नई दिल्ली: देश भर में कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लेने वाले लाभार्थियों को दूसरा डोज लगाया जाने लगा है, लेकिन क्या आपको पता है कि वैक्सीन और लाभार्थियों से जुड़ी सारी जानकारियां कहां इकट्ठी होती हैं और ये सारे आंकड़े कौन और कैसे इकट्ठा करता है ?
आपको इस पूरी प्रक्रिया के बारे में विशेषज्ञ के माध्यम से बताते हैं. प्रवीण कुमार आईटी डिपार्टमेंट से हैं और इनका काम कोरोना वैक्सीन से जुड़ी तमाम जानकारियां और लाभार्थियों से संबंधित सूचना को क्रमबद्ध संरक्षित करने का है. वह उन सूचनाओं के संग्रहण का काम करते हैं.
सूचना संग्रहण के ये हैं चरणबद्ध तरीके
विशेषज्ञ प्रवीण ने बताया कि कोरोना का टीका लेने के लिए कई प्रक्रियाओं से होकर गुजरना होता है. सबसे पहले लाभार्थी आईटी ऑफिसर के पास आते हैं, जहां उनके बारे में कुछ सूचनाएं पहले से ही फीड रहती हैं. आईटी अधिकारी उन सूचनाओं का लाभार्थी द्वारा दी गई सूचनाओं से मिलान करते हैं.
जिस व्यक्ति की सूचना आईटी डिपार्टमेंट के अधिकारी के कंप्यूटर में पहले से फीड होती है, केवल उन्हें ही वैक्सीन लगाई जाती है. उनसे उनकी बीमारियों के बारे में जानकारी ली जाती है. अगर किसी लाभार्थी को कोई बीमारी होती है, तो इसकी जानकारी वहां मौजूदा डॉक्टर को दी जाती है और उनसे यह सलाह ली जाती है कि क्या इस व्यक्ति को टीका लगाना सुरक्षित रहेगा या नहीं? उनकी तरफ से अनुमति मिलने के बाद ही व्यक्ति को टीका लगाया जाता है.
अलग-अलग कैटेगरी में रखा जाता है डेटा
प्रवीण ने बताया कि उनकी तरफ से डेटा वेरीफाई होने के बाद एक दूसरा वैक्सीन अधिकारी होता है, जो लाभार्थियों द्वारा दी गई सूचनाओं को हार्ड कॉपी के रूप में सुरक्षित करता है. हर तरह के आंकड़े को व्यवस्थित तरीके से सुरक्षित किया जाता है. हेल्थकेयर वर्कर, डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ पैरामेडिकल स्टाफ और दूसरे स्टाफ को अलग-अलग कैटेगरी में रखा जाता है. इसी तरह फ्रंटलाइन वर्कर्स में पुलिस, सुरक्षा गार्ड और दूसरे तरह के स्टाफ को रखा जाता है. इनसे संबंधित आंकड़े इनके कॉलम में ही डाले जाते हैं.
तीसरे चरण में लाभार्थी को लगता है टीका
इन चरणों से गुजरने के बाद तीसरे चरण में लाभार्थी नर्सिंग स्टाफ के सामने जाते हैं, जहां उन्हें टीके लगाए जाते हैं. टीके लगाए जाने के पहले नर्सिंग स्टाफ लाभार्थी को यह बताते हैं कि उन्हें कौन सी वैक्सीन दी जा रही है. टीके लेने के बाद उन्हें क्या-क्या सावधानियां बरतनी हैं?
लाभार्थी को दिया जाता है हेल्पलाइन नंबर
इसके बाद चौथे चरण में लाभार्थी को आधे घंटे के लिए ऑब्जरवेशन रूम में भेजा जाता है, जहां यह देखा जाता है कि टीका लेने के बाद उनका कोई दुष्प्रभाव तो नहीं है. आधा घंटा पूरा होने के बाद वे वेटिंग एरिया से बाहर आ सकते हैं. बाहर आकर चाहे तो वहां बने सेल्फी प्वाइंट में खुद की सेल्फी लेकर अपनी यादों को सुरक्षित कर सकते हैं.
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इसके बावजूद लाभार्थी को अगर घर पर जाने के बाद भी कोई दुष्प्रभाव नजर आता है, तो उन्हें एक हेल्पलाइन नंबर दिया जाता है. जिस पर वह संपर्क कर सकते हैं. ये सारे आंकड़े निर्धारित कंप्यूटर में फीड किये जाते हैं, जिनका इस्तेमाल आगे होने वाले रिसर्च के लिए किया जाएगा.