नई दिल्लीः दिल्ली सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा लेबर कार्ड बनाने (labor card in delhi) की योजना शुरू की गई थी. जिसके लिए दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में लेबर कार्ड बनाने के कैंप भी लगाए गए थे. मजदूरों का रजिस्ट्रेशन भी कराया गया था. गरीबी रेखा के अन्तर्गरत आने वाले लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन भी कराया, उसके बाद कुछ ही मजदूरों के लेबर कार्ड बने हैं. ज्यादातर मजदूर बिना लेबर कार्ड के ही काम कर आजीविका चलाने को मजबूर हैं.
मजदूरों का आरोप है कि दिल्ली सरकार द्वारा उनके लिए जो लेबर कार्ड बनाए गए थे, उसके बाद कुछ ही लोगों को पैसे मिले हैं. ज्यादातर मजदूरों के लेबर कार्ड नहीं बने हैं और ना ही उन्हें दिल्ली सरकार की ओर से पैसे मिल रहे हैं (Labor card is not being made in Delhi) . मजदूरों ने बताया कि सभी काम की तलाश में लेबर चौक पर आकर खड़े हो जाते हैं. कई बार जल्दी काम मिल जाता है, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी काम नहीं मिलता. खाली हाथ ही घर जाना पड़ता है (condition of laborers of Delhi).
कई मजदूर ऐसे हैं, जिनकी उम्र 60 साल से अधिक हैं और काम करने में इनकी उम्र आड़े आ रही है. अभी तक उनके लेबर कार्ड नहीं बने हैं. कार्ड बनने की बात तो दूर उन्हें दिल्ली सरकार की ओर से वृद्ध पेंशन भी नहीं मिल रही है. सरकार ने मजदूरों के लेबर कार्ड बनाने की शुरुआत की थी, लेकिन दिल्ली में काम करने वाले ज्यादातर मजदूर दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए लेबर कार्ड के मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
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मजदूरों का कहना है कि दिहाड़ी का कोई पैमाना नहीं है. ठेकेदार मालिक से ज्यादा पैसे लेता है और उन्हें कम देता है. कई बार तो ठेकेदार उनकी मजदूरी के पैसे भी नहीं देते और उन्हें बिना दिहाड़ी के ही काम करना पड़ता है. अब मजदूरों की उम्मीद है कि सरकार उनके लिए एक बार फिर दोबारा से लेबर कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू करेगी. जिससे उनको दिल्ली सरकार द्वारा मिलने वाली सहायता राशि भी मिलेगी और उनकी आर्थिक स्तिथि भी सुधरेगी.