नई दिल्ली: दिल्ली के बुध विहार इलाके में एक बड़ा हादसा सामने आया है. यहां लोगों की सुविधा के मद्देनजर सीवर लाइन के लिए खोदे गए गड्ढे में गिरकर एक मजदूर की मौत हो गई, जबकि एक अन्य मजदूर घायल हो गया. दरअसल विजय विहार थाना इलाके के बुध विहार फेज-वन में जल बोर्ड द्वारा सीवर डालने की लाइन के लिए गहरा गड्ढा खोदा जा रहा है. इसी गढ्ढे में गुरुवार की रात को दो मजदूर गिर गए. घटना की सूचना मिलते ही दोनों मजदूरों को गड्ढे से निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने एक मजदूर को मृत घोषित कर दिया. वहीं दूसरे मजदूर की हालत गंभीर बताई जा रही है. पुलिस ने मृतक के शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है और लापरवाही का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
रोहिणी जिले के डीसीपी डॉ गुरइकबाल सिंह सिद्धू के मुताबिक, विजय विहार पुलिस को बीती गुरुवार को रात बुध विहार फेज-वन इलाके में गड्ढे में दो मजदूरों के गिरने की पीसीआर कॉल मिली थी. सूचना के बाद पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची, और राहत बचाव कार्य में जुट गई. इसके बाद घटनास्थल पर क्रेन को बुलाया गया और उसकी मदद से दोनों मजदूरों, हरेंद्र अैर निकेतन को रेस्क्यू कर पास के बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालांकि दोनों की हालत देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट कर दिया. उपचार के बीच हरेंद्र को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया, जबकि निकेतन की हालत स्थिर बताई जा रही है. बताया गया कि दोनों मजदूर काफी दिनों से ठेकेदारी में मजदूरी कर रहे थे, लेकिन इस दौरान भी उन्हें कोई सुरक्षा उपकरण नहीं दिया जाता था.
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वहीं दूसरी ओर कुछ चश्मदीद लोगों ने बताया कि जलबोर्ड की सीवर पाइप लाइन के लिए गड्ढा खोदा जा रहा है, जिसमें क्रेन की सहायता ली जा रही है. हादसे के वक्त दोनों मजदूर जब गड्ढे में गिरे, तो उनके ऊपर बड़ा पत्थर भी गिर गया, जिसको हटाने के लिए क्रेन की मदद ली गई थी. काफी मशक्कत के बाद दोनों को अधमरी हालत में मिट्टी से सना हुआ बाहर निकाला गया था. फिलहाल पुलिस ने इस संबंध में लापरवाही का मामला दर्ज कर लिया है और आगे की विधिक कार्रवाई में जुट गई है. लेकिन यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी मजदूर की मौत, सुरक्षा उपकरण न उपलब्ध कराए जाने से हुई है. अक्सर ऐसे हादसे के बाद प्रशासन जागता तो है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर मामला दर्ज कर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. शायद इसी का परिणाम है कि ऐसे हादसे अक्सर सामने आते रहते हैं.
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