नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा भाजपा शासित तीनों MCD को सेवानिवृत्त और मौजूदा कर्मचारियों को 5 अप्रैल तक वेतन व पेंशन देने के आदेश पर खुशी जाहिर की है. ‘आप’ के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार का कोई बकाया नहीं होने की वजह से दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों MCD के कमिश्नर्स को पेंशन और वेतन देने का सीधे आदेश दिया है.
साथ ही कोर्ट ने सेवानिवृत्त और मौजूदा कर्मचारियों के वेतन व पेंशन के लिए भाजपा शासित एमसीडी के कमिश्नर्स को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार भी ठहराया है. उन्होंने कहा कि एमसीडी की 5 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने बता दिया है कि दिल्लीवालों ने भाजपा की बहानेबाजी को ठुकरा दिया है और उसे पांच में से जीरो सीट दी है.
हाई कोर्ट ने बटन संबंधी समस्याओं के लिये एमसीडी के कमिश्नर्स को जिम्मेदार ठहराया
दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने भाजपा शासित तीनों MCD को आगामी 5 अप्रैल तक सभी सेवानिवृत्त और मौजूदा कर्मचारियों को वेतन और पेंशन देने का आदेश दिया है. आम आदमी पार्टी ने हाईकोर्ट के इस आदेश पर खुशी जाहिर की है. इस संबंध में पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता एवं विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 9 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच, जिसमें न्यायाधीश विपिन सांगी और रेखा पल्ली हैं.
उन्होंने दिल्ली नगर निगम के रिटायर्ड और मौजूदा कर्मचारियों की व्यथा को सुनते हुए एक बहुत महत्वपूर्ण आदेश तीनों नगर निगमों के आयुक्तों को दिया है. यानी तीनों एमसीडी के कमिश्नरों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में MCD में काम कर रहे हैं और सेवानिवृत्त कर्मचारियों जैसे- टीचरों, डॉक्टरों, नर्सों, सफाई कर्मचारियों और अन्य अधिकारियों की पेंशन व वेतन भाजपा शासित एमसीडी ने कई महीनों से नहीं दी है.
5 अप्रैल तक वेतन और पेंशन क्लियर करने का आदेश
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि वेतन और पेंशन को लेकर इन कर्मचारियों ने हड़ताल करके देख ली, बातचीत करके देख ली, मगर उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है. अंततः दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों नगर निगमों को यह आदेश दिया है कि 5 अप्रैल तक इन सभी कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन को दे दिया जाए.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि एमसीडी के वकीलों ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाने की कोशिश की थी, मगर दिल्ली सरकार का कोई बकाया नहीं होने की वजह से दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से यह निर्देश सीधे-सीधे MCD के कमिश्नर्स को दिया गया है.