नई दिल्ली : दिल्ली में नगर निगम ने जनता के पैसे से शौचालय बनवाए हैं, जो बदहाल हैं और सालों से ताला लटका हुआ है. इलाके के लोग और राहगीर इन सार्वजनिक शौचालय (Public Toilets) का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं. शालीमार बाग इलाके की आप विधायक वंदना कुमारी ने भाजपा शासित निगम पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्षदों ने शौच मुक्त अभियान के तहत स्वच्छता सर्टिफिकेट (Cleanliness Certificate) लेने के लिए यह शौचालय बनवाए, उसके बाद से इनका प्रयोग नहीं हो रहा है.
पार्षदों की लापरवाही के चलते शौचालय बदहाल और जर्जर हो गए. इस तरह के शौचालय केवल दिल्ली के किसी एक इलाके में ही नहीं पूरी दिल्ली के निगम वार्डों में बने हैं, जिनको लेकर आम आदमी पार्टी की शालीमार बाग विधायक भाजपा शासित नगर निगम पर निशाना साध रही हैं.
आपको बता दें कि शालीमार बाग इलाका बहुत बड़ा स्लम है. यहां पर लाखों की संख्या में लोग रहते हैं और वह इन सार्वजनिक शौचालय (Public Toilets) का प्रयोग कर सकते हैं. यह शौचालय बदहाल पड़े हुए हैं और कई जगहों पर नगर निगम का ताला लटका हुआ है. स्वच्छता अभियान के नाम पर केवल 2 अक्टूबर को ही खानापूर्ति की जाती है, बाकी दिन बदहाली होती है, जिसके लिए भाजपा शासित निगम जिम्मेदार है.
आमजन प्रयोग नहीं कर सकते
शालीमार बाग नॉर्थ N 62 वार्ड में पहले भाजपा की निगम पार्षद रेणु जाजू थीं, लेकिन उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की निगम पार्षद सुनीता मिश्रा को जीत मिली. वह भी इन शौचालयों का जीर्णोद्धार नहीं करा सकीं. जिस पर विधायक ने अपनी निगम पार्षद का बचाव करते हुए कहा कि दिल्ली के निगम द्वारा बनवाए गए शौचालयों आमजन प्रयोग नहीं कर सकते, इनमें सुविधाओं का अभाव है.
जीर्णोद्धार कराने में लंबी लड़ाई लड़नी होगी
इलाके में नए शौचालय बनवाए जा रहे हैं, जिनका प्रयोग इलाके के लोग आराम से कर सकेंगे, क्योंकि वहां पर सभी सुविधाएं मिलेंगी. इन शौचालय का जीर्णोद्धार कराने में लंबी लड़ाई लड़नी होगी और वह आसानी से जीती भी नहीं जा सकती. पानी व स्लज की निकासी, बिजली की व्यवस्था आदि कई जरूरी सुविधाओं की कमी के कारण यह शौचालय लंबे समय से बदहाल पड़े हुए हैं.
ये भी पढ़ें-खबर का असर: नींद से जागा प्रशासन, अलीपुर स्थित महिला शौचालय का खुला ताला
लेकिन चिंता की बात यह है कि जब इन शौचालय (Public Toilets ) का प्रयोग नहीं किया जाना था तो इन्हें जनता की टैक्स की कमाई से क्यों बनवाया गया? जिनका प्रयोग इलाके के आम लोग नहीं कर सकते और केवल एक स्वच्छ भारत अभियान का सर्टिफिकेट लेने के लिए इस तरह के शौचालय दिल्ली के निगम वार्डों में क्यों बनवाए गए?
ये भी पढ़ें-NDMC की नई पहल, थर्ड जेंडर के लिए बनाया पहला स्मार्ट शौचालय
इलाके के लोग खुद सरकार से पूछ रहे हैं कि इस तरह के शौचालय (Public Toilets ) आखिर क्यों बनवाए जाते हैं, जिनका प्रयोग इलाके की जनता नहीं कर सकती या जिन पर बनवाने के बाद ताला लगा दिया जाता है?
ये भी पढ़ें-पब्लिक टॉयलेट में फ्लश करने से कोविड फैलने का खतरा : शोध