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टीबी कंट्रोल प्रोग्राम से जुड़ा बीएलके मैक्स अस्पताल सरकार के साथ मिलकर करेगा इलाज

देश के मशहूर बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ड्रग रेजिस्टेंस DR-TB का इलाज भी करेगा. टीबी के मरीजों को बीएलके मैक्स अस्पताल में नई एंटी ट्यूबरकूलर दवाइयां फ्री में मिलेंगे.

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बीएलके मैक्स अस्पताल
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Published : Jul 9, 2022, 2:35 PM IST

नई दिल्ली : देश के मशहूर बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को और विस्तार दिया है. अस्पताल और सरकार के साथ मिलकर ड्रग रेजिस्टेंस DR -TB का इलाज भी करेगा. सरकार के साथ मिलकर यह काम करने वाला बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल दिल्ली का पहला और देश का तीसरा प्राइवेट अस्पताल बन गया है. यानी टीबी के मरीजों को बीएलके मैक्स अस्पताल में नई एंटी ट्यूबरकूलर दवाइयां फ्री में मिलेंगे. अब तक यह दवाइयां सिर्फ सरकार से संबंधित सेंटर्स पर मिलती थी. दिल्ली क्षेत्र में टीवी की यह दवाइयां देने वाला बीएलके मैक्स पहला अस्पताल बन गया है.

बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सेंटर ऑफ चेस्ट एंड रेस्पिरेट्री डिजीज के सीनियर डायरेक्टर और एचओडी डॉ संदीप नायर ने बताया कि टीवी को समाप्त करने के लिए राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम से जुड़कर हमें बहुत खुशी हो रही है. इसके तहत फ्री में लेटेस्ट ट्रीटमेंट दिए जाएंगे. बीमारी के बारे में लोगों के बीच जागरूकता की भी जरूरत है. इस बीमारी का सही तरीके से पता लगाना और फिर ओरल मेडिसिन के जरिए बेहतर इलाज बेहद आवश्यक है. भारत में डीआर- टीवी का प्रसार बड़ा है. इस बीमारी का इलाज आसान नहीं है. लेकिन इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली नए किस्म की दवाइयों ने इसे सरल बना दिया है. डीआरटीवी के इलाज के लिए पहले 12- 15 महीने तक दवाई चलती थी जो घटकर सिर्फ 6 महीने हो गई है. पोलियो की तरह ही टीवी को समाप्त करने के लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों की तरफ से ही प्रयास करने की जरूरत है.

बीएलके मैक्स अस्पताल

डॉक्टर संदीप नायक ने कहा है कि भारत में 2021 में करीब 21,000 टीवी कैस आए थे. इनमें से करीब 50,000 केस Multidrug-Resistant रिफैंपिसिन के थे, जबकि दूसरी तरफ कुल एक पॉइंट 10,00,00 केस में 80, 000 मरीज ऐसे थे जिनकी बीमारी का पता अकेले दिल्ली में प्राइवेट अस्पतालों में लगाया गया. दिल्ली में अर्बन स्लम्स की बड़ी आबादी है. यहां बाहर से आए हुए लोग भी बड़ी तादाद में है. लिहाजा यहां ट्रांसमिशन रेट यानी टीवी के फैलने का रेट काफी हाई रहता है. 2021 में ही है 2000 के drug-resistant ट्यूबरक्लोसिस के आए थे. भारत सरकार टीवी के पता लगाने से लेकर इससे बचाव और इलाज पर काफी ज्यादा ध्यान दे रही है. रिवाइज नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का लक्ष्य 2028 तक टीवी केस 90 फ़ीसदी तक काम करना और 2030 तक इस से होने वाली मौतों के केस 95 फ़ीसदी तक काम करने का है. सरकार की इस देशव्यापी मुहिम में अब बीएलके अस्पताल भी अहम भागीदारी निभा रहा है.

नई दिल्ली : देश के मशहूर बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को और विस्तार दिया है. अस्पताल और सरकार के साथ मिलकर ड्रग रेजिस्टेंस DR -TB का इलाज भी करेगा. सरकार के साथ मिलकर यह काम करने वाला बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल दिल्ली का पहला और देश का तीसरा प्राइवेट अस्पताल बन गया है. यानी टीबी के मरीजों को बीएलके मैक्स अस्पताल में नई एंटी ट्यूबरकूलर दवाइयां फ्री में मिलेंगे. अब तक यह दवाइयां सिर्फ सरकार से संबंधित सेंटर्स पर मिलती थी. दिल्ली क्षेत्र में टीवी की यह दवाइयां देने वाला बीएलके मैक्स पहला अस्पताल बन गया है.

बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सेंटर ऑफ चेस्ट एंड रेस्पिरेट्री डिजीज के सीनियर डायरेक्टर और एचओडी डॉ संदीप नायर ने बताया कि टीवी को समाप्त करने के लिए राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम से जुड़कर हमें बहुत खुशी हो रही है. इसके तहत फ्री में लेटेस्ट ट्रीटमेंट दिए जाएंगे. बीमारी के बारे में लोगों के बीच जागरूकता की भी जरूरत है. इस बीमारी का सही तरीके से पता लगाना और फिर ओरल मेडिसिन के जरिए बेहतर इलाज बेहद आवश्यक है. भारत में डीआर- टीवी का प्रसार बड़ा है. इस बीमारी का इलाज आसान नहीं है. लेकिन इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली नए किस्म की दवाइयों ने इसे सरल बना दिया है. डीआरटीवी के इलाज के लिए पहले 12- 15 महीने तक दवाई चलती थी जो घटकर सिर्फ 6 महीने हो गई है. पोलियो की तरह ही टीवी को समाप्त करने के लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों की तरफ से ही प्रयास करने की जरूरत है.

बीएलके मैक्स अस्पताल

डॉक्टर संदीप नायक ने कहा है कि भारत में 2021 में करीब 21,000 टीवी कैस आए थे. इनमें से करीब 50,000 केस Multidrug-Resistant रिफैंपिसिन के थे, जबकि दूसरी तरफ कुल एक पॉइंट 10,00,00 केस में 80, 000 मरीज ऐसे थे जिनकी बीमारी का पता अकेले दिल्ली में प्राइवेट अस्पतालों में लगाया गया. दिल्ली में अर्बन स्लम्स की बड़ी आबादी है. यहां बाहर से आए हुए लोग भी बड़ी तादाद में है. लिहाजा यहां ट्रांसमिशन रेट यानी टीवी के फैलने का रेट काफी हाई रहता है. 2021 में ही है 2000 के drug-resistant ट्यूबरक्लोसिस के आए थे. भारत सरकार टीवी के पता लगाने से लेकर इससे बचाव और इलाज पर काफी ज्यादा ध्यान दे रही है. रिवाइज नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का लक्ष्य 2028 तक टीवी केस 90 फ़ीसदी तक काम करना और 2030 तक इस से होने वाली मौतों के केस 95 फ़ीसदी तक काम करने का है. सरकार की इस देशव्यापी मुहिम में अब बीएलके अस्पताल भी अहम भागीदारी निभा रहा है.

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