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लॉकडाउन में गई नौकरी तो शुरू किया कूड़ा बीनने का काम - कूड़ा बीनना

शाहदरा जिले के यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के बाहर कूड़ा उठाता अयूब पहले किसी फैक्ट्री में काम करता था. जो लॉकडाउन की वजह से छूट गई. लॉकडाउन में तो अयूब ने भी मजबूरी में लाइनों में खड़े हो कर खाना लिया. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन में रियायत मिली तो किसी का मोहताज बनने के बजाए कूड़ा बीनना बेहतर समझा.

man lost his job in lockdown so started ragpicker work
लॉकडाउन में गई नौकरी
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Published : May 24, 2020, 7:39 PM IST

नई दिल्ली: लॉकडाउन में खाने के लिए आपने कई लोगों को लंबी-लंबी लाइनों में लगते हुए देखा होगा. इसमें कुछ लोग ऐसे भी देखने को मिले, जो साधनों के बाद भी लाइनों में खड़े हुए और एक के बजाए कई संस्थानों में सहायता ले रहे हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कूड़ा बीन कर अपनी रोटी कमा रहे हैं और अपने साथ ही कई बेसहारा जानवरों का भी पेट भर रहे हैं.

लॉकडाउन में हौंसले बुलंद

अनूठा कर्मवीर

शाहदरा जिले के यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के बाहर कूड़ा उठाता अयूब पहले किसी फैक्ट्री में काम करता था. जो लॉकडाउन की वजह से छूट गई. लॉकडाउन में तो अयूब ने भी मजबूरी में लाइनों में खड़े होकर खाना लिया, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन में रियायत मिली तो किसी का मोहताज बनने के बजाए कूड़ा बीनना बेहतर समझा. वो सुबह ही बोरी लेकर निकल पड़ता है और सड़कों के किनारे पड़े कूड़े को उठाकर कबाड़ी वाले को बेच देता है. इससे रोजाना उसे औसतन 200 रुपये मिल जाते हैं.


जानवरों का भी रखता है ख्याल

अयूब इस तरह से केवल अपना और अपने परिवार का ही पेट नहीं भरता, बल्कि वो कई बेसहारा जानवरों के खाने का भी इंतजाम करता है. उसका कहना है कि अभी बहुत सारे लोग बांटने वालों से खाना तो ले लेते हैं, लेकिन पूरा खाने के बजाए ढेर सारा खाना फेंक देते हैं. अयूब ऐसे खाने को इकट्ठा करता है और जानवरों के लिए खाना इकट्ठा करने वाली संस्था को दे देता है. इससे कई जानवरों के खाने का इंतजाम हो जाता है.

नई दिल्ली: लॉकडाउन में खाने के लिए आपने कई लोगों को लंबी-लंबी लाइनों में लगते हुए देखा होगा. इसमें कुछ लोग ऐसे भी देखने को मिले, जो साधनों के बाद भी लाइनों में खड़े हुए और एक के बजाए कई संस्थानों में सहायता ले रहे हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कूड़ा बीन कर अपनी रोटी कमा रहे हैं और अपने साथ ही कई बेसहारा जानवरों का भी पेट भर रहे हैं.

लॉकडाउन में हौंसले बुलंद

अनूठा कर्मवीर

शाहदरा जिले के यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के बाहर कूड़ा उठाता अयूब पहले किसी फैक्ट्री में काम करता था. जो लॉकडाउन की वजह से छूट गई. लॉकडाउन में तो अयूब ने भी मजबूरी में लाइनों में खड़े होकर खाना लिया, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन में रियायत मिली तो किसी का मोहताज बनने के बजाए कूड़ा बीनना बेहतर समझा. वो सुबह ही बोरी लेकर निकल पड़ता है और सड़कों के किनारे पड़े कूड़े को उठाकर कबाड़ी वाले को बेच देता है. इससे रोजाना उसे औसतन 200 रुपये मिल जाते हैं.


जानवरों का भी रखता है ख्याल

अयूब इस तरह से केवल अपना और अपने परिवार का ही पेट नहीं भरता, बल्कि वो कई बेसहारा जानवरों के खाने का भी इंतजाम करता है. उसका कहना है कि अभी बहुत सारे लोग बांटने वालों से खाना तो ले लेते हैं, लेकिन पूरा खाने के बजाए ढेर सारा खाना फेंक देते हैं. अयूब ऐसे खाने को इकट्ठा करता है और जानवरों के लिए खाना इकट्ठा करने वाली संस्था को दे देता है. इससे कई जानवरों के खाने का इंतजाम हो जाता है.

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