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दिल्ली: बिजली कंपनियों के RTI कानून के तहत आने में DERC बनी बाधा

बिजली वितरण कंपनियों की मनमानी को देखते हुए इसे सूचना के अधिकार कानून के तहत लाने की कोशिश हुई, लेकिन दिल्ली सरकार की दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (DERC) बाधा बन रही है.

Delhi electricity companies
दिल्ली बिजली कंपनियां
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Published : Aug 29, 2020, 11:28 AM IST

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सरकार बनाने से पहले बिजली और पानी को लेकर भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े आरोप लगाए थे. पार्टी इस भ्रष्टाचार को खत्म करने के नाम पर ही सत्ता में आई थी, लेकिन अब हालत ये हैं कि साल 2006 में आरटीआई के प्रति जागरूकता लाने के लिए मैग्सेसे पुरस्कार जीतने वाले अरविन्द केजरीवाल की सरकार बिजली वितरण कंपनियों को आरटीआई के दायरे में लाने से बचाने का काम कर रही है.

बिजली कंपनियों को RTI में लाने की मांग

पिछले चार साल से लंबित है आदेश

बिजली वितरण कंपनियों की मनमानी को देखते हुए इसे सूचना के अधिकार कानून के तहत लाने की कोशिश हुई, तो साल 2006 में केन्द्रीय सूचना आयोग ने इसे सूचना के अधिकार कानून के तहत लाने का आदेश दिया, लेकिन दिल्ली सरकार की दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (DERC) जो खुद आरटीआई के दायरे में आती है. वो सीआईसी के आदेश के खिलाफ अदालत चली गई.

DERC hinders Delhi electricity companies from coming under RTI Act
कोर्ट आदेश

4 साल से कोर्ट में पेंडिंग पड़ा है आदेश

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट में नवंबर 2016 में इस मामले में आखिरी सुनवाई हुई थी. तब से लेकर अब तक आदेश का इंतजार किया जा रहा है. आरटीआई एक्टिविस्ट अखिल राणा का कहना है कि इस बाबत 2016 के बाद दिल्ली सरकार को कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन सरकार ने आदेश जारी करवाने के लिए हाईकोर्ट में कोई प्रयास नहीं किया.

DERC hinders Delhi electricity companies from coming under RTI Act
आरटीआई दाखिल कर मांगा जानकारी

आदेश के अभाव में बिजली कंपनियां कर रही हैं मनमानी

बता दें कि पहले दिल्ली मेट्रो भी खुद को आरटीआई के दायरे से बाहर होने की बात करता था, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद अब वो दायरे में आ गया. लेकिन बिजली कंपनियां अभी भी खुद को इस कानून के दायरे से बाहर बताती हैं. वहीं इस मामले में कोर्ट के आदेश नहीं आने की वजह से बिजली कंपनियों की मनमानी जारी है और जनता परेशान हो रही है.

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सरकार बनाने से पहले बिजली और पानी को लेकर भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े आरोप लगाए थे. पार्टी इस भ्रष्टाचार को खत्म करने के नाम पर ही सत्ता में आई थी, लेकिन अब हालत ये हैं कि साल 2006 में आरटीआई के प्रति जागरूकता लाने के लिए मैग्सेसे पुरस्कार जीतने वाले अरविन्द केजरीवाल की सरकार बिजली वितरण कंपनियों को आरटीआई के दायरे में लाने से बचाने का काम कर रही है.

बिजली कंपनियों को RTI में लाने की मांग

पिछले चार साल से लंबित है आदेश

बिजली वितरण कंपनियों की मनमानी को देखते हुए इसे सूचना के अधिकार कानून के तहत लाने की कोशिश हुई, तो साल 2006 में केन्द्रीय सूचना आयोग ने इसे सूचना के अधिकार कानून के तहत लाने का आदेश दिया, लेकिन दिल्ली सरकार की दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (DERC) जो खुद आरटीआई के दायरे में आती है. वो सीआईसी के आदेश के खिलाफ अदालत चली गई.

DERC hinders Delhi electricity companies from coming under RTI Act
कोर्ट आदेश

4 साल से कोर्ट में पेंडिंग पड़ा है आदेश

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट में नवंबर 2016 में इस मामले में आखिरी सुनवाई हुई थी. तब से लेकर अब तक आदेश का इंतजार किया जा रहा है. आरटीआई एक्टिविस्ट अखिल राणा का कहना है कि इस बाबत 2016 के बाद दिल्ली सरकार को कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन सरकार ने आदेश जारी करवाने के लिए हाईकोर्ट में कोई प्रयास नहीं किया.

DERC hinders Delhi electricity companies from coming under RTI Act
आरटीआई दाखिल कर मांगा जानकारी

आदेश के अभाव में बिजली कंपनियां कर रही हैं मनमानी

बता दें कि पहले दिल्ली मेट्रो भी खुद को आरटीआई के दायरे से बाहर होने की बात करता था, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद अब वो दायरे में आ गया. लेकिन बिजली कंपनियां अभी भी खुद को इस कानून के दायरे से बाहर बताती हैं. वहीं इस मामले में कोर्ट के आदेश नहीं आने की वजह से बिजली कंपनियों की मनमानी जारी है और जनता परेशान हो रही है.

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