हाथ उठाता है तो इसके लिए उसे अधिकतम 7 साल तक की सजा हो सकती थी. इसके साथ ही उन पर भारी आर्थिक जुर्माना भी लगाने का प्रावधान किया गया था.

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उन्होंने कहा कि डॉक्टर को सुरक्षा प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका है इंडियन मेडिकल सर्विस को लागू करना. यह लागू होते ही डॉक्टर के ऊपर होने वाले हिंसा लगभग खत्म हो जाएंगे. डॉ अमरिंदर ने गृह मंत्री अमित शाह से डॉक्टर की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की.

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