नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का काफी बुरा हाल है. चारों तरफ अव्यवस्थाएं ही दिखाई पड़ रही है. स्टाफ की कमी, कम डॉक्टर, पीपीई किट और फेस शिल्ड की भी कमी है. मेडिसिन के डॉक्टर नहीं होने की वजह से और कोरोना के मरीजों का ठीक से इलाज नहीं करने की वजह से हर दिन 10-12 मरीजों की मौत हो रही हैं. हैरानी की बात तो यह है कि यहां मरीजों को मुर्दा (शव) के साथ ही वार्ड शेयर करना पड़ रहा है. सामान्य वार्ड में भी यह नजारा देखने को मिल रहा है.
मौत के बाद भी वार्ड से नहीं हटाया शव
मरीज की मौत हो जाती है, लेकिन उसके शव को वहां से हटाने वाला कोई नहीं होता. ऐसी परिस्थिति में उस वार्ड में रहने वाले दूसरे मरीजों को मृत शरीर के साथ रात गुजारनी पड़ती है. ऐसा अस्पताल में ईसीजी टेक्नीशियन की रात में उपलब्ध नहीं होने की वजह से हो रहा है, क्योंकि ईसीजी टेक्नीशियन ही मरीजों को मृत घोषित करता है.
रात 12 बजे मौत, सुबह 9 बजे किया डेड डिक्लेयर
अस्पताल के एक नर्सिंग स्टाफ ने बताया कि पिछले दिनों एक मरीज की रात 12 बजे मौत हो गई थी. सुबह के 9 बजे ईसीजी टेक्निशियन आया, तब तक डेड बॉडी कोरोना के मरीजों के वार्ड में ही दूसरे मरीजों के बीच पड़ी रही. सुबह आकर यही नर्सिंग स्टाफ ने डेड बॉडी को पैक करवाया. ईसीजी टेक्नीशियन नहीं होने की वजह से मरीज को डेड डिक्लेअर नहीं किया जा सका. उस वार्ड में 4 मरीज और भी थे, जिन्हें पूरी रात उस डेड बॉडी के साथ गुजारनी पड़ी.