नई दिल्ली: नर्सिंग कोरोना योद्धा अपनी समस्याओं के समाधान के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन से मुलाकात के लिए उनके आवास पहुंचे. ये दूसरी बार है जब ये सभी स्वास्थ्य मंत्री के आवास पर पहुंचे थे. हालांकि, पहली बार की तरह ही इस बार भी उनकी मुलाकात उनसे नहीं हो पाई तो उन्होंने उनके आवास पर अपनी मांग से संबंधित एक ज्ञापन दे दिया. साथ ही उन्होंने उनकी समस्या को गंभीरता से सुनने के लिए उनसे एक अपॉइंटमेंट की मांग की.
6 साल से वेतन में विसंगतियां नहीं हुई ठीक
हरीश काजला ने बताया कि आज से कुछ महीने पहले 16 अक्टूबर 2019 को वेतन विसंगतियों को लेकर हमारा एक बड़ा मुद्दा था. जिसे लेकर हमने वेतन की विसंगतियों का मुद्दा उठाया था. हमें बेसिक सैलरी कम दिया जा रहा था. पिछले 14 साल से वेतन की विसंगतियों का शिकार होकर आर्थिक नुकसान झेलने को हम लोग मजबूर थे. इस मुद्दे को लेकर स्वास्थ्य मंत्री के साथ हमारी एक मीटिंग हुई थी. उस मीटिंग में उन्होंने यह माना कि हमारे साथ गलत हो रहा है. कुछ समय के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने हमें बताया कि हमारा यह मुद्दा सॉल्व कर दिया गया है. इसको लेकर एक इंप्लीमेंटेशन ऑर्डर ईशू भी कर दिया गया है. हमारा बेसिक जो 18460 रुपये बनता है, उसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. लेकिन कोरोना काल में इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है और जिन लोगों को इस आर्डर से फायदा होने वाला था उसको खत्म करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
पेंशन स्कीम में सरकार की भागीदारी हुई कम
काजला ने बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाली न्यू पेंशन स्कीम के लिए सरकार का जो योगदान है वह लगभग 4 परसेंट हैं. उसे एम्स कर्मचारियों के लिए कम कर दिया गया है. दूसरी तरफ हमारा जो महंगाई भत्ता है साल में दो बार बढ़ता है, उसे रोक दिया गया है.
लैंगिक भेदभाव एक बड़ा मुद्दा
हमारा एक दूसरा मुद्दा है लैंगिक भेदभाव का, जहां हमारे प्रोफेशन को 80-20 के अनुपात में डिफाइन किया जा रहा है. यानी 100 नर्सिंग स्टाफ में से 80 महिलाएं होगी और 20 पुरुष होंगे. ऐसे फैसलों के द्वारा हमें लगातार आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है. जहां हमारी बेसिक सैलरी 18460 रुपये है. हमारा एनपीएस के लिए जो गवर्नमेंट कंट्रीब्यूशन का मुद्दा है वो बंद है. मंहगाई भत्ते का मुद्दा है. इन सभी मुद्दों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से मिलना चाहते हैं. उनके सामने पक्ष रखना चाहते हैं, लेकिन जब बहुत दिनों तक इंतजार करने के बाद भी मंत्री की तरफ से कोई पहल नहीं की जाती है तो हम मजबूर होकर स्वास्थ्य मंत्री के घर पर उनसे मुलाकात करने पहुंच गए.
एक बार और मंत्री से की थी मुलाकात की कोशिश
काजला ने बताया कि एक बार पहले भी स्वास्थ्य मंत्री से मिलने आ चुके हैं लेकिन वापस लौटा दिया गया था. अब दूसरी बार आए हैं. इनके निवास पर हमने प्रतिवेदन भी जमा करा दिया है और उनसे आग्रह किया है जो जल्द से जल्द कोई ऐसा समय दें जब हम उनसे मिलकर अपनी समस्याएं पहुंचा सके और उनका कोई उचित समाधान निकल सके.