नई दिल्ली: विवेक विहार चौराहे पर तिरंगा बेचने वाले मुहम्मद गोनी बताते हैं कि वे पिछले 18 सालों से 26 जनवरी और 15 अगस्त के मौके पर तिरंगा बेचते हैं. आम दिनों में वे इसी चौक पर दस्ताने बेचते हैं, जिससे बमुश्किल परिवार का गुजारा होता है, लेकिन इन मौकों पर आखिरी के दो दिन में तिरंगे की बिक्री से इतनी कमाई हो जाती है, जितनी वे दो महीने में दस्ताना बेचकर नहीं कमा पाते हैं.
मोटरसाइकिल वाले तिरंगे की ज्यादा मांग
गोनी बताते हैं कि उनके पास छोटे, बड़े, कागज, कपड़े और गुब्बारे हर तरह के तिरंगे हैं. जिसे आखिरी के दो दिनों में खरीदने वालों की भीड़ लग जाती है. वैसे तो इसे नेता से लेकर फैक्ट्री वाले सभी खरीदते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा बिक्री मोटरसाइकिल पर लगने वाले तिरंगे की होती है.
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ढाई से तीन गुना हो गए भाव
गोनी की मानें तो इस बार तिरंगे पर भी कोरोना का असर पड़ा है, जिसकी वजह से इसका भाव बढ़कर लगभग ढाई से तीन गुना हो गया है. उनका कहना है कि मोटरसाईकल पर लगने वाला तिरंगा पिछले साल बाजार में तीन रुपये का मिल रहा था, जो इस बार बढ़कर 8 से 10 रुपए का बिक रहा है.