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किसान आंदोलन: सेना के रिटायर्ड अधिकारियों का समर्थन, पहुंचे सिंघु बॉर्डर

दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर सेना के रिटायर्ड अधिकारियों ने पहुंचकर किसान आंदोलन का समर्थन किया. उन्होंने सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द किसानों की मांगें माने और आंदोलन खत्म कराए.

Retired army officers support farmers
सेना के रिटायर्ड अधिकारियों का किसानों को समर्थन
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Published : Dec 24, 2020, 3:06 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन का 28 वां दिन है और किसान लगातार अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने डटे हुए हैं. वहीं अब इन किसानों का साथ देने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग भी समर्थन करने के लिए दिल्ली के बॉर्डर पर पहुंच रहा है. सेना के उच्च पदस्थ रिटायर्ड (कर्नल) अधिकारी भी किसानों का समर्थन करने के लिए पहुंचे और सरकार से मांग की कि सरकार जल्द से जल्द किसानों की मांग माने और आंदोलन को खत्म करें. जिससे किसान जल्द से जल्द अपने घरों में जाकर अपनी फसल की देखरेख कर सके.

सेना के रिटायर्ड अधिकारियों का किसानों को समर्थन

सेना के रिटायर्ड कर्नल भी बॉर्डर पर पहुंचे
ईटीवी भारत से बात करते हुए सेना के रिटायर्ड अधिकारियों (कर्नल) ने कहा कि वह करीब तीन दशकों तक सेना में नौकरी करने के बाद अपने गांव में आकर खेती कर रहे हैं. उनके बेटे भी सीमा पर देश की रक्षा कर रहे हैं और किसानों के समर्थन में यह लोग भी समय-समय दिल्ली के बॉर्डर पर आ कर सरकार से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द किसान आंदोलन खत्म हो. सरकार कृषि कानून को रद्द करे जिससे किसानों को फायदा होगा.

नए कृषि कानूनों को वापस ले सरकार
सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी कर्नल जेएस बराड़ ने बताया कि उन्होंने पहले देश के लिए दुश्मनों से का सामना किया ओर अब खेती करने के साथ साथ बॉर्डर पर आकर किसानों का समर्थन कर रहे हैं. केंद्र सरकार से नए कृषि कानून बिल को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जो किसानों के विरोध में हैं. जिस के लागू होने से किसानों को नुकसान हो रहा है.

ये भी पढ़ें- सिंघु बॉर्डर: नेशनल हाईवे को किसानों ने बनाया खेल का मैदान! खेलते हैं वॉलीबॉल


सभी रिटायर्ड होने के बाद कर रहे हैं खेती
यह सभी अधिकारी पंजाब के चमकौर से दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में पहुंचे है. सरकार से अपील कर रहे हैं कि सरकार जल्द से जल्द किसानों की आवाज को सुने क्योंकि अब किसानों को बॉर्डर पर आंदोलन करते हुए 28 दिन हो गए हैं. सरकार को किसानों की समस्या पर ध्यान देते हुए जल्द से जल्द समस्या का समाधान करना चाहिए और आंदोलन भी बहुत लंबा खिंच गया है. यदि सरकार किसानों की बात नहीं मानती तो यह आंदोलन और भी लंबा चलेगा. किसान दिवस पर सरकार ने किसानों से बात की लेकिन किसानों और सरकार के बीच में कोई निर्णय नहीं निकल सका. जिसके बाद अब यही लग रहा है कि आंदोलन लंबा चलेगा क्योंकि दोनों पक्ष किसी ना किसी बात पर एक दूसरे से नाराज दिखाई दे रहे हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन का 28 वां दिन है और किसान लगातार अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने डटे हुए हैं. वहीं अब इन किसानों का साथ देने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग भी समर्थन करने के लिए दिल्ली के बॉर्डर पर पहुंच रहा है. सेना के उच्च पदस्थ रिटायर्ड (कर्नल) अधिकारी भी किसानों का समर्थन करने के लिए पहुंचे और सरकार से मांग की कि सरकार जल्द से जल्द किसानों की मांग माने और आंदोलन को खत्म करें. जिससे किसान जल्द से जल्द अपने घरों में जाकर अपनी फसल की देखरेख कर सके.

सेना के रिटायर्ड अधिकारियों का किसानों को समर्थन

सेना के रिटायर्ड कर्नल भी बॉर्डर पर पहुंचे
ईटीवी भारत से बात करते हुए सेना के रिटायर्ड अधिकारियों (कर्नल) ने कहा कि वह करीब तीन दशकों तक सेना में नौकरी करने के बाद अपने गांव में आकर खेती कर रहे हैं. उनके बेटे भी सीमा पर देश की रक्षा कर रहे हैं और किसानों के समर्थन में यह लोग भी समय-समय दिल्ली के बॉर्डर पर आ कर सरकार से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द किसान आंदोलन खत्म हो. सरकार कृषि कानून को रद्द करे जिससे किसानों को फायदा होगा.

नए कृषि कानूनों को वापस ले सरकार
सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी कर्नल जेएस बराड़ ने बताया कि उन्होंने पहले देश के लिए दुश्मनों से का सामना किया ओर अब खेती करने के साथ साथ बॉर्डर पर आकर किसानों का समर्थन कर रहे हैं. केंद्र सरकार से नए कृषि कानून बिल को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जो किसानों के विरोध में हैं. जिस के लागू होने से किसानों को नुकसान हो रहा है.

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सभी रिटायर्ड होने के बाद कर रहे हैं खेती
यह सभी अधिकारी पंजाब के चमकौर से दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में पहुंचे है. सरकार से अपील कर रहे हैं कि सरकार जल्द से जल्द किसानों की आवाज को सुने क्योंकि अब किसानों को बॉर्डर पर आंदोलन करते हुए 28 दिन हो गए हैं. सरकार को किसानों की समस्या पर ध्यान देते हुए जल्द से जल्द समस्या का समाधान करना चाहिए और आंदोलन भी बहुत लंबा खिंच गया है. यदि सरकार किसानों की बात नहीं मानती तो यह आंदोलन और भी लंबा चलेगा. किसान दिवस पर सरकार ने किसानों से बात की लेकिन किसानों और सरकार के बीच में कोई निर्णय नहीं निकल सका. जिसके बाद अब यही लग रहा है कि आंदोलन लंबा चलेगा क्योंकि दोनों पक्ष किसी ना किसी बात पर एक दूसरे से नाराज दिखाई दे रहे हैं.

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