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दिल्ली के रैन बसेरों में कोरोना गाइडलाइन का हो रहा पालन, सर्दी से बचने के लिए आ रहे बेसहारा

राजधानी दिल्ली में ठंड दिनोदिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरा एक बड़ा सहारा बनता है. दक्षिण दिल्ली के रैन बसेरों में बेसहारा रैन बसेरों में रात गुजारने के लिए पहुंचते हैं. कोरोना काल में यहां पर आने वालों को सभी एहतियात अपनाने के बाद ही रुकने की इजाजत दी जा रही है.

Corona guidelines following in delhi rain basera, Support for destitutes in winte
सर्दी में बेसहारों का सहारा बना रैन बसेरा
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Published : Nov 24, 2020, 5:05 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में ठंड का आगाज शुरू हो चुका है. ऐसे में बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरा एक सहारा बनता है. यहां लोग सर्दी से बचने के लिए रात गुजारने के लिए पहुंचते हैं. दक्षिणी दिल्ली के रैन बसेरों में सारी सुविधाएं हैं और साथ ही कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यहां पर थर्मल स्क्रीनिंग और सेनिटाइजर की व्यवस्था भी की गई है. दक्षिण दिल्ली के रैन बसेरों की तस्वीर हम आपको दिखा रहे हैं. जहां पर सर्दी से बचने के लिए गरीब व बेसहारा लोग रैन बसेरों में रात गुजारने के लिए पहुंचते हैं.

सर्दी में बेसहारों का सहारा बना रैन बसेरा.

कोरोना को देखते हुए रैन बसेरे में भी दिल्ली सरकार के द्वारा रखे गए केयरटेकर को हिदायत दी गई है कि जो लोग रैन बसेरे के अंदर पहुंचेंगे उनका पहले टेंपरेचर चेक किया जाएगा फिर उनको सैनिटाइज कर ही अंदर आने दिया जाता है. उसके बाद ही उनको रैन बसेरे में रुकने की इजाजत दी जाएगी. हालांकि अभी सर्दी कम है और कोरोना की वजह से ज्यादा लोग रैन बसेरे में नहीं है. लेकिन जो लोग पहुंच रहे हैं उनके साथ यह सभी एहतियात अपनाने के बाद ही रैन बसेरे में रुकने की इजाजत दी जा रही है.



थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही रैन बसेरे में आने की अनुमति


आपको बता दें कि दिल्ली के अंदर हर साल ठंड से मरने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ती है. क्योंकि जिनको रेन बसेरा में जगह नहीं मिल पाती है, वो फ्लाई ओवर के नीचे या सड़कों के किनारे रात गुजारते हैं, लेकिन अब दिल्ली सरकार के द्वारा रैन बसेरों को दुरुस्त बनाया गया है. जिससे कि लोग खुले में ना सोएं और आसपास के रैन बसेरों में जाकर ही रात गुजारें. लेकिन अभी राजधानी दिल्ली में जिस तरीके से कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, उसको ध्यान में रखते हुए भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि किस तरीके से लोग यहां पर रुकेंगे.

बहरहाल जो लोग रेन बेसर के अंदर रह रहे हैं वह इस सुविधा से खुश हैं कि उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है उनके हाथों को सैनिटाइज करा जाता है, उसके बाद ही उनको रैन बसेरे में आने की अनुमति दी जा रही है. मुनिरका स्थित रैन बसेरा मे तीन अलग अलग रैन बसेरे बने हैं. एक में परिवार के साथ लोग रहते हैं तो दूसरे में केवल महिलाएं तो तीसरे मे केवल पुरुष रहते हैं. यहां जो बच्चे रहते हैं उनकी पढ़ाई-लिखाई की भी व्यवस्था है.

रैन बसेरों में सुविधा का दावा

दिल्ली की केजरीवाल सरकार जब से सत्ता में आई है, तभी से रैन बसेरों की संख्या में वृद्धि और उसमें अच्छी सुविधा का दावा किया जाता रहा है. उसके बावजूद हर साल सर्दी में कई लोग खुले आसमान मे सोते हैं और उनमें से बहुतों की सर्दी के कारण मौत भी होती है. अब देखना होगा कि दिल्ली सरकार के इतनी व्यवस्थाओं के बावजूद इस बार दिल्ली में ठंड से मरने वाले लोगों की संख्या पर लगाम लग पाएगी या नहीं.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में ठंड का आगाज शुरू हो चुका है. ऐसे में बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरा एक सहारा बनता है. यहां लोग सर्दी से बचने के लिए रात गुजारने के लिए पहुंचते हैं. दक्षिणी दिल्ली के रैन बसेरों में सारी सुविधाएं हैं और साथ ही कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यहां पर थर्मल स्क्रीनिंग और सेनिटाइजर की व्यवस्था भी की गई है. दक्षिण दिल्ली के रैन बसेरों की तस्वीर हम आपको दिखा रहे हैं. जहां पर सर्दी से बचने के लिए गरीब व बेसहारा लोग रैन बसेरों में रात गुजारने के लिए पहुंचते हैं.

सर्दी में बेसहारों का सहारा बना रैन बसेरा.

कोरोना को देखते हुए रैन बसेरे में भी दिल्ली सरकार के द्वारा रखे गए केयरटेकर को हिदायत दी गई है कि जो लोग रैन बसेरे के अंदर पहुंचेंगे उनका पहले टेंपरेचर चेक किया जाएगा फिर उनको सैनिटाइज कर ही अंदर आने दिया जाता है. उसके बाद ही उनको रैन बसेरे में रुकने की इजाजत दी जाएगी. हालांकि अभी सर्दी कम है और कोरोना की वजह से ज्यादा लोग रैन बसेरे में नहीं है. लेकिन जो लोग पहुंच रहे हैं उनके साथ यह सभी एहतियात अपनाने के बाद ही रैन बसेरे में रुकने की इजाजत दी जा रही है.



थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही रैन बसेरे में आने की अनुमति


आपको बता दें कि दिल्ली के अंदर हर साल ठंड से मरने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ती है. क्योंकि जिनको रेन बसेरा में जगह नहीं मिल पाती है, वो फ्लाई ओवर के नीचे या सड़कों के किनारे रात गुजारते हैं, लेकिन अब दिल्ली सरकार के द्वारा रैन बसेरों को दुरुस्त बनाया गया है. जिससे कि लोग खुले में ना सोएं और आसपास के रैन बसेरों में जाकर ही रात गुजारें. लेकिन अभी राजधानी दिल्ली में जिस तरीके से कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, उसको ध्यान में रखते हुए भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि किस तरीके से लोग यहां पर रुकेंगे.

बहरहाल जो लोग रेन बेसर के अंदर रह रहे हैं वह इस सुविधा से खुश हैं कि उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है उनके हाथों को सैनिटाइज करा जाता है, उसके बाद ही उनको रैन बसेरे में आने की अनुमति दी जा रही है. मुनिरका स्थित रैन बसेरा मे तीन अलग अलग रैन बसेरे बने हैं. एक में परिवार के साथ लोग रहते हैं तो दूसरे में केवल महिलाएं तो तीसरे मे केवल पुरुष रहते हैं. यहां जो बच्चे रहते हैं उनकी पढ़ाई-लिखाई की भी व्यवस्था है.

रैन बसेरों में सुविधा का दावा

दिल्ली की केजरीवाल सरकार जब से सत्ता में आई है, तभी से रैन बसेरों की संख्या में वृद्धि और उसमें अच्छी सुविधा का दावा किया जाता रहा है. उसके बावजूद हर साल सर्दी में कई लोग खुले आसमान मे सोते हैं और उनमें से बहुतों की सर्दी के कारण मौत भी होती है. अब देखना होगा कि दिल्ली सरकार के इतनी व्यवस्थाओं के बावजूद इस बार दिल्ली में ठंड से मरने वाले लोगों की संख्या पर लगाम लग पाएगी या नहीं.

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