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वर्ल्ड रोज डे: AIIMS में लोगों ने ब्लड डोनेट करके दी अपने परिजनों को श्रद्धांजलि

कैंसर मरीजों को समर्पित वर्ल्ड रोज डे के अवसर पर एम्स में उन लोगों को श्रद्धांजलि दी गई, जिनकी मौत किसी बीमारी की वजह से हुई है. साथ ही कैंसर मरीजों की मदद के लिए ब्लड डोनेशन कैम्प लगाकर 100 यूनिट ब्लड जमा किया गया.

world rose day
वर्ल्ड रोज डे
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Published : Sep 22, 2020, 9:54 PM IST

नई दिल्ली: वर्ल्ड रोज डे के अवसर पर देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया. इस ब्लड डोनेशन कैंप में 100 यूनिट ब्लड जमा किया गया. एम्स परिवार के अलावा बहुत सारे ऐसे लोगों ने भी ब्लड डोनेट किया, जिन्होंने ब्लड कैंसर की वजह से अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार को खो दिया है.

लोगों ने ब्लड डोनेट करके दी अपने परिजनों को श्रद्धांजलि

ऐसे ही ब्लड डोनर हैं पल्लव. इनकी बहन ब्लड कैंसर से पीड़ित थी. जुलाई 2020 में यानि सिर्फ 2 महीने पहले ही उन्होंने अपनी बहन को ब्लड कैंसर की वजह से खो दिया.

पल्लव की बहन का इलाज एम्स में ही चल रहा था. ब्लड कैंसर से एक लंबा संघर्ष करने के बाद उनकी बहन की 31 जुलाई को मौत हो गई. अपनी बहन की आत्मा की शांति के लिए पल्लव ने सबसे पहले अपना ब्लड डोनेट किया.

पल्लव ने बताया कि उनकी बहन को कैंसर था. उन्होंने काफी बहादुरी के साथ कैंसर के साथ संघर्ष किया, लेकिन आखिरकार 31 जुलाई को उनकी मौत हो गई.

मोटिवेशनल प्रोग्राम की दी सलाह

पल्लव ने इस अवसर पर एक सुझाव भी दिया. कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहे मरीजों के उत्साहवर्धन के लिए कुछ मोटिवेशनल प्रोग्राम का भी आयोजन किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली: वर्ल्ड रोज डे के अवसर पर देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया. इस ब्लड डोनेशन कैंप में 100 यूनिट ब्लड जमा किया गया. एम्स परिवार के अलावा बहुत सारे ऐसे लोगों ने भी ब्लड डोनेट किया, जिन्होंने ब्लड कैंसर की वजह से अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार को खो दिया है.

लोगों ने ब्लड डोनेट करके दी अपने परिजनों को श्रद्धांजलि

ऐसे ही ब्लड डोनर हैं पल्लव. इनकी बहन ब्लड कैंसर से पीड़ित थी. जुलाई 2020 में यानि सिर्फ 2 महीने पहले ही उन्होंने अपनी बहन को ब्लड कैंसर की वजह से खो दिया.

पल्लव की बहन का इलाज एम्स में ही चल रहा था. ब्लड कैंसर से एक लंबा संघर्ष करने के बाद उनकी बहन की 31 जुलाई को मौत हो गई. अपनी बहन की आत्मा की शांति के लिए पल्लव ने सबसे पहले अपना ब्लड डोनेट किया.

पल्लव ने बताया कि उनकी बहन को कैंसर था. उन्होंने काफी बहादुरी के साथ कैंसर के साथ संघर्ष किया, लेकिन आखिरकार 31 जुलाई को उनकी मौत हो गई.

मोटिवेशनल प्रोग्राम की दी सलाह

पल्लव ने इस अवसर पर एक सुझाव भी दिया. कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहे मरीजों के उत्साहवर्धन के लिए कुछ मोटिवेशनल प्रोग्राम का भी आयोजन किया जाना चाहिए.

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