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कोरोना से जंग में डॉ. जोगिंदर ने गंवा दी जान, पुत्र शोक में मां ने तोड़ा दम

दिल्ली के बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल में कार्यरत डॉ. जोगिंदर चौधरी की कोरोना के कारण मौत हो गई. जिसके बाद लगातार 23 दिनों तक अन्न त्याग ने के बाद जोगिंदर की मां ने मंगलवार को तोड़ दिया. सिर्फ तीन हफ्ते के अंदर ही परिवार में दो मौत होने के बाद पिता पर जैसे दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा है.

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Published : Aug 19, 2020, 7:02 AM IST

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पुत्र शोक में डॉ. जोगिंदर चौधरी की मां ने तोड़ा दम

नई दिल्ली: कोरोना के खिलाफ जंग लड़ते हुए दिल्ली के बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल में कार्यरत डॉ. जोगिंदर चौधरी की कोरोना के कारण मौत हो गई. वहीं बेटे की मौत के गम में उनकी मां शोक में चली गई थी. जिसके बादल जोगिंदर की मां प्रेमलता देवी ने मंगलवार को दम तोड़ दिया. उन्होंने पिछले 23 दिनों से अन्न त्याग दिया था. विडंबना तो देखिए, 26 जून को ही डॉ. जोगिंदर की शादी के लिए उनके पिता ने एक लड़की देखी थी. लेकिन, उसी दिन डॉ. जोगिंदर कोरोना के शिकार हो गए. उनकी मां गांव में जोगिंदर की सलामती के लिए अखंड हवन करवा रही थी. तब से उन्होंने अन्न का एक दाना भी नहीं लिया था.

पुत्र शोक में डॉ. जोगिंदर चौधरी की मां ने तोड़ा दम

7 साल बाद जोगिंदर बने थे डॉक्टर

डॉक्टर बनने में सात साल लगे थे और डॉक्टर के रूप में पहली नौकरी भी सिर्फ सात महीने तक डॉ. जोगिंदर चौधरी ने की थी. जैसे ही जोगिंदर ने जॉइन किया, उसके कुछ वक्त बाद ही कोरोना का कहर शुरू हो गया था. कोरोना संक्रमितों का इलाज करते-करते कब वे खुद इसकी चपेट में आ गए पता ही नहीं चला और जब पता चला तो इसके बाद हालत खराब ही होते चली गई.

प्लाज्मा थेरेपी के बाद भी नहीं बचे

एक महीना तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद आखिरकार डॉ. जोगिंदर ने 27 जुलाई की रात को अंतिम सांस ले ली. जोगिंदर 27 साल के युवा थे. उन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी नहीं थी. ऐसे हालात में यह सवाल उठना बिल्कुल लाजमी है कि आखिर इतने हट्टे-कट्टे कसरती शरीर और बिल्कुल स्वस्थ आदमी की कोरोना की वजह से कैसे मौत हो सकती है. उन्हें दिल्ली के सबसे बड़े कोविड हॉस्पिटल एलएनजेपी में उन्हें दो बार प्लाज्मा थेरेपी दी गई. इसके बावजूद भी डॉ. जोगिंदर को बचाया नहीं जा सका.

फेफड़ा और किडनी हो गए थे खराब

जब डॉक्टर जोगिंदर का इलाज गंगाराम हॉस्पिटल में चल रहा था और उनकी तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई. डॉ. जोगिंदर का एक फेफड़ा डैमेज हो चुका था और किडनी भी खराब होने लगी थी. गंगा राम हॉस्पिटल के डॉक्टर ने पूरी मेहनत की और डॉक्टर की जान बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन किसी अनजान वजह से डॉ. जोगिंदर की शरीर में कोरोना वायरस ज्यादा मात्रा में फैल गया था. जोगिंदर वेंटिलेटर पर थे. प्रतिष्ठित साइंस जर्नल लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, वेंटिलेटर पर पहुंचे हुए मरीजों के जिंदा बचने की उम्मीद सिर्फ 20 फीसदी ही होती है.

परिजनों को मिली सहायता राशि

जोगिंदर के घर में दो मौतें होने से उनकी पिता राजेंद्र चौधरी गहरे सदमे में हैं. बता दें कि 3 अगस्त को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा दिल्ली सरकार के अस्पताल में तैनात हमारे कोरोना वॉरियर डॉ. जोगिंदर चौधरी ने अपनी जान की बाजी लगाकर मरीजों की सेवा की हाल ही में कोरोना संक्रमण से डॉ. चौधरी का निधन हो गया था, आज उनके परिजनों से मिलकर 1 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी. भविष्य में भी परिवार की हर संभव मदद करेंगे.

नई दिल्ली: कोरोना के खिलाफ जंग लड़ते हुए दिल्ली के बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल में कार्यरत डॉ. जोगिंदर चौधरी की कोरोना के कारण मौत हो गई. वहीं बेटे की मौत के गम में उनकी मां शोक में चली गई थी. जिसके बादल जोगिंदर की मां प्रेमलता देवी ने मंगलवार को दम तोड़ दिया. उन्होंने पिछले 23 दिनों से अन्न त्याग दिया था. विडंबना तो देखिए, 26 जून को ही डॉ. जोगिंदर की शादी के लिए उनके पिता ने एक लड़की देखी थी. लेकिन, उसी दिन डॉ. जोगिंदर कोरोना के शिकार हो गए. उनकी मां गांव में जोगिंदर की सलामती के लिए अखंड हवन करवा रही थी. तब से उन्होंने अन्न का एक दाना भी नहीं लिया था.

पुत्र शोक में डॉ. जोगिंदर चौधरी की मां ने तोड़ा दम

7 साल बाद जोगिंदर बने थे डॉक्टर

डॉक्टर बनने में सात साल लगे थे और डॉक्टर के रूप में पहली नौकरी भी सिर्फ सात महीने तक डॉ. जोगिंदर चौधरी ने की थी. जैसे ही जोगिंदर ने जॉइन किया, उसके कुछ वक्त बाद ही कोरोना का कहर शुरू हो गया था. कोरोना संक्रमितों का इलाज करते-करते कब वे खुद इसकी चपेट में आ गए पता ही नहीं चला और जब पता चला तो इसके बाद हालत खराब ही होते चली गई.

प्लाज्मा थेरेपी के बाद भी नहीं बचे

एक महीना तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद आखिरकार डॉ. जोगिंदर ने 27 जुलाई की रात को अंतिम सांस ले ली. जोगिंदर 27 साल के युवा थे. उन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी नहीं थी. ऐसे हालात में यह सवाल उठना बिल्कुल लाजमी है कि आखिर इतने हट्टे-कट्टे कसरती शरीर और बिल्कुल स्वस्थ आदमी की कोरोना की वजह से कैसे मौत हो सकती है. उन्हें दिल्ली के सबसे बड़े कोविड हॉस्पिटल एलएनजेपी में उन्हें दो बार प्लाज्मा थेरेपी दी गई. इसके बावजूद भी डॉ. जोगिंदर को बचाया नहीं जा सका.

फेफड़ा और किडनी हो गए थे खराब

जब डॉक्टर जोगिंदर का इलाज गंगाराम हॉस्पिटल में चल रहा था और उनकी तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई. डॉ. जोगिंदर का एक फेफड़ा डैमेज हो चुका था और किडनी भी खराब होने लगी थी. गंगा राम हॉस्पिटल के डॉक्टर ने पूरी मेहनत की और डॉक्टर की जान बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन किसी अनजान वजह से डॉ. जोगिंदर की शरीर में कोरोना वायरस ज्यादा मात्रा में फैल गया था. जोगिंदर वेंटिलेटर पर थे. प्रतिष्ठित साइंस जर्नल लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, वेंटिलेटर पर पहुंचे हुए मरीजों के जिंदा बचने की उम्मीद सिर्फ 20 फीसदी ही होती है.

परिजनों को मिली सहायता राशि

जोगिंदर के घर में दो मौतें होने से उनकी पिता राजेंद्र चौधरी गहरे सदमे में हैं. बता दें कि 3 अगस्त को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा दिल्ली सरकार के अस्पताल में तैनात हमारे कोरोना वॉरियर डॉ. जोगिंदर चौधरी ने अपनी जान की बाजी लगाकर मरीजों की सेवा की हाल ही में कोरोना संक्रमण से डॉ. चौधरी का निधन हो गया था, आज उनके परिजनों से मिलकर 1 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी. भविष्य में भी परिवार की हर संभव मदद करेंगे.

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