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लॉकडाउन के बाद भी ग्रामीण सेवा चालकों की परेशानियां नहीं हुई कम

दिल्ली के टिकरी बॉर्डर मेट्रो स्टेशन के नीचे से चलने वाली ग्रामीण सेवा के चालक लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी परेशान हैं. जो अनलॉक में भी सवारी नहीं मिलने से परेशान हैं.

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Published : Jun 28, 2020, 4:42 PM IST

gramin sewa Delhi
ग्रामीण सेवा दिल्ली

नई दिल्ली: दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर ग्रामीण सेवा की गाड़ियां चलाने वाले चालक लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी परेशान नजर आ रहे हैं. क्योंकि सवारी ना हो पाने की वजह से उनकी कमाई पर बहुत असर पड़ा है.

लॉक डाउन के बाद भी ग्रामीण सेवा चालकों की स्थिति में नहीं हुआ बदलाव

कई-कई घंटों तक करना पड़ता है इंतजार

टिकरी बॉर्डर से पीरागढ़ी तक ग्रामीण सेवा चलती है. टिकरी बॉर्डर मेट्रो स्टेशन के नीचे ही सभी चालक लाइन लगाकर सवारियों का इंतजार करते हैं. लेकिन अनलॉक के बावजूद भी लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. जिसकी वजह से कई-कई घंटों तक चालकों को सवारियों का इंतजार करना पड़ता है.

कमाई से ज्यादा मार रहे हैं रोजाना के खर्चे

ग्रामीण सेवा चलाने वाले एक चालक ने बताया कि पूरे दिन में केवल 7 से 8 सौ रुपये की कमाई हो पाती है, जिसमें आधे रुपये गाड़ी में गैस भरवाने में ही लग जाते हैं. उनकी मुसीबतें केवल यहीं खत्म नहीं होती, क्योंकि इन्हें रोजाना अपनी गाड़ी का किराया देना होता है जो पहले से दोगुना कर दिया गया है.

इस वजह से इनके पास रोजाना ₹200 तक ही बच पाते हैं और इतने रुपये में घर खर्च चलाने में भी परेशानी आती है. इसलिए वह यह सोच कर परेशान रहते हैं कि यदि जल्दी हालात नहीं सुधरे तो फिर वह अपना और अपने परिवार का पेट कैसे पालेंगे.

नई दिल्ली: दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर ग्रामीण सेवा की गाड़ियां चलाने वाले चालक लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी परेशान नजर आ रहे हैं. क्योंकि सवारी ना हो पाने की वजह से उनकी कमाई पर बहुत असर पड़ा है.

लॉक डाउन के बाद भी ग्रामीण सेवा चालकों की स्थिति में नहीं हुआ बदलाव

कई-कई घंटों तक करना पड़ता है इंतजार

टिकरी बॉर्डर से पीरागढ़ी तक ग्रामीण सेवा चलती है. टिकरी बॉर्डर मेट्रो स्टेशन के नीचे ही सभी चालक लाइन लगाकर सवारियों का इंतजार करते हैं. लेकिन अनलॉक के बावजूद भी लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. जिसकी वजह से कई-कई घंटों तक चालकों को सवारियों का इंतजार करना पड़ता है.

कमाई से ज्यादा मार रहे हैं रोजाना के खर्चे

ग्रामीण सेवा चलाने वाले एक चालक ने बताया कि पूरे दिन में केवल 7 से 8 सौ रुपये की कमाई हो पाती है, जिसमें आधे रुपये गाड़ी में गैस भरवाने में ही लग जाते हैं. उनकी मुसीबतें केवल यहीं खत्म नहीं होती, क्योंकि इन्हें रोजाना अपनी गाड़ी का किराया देना होता है जो पहले से दोगुना कर दिया गया है.

इस वजह से इनके पास रोजाना ₹200 तक ही बच पाते हैं और इतने रुपये में घर खर्च चलाने में भी परेशानी आती है. इसलिए वह यह सोच कर परेशान रहते हैं कि यदि जल्दी हालात नहीं सुधरे तो फिर वह अपना और अपने परिवार का पेट कैसे पालेंगे.

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