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फीस जमा नहीं करने पर स्कूल ने छात्रा को निकाला, HC में याचिका दाखिल - दिल्ली सरकार का शिक्षा निदेशालय

पीपी इंटरनेशनल स्कूल द्वारा नौंवी की एक छात्रा को फीस नहीं भरने के बाद स्कूल से निकाल देने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है.

petition filed in Delhi High Court
छात्रा ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा
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Published : Nov 29, 2019, 10:54 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के पीतमपुरा के पीपी इंटरनेशनल स्कूल द्वारा नौंवी की एक छात्रा को फीस नहीं भरने के बाद स्कूल से निकाल देने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. छात्रा करीना भेल ने अपने पिता संजीव कुमार भेल के जरिए ये याचिका दायर की है.

वकील अशोक अग्रवाल के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि करीना भेल पीपी इंटरनेशनल स्कूल में नौंवी स्कूल की छात्रा है. उसने 1 नवंबर तक स्कूल में पढ़ाई की थी. 1 नवंबर को स्कूल ने उसे स्कूल में आने से मना कर दिया गया. स्कूल छात्रा से क्वाटर्ली फीस भरने की मांग कर रहे थे जबकि छात्रा के अभिभावक हर महीने स्कूल फीस भरने का आग्रह कर रहे थे. याचिका में कहा गया था कि छात्रा के अभिभावक ने पिछले 20 नवंबर को दिसंबर 2019 तक की पूरी फीस दे दी, लेकिन उसके बावजूद उसे स्कूल में आने से मना कर दिया गया.

डिप्टी सीएम से हस्तक्षेप की मांग

याचिका में कहा गया है कि स्कूल प्रशासन छात्रा को स्कूल में पढ़ने की अनुमति देने की बजाय छात्रा के पिता पर यह झूठे आरोप लगा रहा है कि वो स्कूल की महिला कर्मचारियों को धमकी दे रहे हैं. छात्रा के पिता हमेशा स्कूल प्रशासन से मासिक फीस लेने का आग्रह कर रहे थे. इसके इसके लिए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से पिछले 4 नवंबर को मुलाकात कर हस्तक्षेप करने की मांग की थी.

इसके बाद छात्रा और उसके अभिभावक ने वकील अशोक अग्रवाल से मुलाकात की जिसके बाद उन्होंने पीपी इंटरनेशनल स्कूल के साथ-साथ दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को लीगल नोटिस भेजा, लेकिन स्कूल ने कोई जवाब नहीं दिया. जिसके बाद छात्रा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को संविधान की धारा 14 और 21 और दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा पाने का हक है.

नई दिल्ली: दिल्ली के पीतमपुरा के पीपी इंटरनेशनल स्कूल द्वारा नौंवी की एक छात्रा को फीस नहीं भरने के बाद स्कूल से निकाल देने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. छात्रा करीना भेल ने अपने पिता संजीव कुमार भेल के जरिए ये याचिका दायर की है.

वकील अशोक अग्रवाल के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि करीना भेल पीपी इंटरनेशनल स्कूल में नौंवी स्कूल की छात्रा है. उसने 1 नवंबर तक स्कूल में पढ़ाई की थी. 1 नवंबर को स्कूल ने उसे स्कूल में आने से मना कर दिया गया. स्कूल छात्रा से क्वाटर्ली फीस भरने की मांग कर रहे थे जबकि छात्रा के अभिभावक हर महीने स्कूल फीस भरने का आग्रह कर रहे थे. याचिका में कहा गया था कि छात्रा के अभिभावक ने पिछले 20 नवंबर को दिसंबर 2019 तक की पूरी फीस दे दी, लेकिन उसके बावजूद उसे स्कूल में आने से मना कर दिया गया.

डिप्टी सीएम से हस्तक्षेप की मांग

याचिका में कहा गया है कि स्कूल प्रशासन छात्रा को स्कूल में पढ़ने की अनुमति देने की बजाय छात्रा के पिता पर यह झूठे आरोप लगा रहा है कि वो स्कूल की महिला कर्मचारियों को धमकी दे रहे हैं. छात्रा के पिता हमेशा स्कूल प्रशासन से मासिक फीस लेने का आग्रह कर रहे थे. इसके इसके लिए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से पिछले 4 नवंबर को मुलाकात कर हस्तक्षेप करने की मांग की थी.

इसके बाद छात्रा और उसके अभिभावक ने वकील अशोक अग्रवाल से मुलाकात की जिसके बाद उन्होंने पीपी इंटरनेशनल स्कूल के साथ-साथ दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को लीगल नोटिस भेजा, लेकिन स्कूल ने कोई जवाब नहीं दिया. जिसके बाद छात्रा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को संविधान की धारा 14 और 21 और दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा पाने का हक है.

Intro:नई दिल्ली। दिल्ली के पीतमपुरा के पीपी इंटरनेशनल कॉलेज द्वारा नौंवी की एक छात्रा को फीस नहीं भरने के बाद स्कूल से निकाल देने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। छात्रा करीना भेल ने अपने पिता संजीव कुमार भेल के जरिये ये याचिका दायर की है।



Body:वकील अशोक अग्रवाल के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि करीना भेल पीपी इंटरनेशनल स्कूल में नौंवी स्कूल की छात्रा है। उसने 1 नवंबर तक स्कूल में पढ़ाई की थी। 1 नवंबर को स्कूल ने उसे स्कूल में आने से मना कर दिया गया। स्कूल छात्रा से क्वार्टर्ली फीस भरने की मांग कर रहे थे जबकि छात्रा के अभिभावक हर महीने स्कूल फीस भरने का आग्रह कर रहे थे। याचिका में कहा गया था कि छात्रा के अभिभावक ने पिछले 20 नवंबर को दिसंबर 2019 तक की पूरी फीस दे दी। लेकिन उसके बावजूद उसे स्कूल में आने से मना कर दिया गया।
याचिका में कहा गया है कि स्कूल प्रशासन छात्रा को स्कूल में पढ़ने की अनुमति देने की बजाय छात्रा के पिता पर यह झूठे आरोप लगा रहा है कि वो स्कूल की महिला कर्मचारियों को धमकी दे रहे हैं। छात्रा के पिता हमेशा स्कूल प्रशासन से मासिक फीस लेने का आग्रह कर रहे थे । वे इसके लिए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से पिछले 4 नवंबर को मुलाकात कर हस्तक्षेप करने की मांग की थी।



Conclusion:इसके बाद छात्रा और उसके अभिभावक ने वकील अशोक अग्रवाल से मुलाकात की जिसके बाद उन्होंने पीपी इंटरनेशनल स्कूल के साथ-साथ दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को लीगल नोटिस भेजा । लेकिन स्कूल ने कोई जवाब नहीं दिया। उसके बाद छात्रा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को संविधान की धारा 14 और 21 और दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा पाने का हक है।
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