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जयंती पर डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मारक देखने आए लोग

देश भर में शुक्रवार को बाबासाहेब अंबेडकर जयंती मनाई जा रही है. इस अवसर पर सिविल लाइन स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक में लोग देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं.

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Published : Apr 14, 2023, 5:14 PM IST

डॉ. भीमराव अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक

नई दिल्ली: शुक्रवार 14 अप्रैल को राष्ट्र निर्माता डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की 132 वी जयंती है. इस अवसर पर पूरे देश भर में लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. उत्तरी दिल्ली के सिविल लाइन स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक में लोग देश के कोने कोने से बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. लोगो का कहना है कि बाबासाहेब अंबेडकर ने समाज के उत्थान के लिए जो काम किए आज उनसे सीख लेने की हर व्यक्ति को जरूरत है.

महाराष्ट्र, यूपी, हरियाणा ओर चंडीगढ इलाकों से डॉ. भीमराव बाबासाहेब अंबेडकर स्मारक देखने के लिए आए लोगों ने बताया कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर अपने आप में बहुत बड़ा नाम है, जिन्होंने राष्ट्र के निर्माण के लिए काम किए है. वह उस समय के शिक्षित व्यक्ति हैं जब लोगों को पढ़ाई का मतलब नहीं पता था. खासकर समाज के दबे कुचले शोषित वर्ग को पढ़ने लिखने की अनुमति नहीं थी. आज उन्हीं से सीख लेकर देश का हर व्यक्ति उच्च शिक्षा की ओर बढ़ रहा है और राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी दे रहा है. वहीं एक शिक्षक धीरेंद्र शरण ने बताया कि वह यूपी के बुलंदशहर से आए हैं, पेशे से शिक्षक है अपने साथ छात्रों को लाए हैं, ताकि छात्र भी बाबासाहेब अंबेडकर के जीवन में बानी कठिनाइयों से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी निभाएं और बाबासाहेब अंबेडकर के मूल्यों और उनके सिद्धांतों पर चलते हुए मजबूत राष्ट्र का निर्माण करें.

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इसे भी पढ़ें: केजरीवाल और सिसोदिया से इतनी ही नफरत है, तो एक मंच पर गोली मरवा दें PM: संजय सिंह

चंडीगढ़ से आई एक छात्रा मैत्रयी ताम्बड ने बताया कि वह चंडीगढ़ से बाबासाहेब आंबेडकर के जयंती पर राष्ट्रीय स्मारक को देखने आई है. उन्होंने इस स्मारक के बारे में काफी कुछ सुना था. बताया कि यह पहले बाबासाहेब अंबेडकर का बंगला होता था, उन्होंने अपनी अंतिम सांस भी इसी बंगले में ली थी, जिसे अब केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्मारक बनाया और बाबासाहेब अंबेडकर से जुड़ी हुई तमाम चीजें स्मारक में संजोकर रखने की कोशिश की. ताकि देश का हर युवा बाबासाहेब अंबेडकर के मूल्य और सिद्धांतों पर चलते हुए आगे बढ़े और उनके नैतिक कर्तव्य को याद रखें.

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बता दें कि बाबासाहेब अंबेडकर संविधान सभा के मेंबर थे, जिन्होंने संविधान के निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई. पहले कानू मंत्री और सांसद रहते हुए सिविल लाइंस स्थित इसी राष्ट्रीय स्मारक (पहले इसी बंगले) में उन्होंने अपने जीवन के दिन गुजारे और यहीं पर अंतिम सांस ली थी. बाद में केंद्र सरकार ने बाबा साहब के बंगले को राष्ट्रीय स्मारक बनवाया और यहां पर म्यूजियम बनाकर बाबासाहेब अंबेडकर से जुड़ी सभी चीजें तैयार कर लोगों के लिए प्रदर्शनी लगाई.

इसे भी पढ़ें: Man Ki Baat 100th Episode: मन की बात के 100 वें एपिसोड के प्रसारण को लेकर दिल्ली बीजेपी ने बनाया खास प्लान

डॉ. भीमराव अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक

नई दिल्ली: शुक्रवार 14 अप्रैल को राष्ट्र निर्माता डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की 132 वी जयंती है. इस अवसर पर पूरे देश भर में लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. उत्तरी दिल्ली के सिविल लाइन स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक में लोग देश के कोने कोने से बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. लोगो का कहना है कि बाबासाहेब अंबेडकर ने समाज के उत्थान के लिए जो काम किए आज उनसे सीख लेने की हर व्यक्ति को जरूरत है.

महाराष्ट्र, यूपी, हरियाणा ओर चंडीगढ इलाकों से डॉ. भीमराव बाबासाहेब अंबेडकर स्मारक देखने के लिए आए लोगों ने बताया कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर अपने आप में बहुत बड़ा नाम है, जिन्होंने राष्ट्र के निर्माण के लिए काम किए है. वह उस समय के शिक्षित व्यक्ति हैं जब लोगों को पढ़ाई का मतलब नहीं पता था. खासकर समाज के दबे कुचले शोषित वर्ग को पढ़ने लिखने की अनुमति नहीं थी. आज उन्हीं से सीख लेकर देश का हर व्यक्ति उच्च शिक्षा की ओर बढ़ रहा है और राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी दे रहा है. वहीं एक शिक्षक धीरेंद्र शरण ने बताया कि वह यूपी के बुलंदशहर से आए हैं, पेशे से शिक्षक है अपने साथ छात्रों को लाए हैं, ताकि छात्र भी बाबासाहेब अंबेडकर के जीवन में बानी कठिनाइयों से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी निभाएं और बाबासाहेब अंबेडकर के मूल्यों और उनके सिद्धांतों पर चलते हुए मजबूत राष्ट्र का निर्माण करें.

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चंडीगढ़ से आई एक छात्रा मैत्रयी ताम्बड ने बताया कि वह चंडीगढ़ से बाबासाहेब आंबेडकर के जयंती पर राष्ट्रीय स्मारक को देखने आई है. उन्होंने इस स्मारक के बारे में काफी कुछ सुना था. बताया कि यह पहले बाबासाहेब अंबेडकर का बंगला होता था, उन्होंने अपनी अंतिम सांस भी इसी बंगले में ली थी, जिसे अब केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्मारक बनाया और बाबासाहेब अंबेडकर से जुड़ी हुई तमाम चीजें स्मारक में संजोकर रखने की कोशिश की. ताकि देश का हर युवा बाबासाहेब अंबेडकर के मूल्य और सिद्धांतों पर चलते हुए आगे बढ़े और उनके नैतिक कर्तव्य को याद रखें.

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बता दें कि बाबासाहेब अंबेडकर संविधान सभा के मेंबर थे, जिन्होंने संविधान के निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई. पहले कानू मंत्री और सांसद रहते हुए सिविल लाइंस स्थित इसी राष्ट्रीय स्मारक (पहले इसी बंगले) में उन्होंने अपने जीवन के दिन गुजारे और यहीं पर अंतिम सांस ली थी. बाद में केंद्र सरकार ने बाबा साहब के बंगले को राष्ट्रीय स्मारक बनवाया और यहां पर म्यूजियम बनाकर बाबासाहेब अंबेडकर से जुड़ी सभी चीजें तैयार कर लोगों के लिए प्रदर्शनी लगाई.

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