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रेडिएशन के नीचे ढूंढते कोविड के निशान!

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Published : Aug 12, 2020, 10:20 PM IST

कोरोना काल में लोगों में इस कदर डर भरा जा रहा है कि अनावश्यक सिटी स्कैन की खतरनाक रेडिएशन के नीचे लोगों को भेजा जा रहा है. जिन्हें जरूरत नहीं है उन्हें भी मरीजों की जेबें ढीली करने जबरदस्ती सिटी स्कैन के लिये महंगे डायग्नोस्टिक सेंटर्स भेज दिया जा रहा है. विशेषज्ञ खुद मानते हैं कि कोरोना की जांच के लिये सिटी स्कैन की कोई आवश्यकता नहीं है.

CT scan
सिटी स्कैन

नई दिल्ली: कोरोना काल में जब आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट 24 से 48 घंटे में आ रही थी तो एक ऐसी चीज की जरूरत महसूस हुई जो कम से कम समय में परिणाम दे सके. आरटी पीसीआर टेस्ट की कमी ने रैपिड एंटीजन टेस्ट को जन्म दिया. इस टेस्ट से रिपोर्ट 15 मिनट से 30 मिनट के अंदर आ जाती है, लेकिन इसकी सटीकता को लेकर सवाल उठने लगे हैं. ऐसे में आईसीएमआर ने एक सलाह दी है कि एंटीजन टेस्ट अगर रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो कंफर्म करने के लिए पीसीआर टेस्ट भी करना होगा. लेकिन कुछ डायग्नोस्टिक सेंटर्स वाले को लाभ पहुंचाने के लिए एंटीजन टेस्ट करने वाले मरीजों का सिटी स्कैन के लिए रेफर किया जाने लगा.

सीटी -19 का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन प्रभावी रूप से उपयोगी नहीं है

सवाल यह है कि सीटी स्कैन कितना कारगर है? कोरोनावायरस को डिटेक्ट करने के लिए क्या डॉक्टर जानबूझकर मरीजों का खर्च बढ़ाने के लिए और डायग्नोस्टिक सेंटर्स की जेब भरने के लिए अनावश्यक रूप से सीटी स्कैन की सलाह दे रहे हैं ? ऐसे कुछ सवाल के जवाब हमने विशेषज्ञों से जाने.

डॉक्टर से जरूर पुछे आखिर क्यों ?

हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल बताते हैं कि किस मरीज का सीटी स्कैन किया जाना है और किसका नहीं यह डॉक्टर तय करते हैं, लेकिन मरीजों को भी अपने डॉक्टर से यह पूछना चाहिये कि उन्हें सिटी स्कैन की जरूरत क्यों है? जहां तक कोविड-19 का सवाल है अगर किसी मरीज को कोरोना इनफेक्शन होने का संदेह है और उन्होंने एंटीजन टेस्ट करवाया है, जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है. अगर उनके डॉक्टर उन्हें सीटी स्कैन के लिए सलाह दे रहे हैं तो उन्हें यह जरूर जान लेना चाहिए कि क्या वाकई उन्हें सिटी स्कैन की जरूरत है या नहीं?

अपनाए स्पेशल सिक्स फार्मूला

डॉ. केके अग्रवाल बताते हैं कि अगर आपको कोविड-19 इंफेक्शन है तो जिस दिन से आपको कोविड-19 डिटेक्ट किया गया है. उस दिन से लेकर अगले 6 दिनों तक 6 मिनट कि वॉक टेस्ट कर लें. सुबह 6 बजे और शाम 6 बजे 6 मिनट के लिए वाक करें. आप खुद ही देखें और महसूस करें कि 6 मिनट तक चलने के बाद ऐसा तो नहीं होता है कि आप को खांसी हो रही हो या सांस फूल रहा हो या बोलने में परेशानी पैदा हो रही हो या आपका spo2 लेवल कम हो रहा है. अगर ऐसा है तो आपको पक्का निमोनिया है. ऐसी परिस्थिति में हो सकता है कि आपके डॉक्टर आपको सीटी स्कैन कराने की सलाह दें, लेकिन अगर 6 मिनट चलने के बाद आपको ना तो खांसी हो रही है ना सांस फूल रहा है और न बोलने में दिक्कत हो रही है और ना ही spo2 का लेवल भी नहीं गिर रहा है तो निमोनिया होने के बावजूद भी आपको सीटी स्कैन कराने की आवश्यकता नहीं है.

इंफेक्शन की तीव्रता जानने के लिये सिटी स्कैन

गंगा राम हॉस्पिटल के लीवर एक्सपोर्ट और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिपार्टमेंट के सीनियर कंसलटेंट डॉ. विस्वस्त धीर बताते हैं कि कोरोना वायरस की पहचान के लिए किया जाने वाला टेस्ट एंटीजन रैपिड टेस्ट की रिपोर्ट फॉल्स निगेटिव रिपोर्ट ज्यादा आती है. शायद इसीलिए आईसीएमआर ने इसकी कम एक्यूरेसी को देखते हुए इसके साथ एक और टेस्ट कराने की सलाह दी है. आरटी पीसीआर टेस्ट कराना एक अच्छा तरीका है , लेकिन अगर मरीज के सांस लेने में दिक्कत हो या लीवर में कोई समस्या हो तो इंफेक्शन की तीव्रता को देखने के लिए हम सीटी स्कैन कराने की सलाह देते हैं. सीटी स्कैन की अलग-अलग तस्वीर हमें यह पता लगाने में मदद करती है कि इंफेक्शन कितना गंभीर है.

सिटी स्कैन लाभ से नयाद करता है नुकसान

पार्क हॉस्पिटल के कोविड-19 डॉ. संदीप अग्रवाल बताते हैं कि कोविड इंफेक्शन फेफड़े के ऊपर ज्यादा असर करता है. इसको लेकर के कुछ डॉक्टर लंग इन्फेक्शन को केंद्र में रखते हुए चेस्ट एक्सरे सीटी स्कैन की सलाह मरीजों को दे रहे हैं. लेकिन यह जान लेना बहुत जरूरी होता है कि किसी भी तरह की इमेजिंग और एक्स-रे के एक्स्पोज़र से बॉडी को कितना लाभ और नुकसान होता है. सीटी स्कैन से काफी मात्रा में रेडिएशन निकलता है. इसलिए काफी सावधानी से और बहुत जरूरी होने पर ही सीटी स्कैन की सलाह दी जानी चाहिए. यहां तक कि कैंसर के मरीजों के लिए भी सीटी स्कैन संभल कर किया जाता है.


कोविड मरीजों की नही होनी चाहिये सिटी स्कैन

कोविड की जांच के लिए सीटी स्कैन का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए. आईसीएमआर ने भी इसकी सलाह नहीं दी है. लंग में अगर कोई वायरस है तो इसकी एक ही तरह की इमेजिंग आती है. इनमें कोरोना वायरस कौन है यह अंतर कर पाना संभव नहीं है. इसलिए पता नहीं लगा जा सकता है कि जो वायरस लंग में पाया गया है वह स्वाइन फ्लू का है, जीका वायरस का है, टीबी का बैक्टरिया है, फंगस है या कोविड वायरस है.


डाइग्नोस्टिक सेंटर्स के साथ साठगांठ

डॉ. संदीप बताते हैं कि ऑथेंटिक डेटाबेस ने ऐसी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है. एक कोविड एक्सपर्ट होने के नाते मैं भी किसी कोरोना मरीज को सीटी स्कैन की सलाह नहीं देता. अगर कोई डायग्नोस्टिक सेंटर किसी डॉक्टर के साथ मिलकर मरीजों की जेब ढीली करने के लिए इस तरह की किसी नेक्सस चला रहे हैं तो यह गलत है.


आरटी पीसीआर और एंटीजन टेस्ट ही सही है

डॉक्टर संदीप बताते हैं कोविड की जांच के लिए तीन तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर मरीज और लक्षण दिखता है तो आरटी पीसीआर सबसे बेस्ट तरीका है. ऐसे मरीजों की एक्स-रे और सीटी स्कैन नहीं किया जाना चाहिए. इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है, बल्कि इससे ज्यादा नुकसान होने की संभावना है.



सिटी स्कैन के प्रयोग को लेकर एकमत नहीं

कोरोना के मरीजों के लिए सीटी स्कैन जांच कराने को लेकर विशेषज्ञों की राय एक नहीं है. कुछ डॉक्टर इसे सही मानते हैं तो कुछ गलत. कुछ डॉक्टर कोरोना मरीजों के इंफेक्शन की तीव्रता को देखने के लिए सिटी स्कैन को उचित ठहराते हैं , क्योंकि इससे ज्यादा तस्वीरें साफ दिखती है और मरीज का इलाज करने के तरीके तय करने में मदद करती है.

नई दिल्ली: कोरोना काल में जब आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट 24 से 48 घंटे में आ रही थी तो एक ऐसी चीज की जरूरत महसूस हुई जो कम से कम समय में परिणाम दे सके. आरटी पीसीआर टेस्ट की कमी ने रैपिड एंटीजन टेस्ट को जन्म दिया. इस टेस्ट से रिपोर्ट 15 मिनट से 30 मिनट के अंदर आ जाती है, लेकिन इसकी सटीकता को लेकर सवाल उठने लगे हैं. ऐसे में आईसीएमआर ने एक सलाह दी है कि एंटीजन टेस्ट अगर रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो कंफर्म करने के लिए पीसीआर टेस्ट भी करना होगा. लेकिन कुछ डायग्नोस्टिक सेंटर्स वाले को लाभ पहुंचाने के लिए एंटीजन टेस्ट करने वाले मरीजों का सिटी स्कैन के लिए रेफर किया जाने लगा.

सीटी -19 का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन प्रभावी रूप से उपयोगी नहीं है

सवाल यह है कि सीटी स्कैन कितना कारगर है? कोरोनावायरस को डिटेक्ट करने के लिए क्या डॉक्टर जानबूझकर मरीजों का खर्च बढ़ाने के लिए और डायग्नोस्टिक सेंटर्स की जेब भरने के लिए अनावश्यक रूप से सीटी स्कैन की सलाह दे रहे हैं ? ऐसे कुछ सवाल के जवाब हमने विशेषज्ञों से जाने.

डॉक्टर से जरूर पुछे आखिर क्यों ?

हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल बताते हैं कि किस मरीज का सीटी स्कैन किया जाना है और किसका नहीं यह डॉक्टर तय करते हैं, लेकिन मरीजों को भी अपने डॉक्टर से यह पूछना चाहिये कि उन्हें सिटी स्कैन की जरूरत क्यों है? जहां तक कोविड-19 का सवाल है अगर किसी मरीज को कोरोना इनफेक्शन होने का संदेह है और उन्होंने एंटीजन टेस्ट करवाया है, जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है. अगर उनके डॉक्टर उन्हें सीटी स्कैन के लिए सलाह दे रहे हैं तो उन्हें यह जरूर जान लेना चाहिए कि क्या वाकई उन्हें सिटी स्कैन की जरूरत है या नहीं?

अपनाए स्पेशल सिक्स फार्मूला

डॉ. केके अग्रवाल बताते हैं कि अगर आपको कोविड-19 इंफेक्शन है तो जिस दिन से आपको कोविड-19 डिटेक्ट किया गया है. उस दिन से लेकर अगले 6 दिनों तक 6 मिनट कि वॉक टेस्ट कर लें. सुबह 6 बजे और शाम 6 बजे 6 मिनट के लिए वाक करें. आप खुद ही देखें और महसूस करें कि 6 मिनट तक चलने के बाद ऐसा तो नहीं होता है कि आप को खांसी हो रही हो या सांस फूल रहा हो या बोलने में परेशानी पैदा हो रही हो या आपका spo2 लेवल कम हो रहा है. अगर ऐसा है तो आपको पक्का निमोनिया है. ऐसी परिस्थिति में हो सकता है कि आपके डॉक्टर आपको सीटी स्कैन कराने की सलाह दें, लेकिन अगर 6 मिनट चलने के बाद आपको ना तो खांसी हो रही है ना सांस फूल रहा है और न बोलने में दिक्कत हो रही है और ना ही spo2 का लेवल भी नहीं गिर रहा है तो निमोनिया होने के बावजूद भी आपको सीटी स्कैन कराने की आवश्यकता नहीं है.

इंफेक्शन की तीव्रता जानने के लिये सिटी स्कैन

गंगा राम हॉस्पिटल के लीवर एक्सपोर्ट और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिपार्टमेंट के सीनियर कंसलटेंट डॉ. विस्वस्त धीर बताते हैं कि कोरोना वायरस की पहचान के लिए किया जाने वाला टेस्ट एंटीजन रैपिड टेस्ट की रिपोर्ट फॉल्स निगेटिव रिपोर्ट ज्यादा आती है. शायद इसीलिए आईसीएमआर ने इसकी कम एक्यूरेसी को देखते हुए इसके साथ एक और टेस्ट कराने की सलाह दी है. आरटी पीसीआर टेस्ट कराना एक अच्छा तरीका है , लेकिन अगर मरीज के सांस लेने में दिक्कत हो या लीवर में कोई समस्या हो तो इंफेक्शन की तीव्रता को देखने के लिए हम सीटी स्कैन कराने की सलाह देते हैं. सीटी स्कैन की अलग-अलग तस्वीर हमें यह पता लगाने में मदद करती है कि इंफेक्शन कितना गंभीर है.

सिटी स्कैन लाभ से नयाद करता है नुकसान

पार्क हॉस्पिटल के कोविड-19 डॉ. संदीप अग्रवाल बताते हैं कि कोविड इंफेक्शन फेफड़े के ऊपर ज्यादा असर करता है. इसको लेकर के कुछ डॉक्टर लंग इन्फेक्शन को केंद्र में रखते हुए चेस्ट एक्सरे सीटी स्कैन की सलाह मरीजों को दे रहे हैं. लेकिन यह जान लेना बहुत जरूरी होता है कि किसी भी तरह की इमेजिंग और एक्स-रे के एक्स्पोज़र से बॉडी को कितना लाभ और नुकसान होता है. सीटी स्कैन से काफी मात्रा में रेडिएशन निकलता है. इसलिए काफी सावधानी से और बहुत जरूरी होने पर ही सीटी स्कैन की सलाह दी जानी चाहिए. यहां तक कि कैंसर के मरीजों के लिए भी सीटी स्कैन संभल कर किया जाता है.


कोविड मरीजों की नही होनी चाहिये सिटी स्कैन

कोविड की जांच के लिए सीटी स्कैन का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए. आईसीएमआर ने भी इसकी सलाह नहीं दी है. लंग में अगर कोई वायरस है तो इसकी एक ही तरह की इमेजिंग आती है. इनमें कोरोना वायरस कौन है यह अंतर कर पाना संभव नहीं है. इसलिए पता नहीं लगा जा सकता है कि जो वायरस लंग में पाया गया है वह स्वाइन फ्लू का है, जीका वायरस का है, टीबी का बैक्टरिया है, फंगस है या कोविड वायरस है.


डाइग्नोस्टिक सेंटर्स के साथ साठगांठ

डॉ. संदीप बताते हैं कि ऑथेंटिक डेटाबेस ने ऐसी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है. एक कोविड एक्सपर्ट होने के नाते मैं भी किसी कोरोना मरीज को सीटी स्कैन की सलाह नहीं देता. अगर कोई डायग्नोस्टिक सेंटर किसी डॉक्टर के साथ मिलकर मरीजों की जेब ढीली करने के लिए इस तरह की किसी नेक्सस चला रहे हैं तो यह गलत है.


आरटी पीसीआर और एंटीजन टेस्ट ही सही है

डॉक्टर संदीप बताते हैं कोविड की जांच के लिए तीन तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर मरीज और लक्षण दिखता है तो आरटी पीसीआर सबसे बेस्ट तरीका है. ऐसे मरीजों की एक्स-रे और सीटी स्कैन नहीं किया जाना चाहिए. इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है, बल्कि इससे ज्यादा नुकसान होने की संभावना है.



सिटी स्कैन के प्रयोग को लेकर एकमत नहीं

कोरोना के मरीजों के लिए सीटी स्कैन जांच कराने को लेकर विशेषज्ञों की राय एक नहीं है. कुछ डॉक्टर इसे सही मानते हैं तो कुछ गलत. कुछ डॉक्टर कोरोना मरीजों के इंफेक्शन की तीव्रता को देखने के लिए सिटी स्कैन को उचित ठहराते हैं , क्योंकि इससे ज्यादा तस्वीरें साफ दिखती है और मरीज का इलाज करने के तरीके तय करने में मदद करती है.

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