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एम्स के डॉक्टरों ने मानव शवों पर सीखी प्लास्टिक सर्जरी की बारीकियां, जाने माने चिकित्सक डॉ संजय पाराशर ने दिया प्रशिक्षण

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 22, 2023, 9:26 PM IST

एम्स के चिकित्सकों ने जाने माने चिकित्सक डॉ. संजय पाराशर से प्लास्टिक सर्जकी की बारीकियां सीखी. एम्स के डॉक्टर्स को सिमुलेशन मॉडल के तहत प्रशिक्षण दिया गया. डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने के लिए दो दिवसीय इन-हाउस कार्यशाला का आयोजन किया गया.

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नई दिल्ली: एम्स के डॉक्टरों ने मानव शवों पर प्लास्टिक सर्जरी की बारीकियां सीखी. जाने-माने प्लास्टिक सर्जन डॉ. संजय पराशर ने डॉक्टरों को सिमुलेशन मॉडल पर प्रशिक्षण दिया. डॉक्टरों ने प्लास्टिक एवं बर्न विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में मानव शवों पर प्लास्टिक सर्जरी की बारीकियां सीखी. रेजिडेंट डॉक्टरों को प्लास्टिक सर्जरी की बारिकियों को सिखाने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए एम्स के प्लास्टिक एवं बर्न विभाग में मंगलवार को एक विशेष इन-हाउस प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया.

दो दिवसीय इन हाउस कार्यशाला: डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने के लिए दो दिवसीय इन-हाउस कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें व्यावहारिक प्रशिक्षण के तहत शवों पर अभ्यास किया गया. विभाग ने कॉस्मेटिक सर्जन और शिक्षक डॉ. संजय पाराशर को इस कार्यक्रम के लिए गेस्ट फैकल्टी के रूप में आमंत्रित किया था. प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनीष सिंघल ने प्लास्टिक सर्जरी के समग्र पाठ्यक्रम में कॉस्मेटिक सर्जरी को शामिल करने के महत्व के बारे में बताया.

उन्होंने बताया कि रेजिडेंसी पूरा करने पर रेसिडेंट डॉक्टरों के लिए प्रैक्टिकल नॉलेज ही महत्वपूर्ण होता है. विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शशांक चौहान ने कहा कि दो दिवसीय गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान, विभिन्न सर्जिकल प्रक्रियाएं आयोजित की गईं, जिसमें महत्वपूर्ण वजन घटाने वाले मरीजों के लिए बॉडी कॉन्टूरिंग सर्जरी (टमी टक) के साथ-साथ राइनोप्लास्टी (नाक) पर ध्यान दिया गया.

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सिमुलेशन मॉडल से कॉस्मेटिक सर्जरी सीखना आसान: सहायक प्रोफेसर डॉ. शिवांगी साहा ने कहा कि शवों और सिमुलेशन मॉडल का उपयोग कॉस्मेटिक सर्जरी की जटिलताओं को सीखने के लिए एक अनोखा और बेहतरीन अनुभव प्राप्त हुआ. इन प्रक्रियाओं से न केवल रेजिडेंट डॉक्टरों को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ, बल्कि जटिल चुनौतियों के बारे में उनकी समझ भी गहरी हुई. कॉस्मेटिक सर्जरी में शामिल तकनीकों से वे परिचित हो सके.

एम्स का प्लास्टिक सर्जरी विभाग अपने रेजिडेंट डॉक्टरों को स्वास्थ्य देखभाल शिक्षा और अभ्यास में उत्कृष्टता के लिए संस्थान की प्रतिष्ठा को बनाए रखते हुए भारत में कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तैयार कर रहा है. कार्यशाला में जाने-माने प्लास्टिक सर्जन डॉ. संजय पाराशर ने कहा कि इस प्रकार की रिकंस्ट्क्शन सर्जरी के लिए आत्मविश्वास और उच्च कोटि के कौशल की आवश्यकता होती है.

ये भी पढ़ें: DELHI AIIMS: डॉक्टरों ने फिर किया चमत्कार, जुड़वा बहनों के शरीर को किया सफलतापूर्वक अलग

नई दिल्ली: एम्स के डॉक्टरों ने मानव शवों पर प्लास्टिक सर्जरी की बारीकियां सीखी. जाने-माने प्लास्टिक सर्जन डॉ. संजय पराशर ने डॉक्टरों को सिमुलेशन मॉडल पर प्रशिक्षण दिया. डॉक्टरों ने प्लास्टिक एवं बर्न विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में मानव शवों पर प्लास्टिक सर्जरी की बारीकियां सीखी. रेजिडेंट डॉक्टरों को प्लास्टिक सर्जरी की बारिकियों को सिखाने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए एम्स के प्लास्टिक एवं बर्न विभाग में मंगलवार को एक विशेष इन-हाउस प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया.

दो दिवसीय इन हाउस कार्यशाला: डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने के लिए दो दिवसीय इन-हाउस कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें व्यावहारिक प्रशिक्षण के तहत शवों पर अभ्यास किया गया. विभाग ने कॉस्मेटिक सर्जन और शिक्षक डॉ. संजय पाराशर को इस कार्यक्रम के लिए गेस्ट फैकल्टी के रूप में आमंत्रित किया था. प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनीष सिंघल ने प्लास्टिक सर्जरी के समग्र पाठ्यक्रम में कॉस्मेटिक सर्जरी को शामिल करने के महत्व के बारे में बताया.

उन्होंने बताया कि रेजिडेंसी पूरा करने पर रेसिडेंट डॉक्टरों के लिए प्रैक्टिकल नॉलेज ही महत्वपूर्ण होता है. विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शशांक चौहान ने कहा कि दो दिवसीय गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान, विभिन्न सर्जिकल प्रक्रियाएं आयोजित की गईं, जिसमें महत्वपूर्ण वजन घटाने वाले मरीजों के लिए बॉडी कॉन्टूरिंग सर्जरी (टमी टक) के साथ-साथ राइनोप्लास्टी (नाक) पर ध्यान दिया गया.

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सिमुलेशन मॉडल से कॉस्मेटिक सर्जरी सीखना आसान: सहायक प्रोफेसर डॉ. शिवांगी साहा ने कहा कि शवों और सिमुलेशन मॉडल का उपयोग कॉस्मेटिक सर्जरी की जटिलताओं को सीखने के लिए एक अनोखा और बेहतरीन अनुभव प्राप्त हुआ. इन प्रक्रियाओं से न केवल रेजिडेंट डॉक्टरों को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ, बल्कि जटिल चुनौतियों के बारे में उनकी समझ भी गहरी हुई. कॉस्मेटिक सर्जरी में शामिल तकनीकों से वे परिचित हो सके.

एम्स का प्लास्टिक सर्जरी विभाग अपने रेजिडेंट डॉक्टरों को स्वास्थ्य देखभाल शिक्षा और अभ्यास में उत्कृष्टता के लिए संस्थान की प्रतिष्ठा को बनाए रखते हुए भारत में कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तैयार कर रहा है. कार्यशाला में जाने-माने प्लास्टिक सर्जन डॉ. संजय पाराशर ने कहा कि इस प्रकार की रिकंस्ट्क्शन सर्जरी के लिए आत्मविश्वास और उच्च कोटि के कौशल की आवश्यकता होती है.

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