नई दिल्ली: दिल्ली के जहांगीरपुरी नाले में बह रहे गंदे पानी को रोकने के लिए शाह आलम बांध रोड पर दो बांध बनाने की परियोजना को मंजूरी मिली है. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जहांगीरपुरी में शाह आलम बांध रोड और प्रयास रोड पर दो बांध के निर्माण की परियोजना को मंजूरी दे दी है. इलाके की कॉलोनियों से निकलने वाला सीवरेज नजदीकी एसपीएस के जरिए ट्रीट करने के लिए भेजा जाएगा, सीवर का पानी यमुना में नहीं गिरेगा. उपमुख्यमंत्री ने डीजेबी अधिकारियों को इस परियोजना को समय-सीमा के अंदर उम्मीदों के अनुरूप बनाने और गुणवत्ता पूर्ण कार्य पूरा करने के दिए निर्देश दिया है. साथ ही यह भी कहा कि किसी भी बड़ी नदी को साफ करने के लिए उसके स्रोतों को साफ करना जरूरी है. केजरीवाल सरकार नालों के जरिये यमुना के प्रदूषित होने की समस्या के समाधान पर लगातार काम कर रही है.
केजरीवाल सरकार 2025 तक यमुना की सफाई पूरी करने और सभी अनाधिकृत कॉलोनियों के घरों को सीवर लाइन से जोड़ने को लेकर युद्धस्तर पर काम कर रही है. इसी कड़ी में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जहांगीरपुरी नाले में बह रहे गंदे पानी को रोकने के लिए शाह आलम बांध रोड पर दो बांध के निर्माण की परियोजना को मंजूरी दी.
1.7 करोड़ रुपए की लागत वाली इस परियोजना का कार्य पूरा होने के बाद इलाके की कॉलोनियों से निकलने वाला सीवरेज नजदीकी एसपीएस के जरिए ट्रीट करने के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद ट्रीटेड पानी यमुना में बहेगा. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने डीजेबी के अधिकारियों को परियोजना को उम्मीदों के अनुरूप बनाने और समयसीमा के अंदर गुणवत्ता पूर्ण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए हैं.
वेस्टरवॉटर को जहांगीरपुरी एसपीएस में किया जाएगा डायवर्ट
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि हम यमुना को स्वच्छ बनाने और बेहतर सीवरेज प्रबंधन की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं. इसी के तहत शाह आलम बांध रोड पर जहांगीरपुरी नाले में बह रहे गंदे पानी को रोकने के लिए दो बांध का निर्माण किया जाएगा. साथ ही वेस्टरवॉटर को जहांगीरपुरी एसपीएस में डायवर्ट किया जाएगा. एसपीएस के माध्यम से सीवरेज एसटीपी तक पहुंचाया जाएगा. कोरोनेशन पिलर एसटीपी पर सीवर के पानी को ट्रीट किया जाएगा.
जहांगीरपुरी और भरोला गांव में कई जेजे क्लस्टर हैं, इन जेजे क्लस्टरों में सीवरेज सिस्टम मौजूद नहीं है. पहले इन जेजे क्लस्टर से उत्पन्न सीवरेज को खुले नालों के माध्यम से जहांगीरपुरी नाले में छोड़ा जाता था, जो अंत में नजफगढ़ नाले के माध्यम से यमुना नदी में जाकर गिरता था. जहांगीरपुरी ड्रेन, नजफगढ़ नाले में गिरने वाला एक प्रमुख नाला है, जो नजफगढ़ नाले में करीब 80 एमजीडी का फ्लो कैरी करता है. इससे नदी के प्रदूषण स्तर में वृद्धि और आस-पास के इलाकों में जल जनित रोगों की संभावना बढ़ जाती थी. इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली जल बोर्ड की ओर से जहांगीरपुरी के छोटे नालों का गंदा पानी शाह आलम बांध रोड और प्रयास रोड जहांगीरपुरी में सीवर लाइन के जरिए ट्रैप किया जा रहा है.
उप-नालियों पर बांधों के निर्माण से यमुना में गिरेगा ट्रीटेड पानी
वर्तमान में इन नालों के गंदे पानी के बहाव को मिट्टी भरे बोरों के सहारे बांध बनाकर प्रवाहित किया जा रहा है, लेकिन यह एक अस्थायी व्यवस्था है. इन नालों के प्रवाह को सुचारू रखने करने के लिए परमानेंट स्ट्रक्चर की जरूरत है. ऐसे में केजरीवाल सरकार ने दोनों उप-नालियों पर बांध का निर्माण किया करने का निर्णय लिया गया है, ताकि वेस्टरवॉटर को एसपीएस जहांगीरपुरी में डायवर्ट किया जा सके. एसपीएस से सीवर लाइनों के माध्यम से नजदीकी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट करने के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद नजफगढ़ ड्रेन में कोरोनेशन पिलर से ट्रीटेड पानी ही बहेगा. साथ ही यमुना में साफ पानी गिरेगा.
नदी को साफ करने के लिए उसके स्रोतों को साफ करना जरूरी
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि किसी भी बड़ी नदी को साफ करने के लिए उसके स्रोतों को साफ करना जरूरी होता है. इसी तर्ज पर केजरीवाल सरकार ने यमुना में गिरने वाले सभी गंदे नालों की सफाई का बेड़ा उठाया है. नालों के जरिये यमुना के प्रदूषित होने की समस्या के समाधान पर लगातार काम किया जा रहा है. नालों के पानी की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं. यमुना को प्रदूषित करने वाले नालों की सफाई होते ही यमुना अपने आप साफ होने लगेगी. यमुना में मिलने वाले दूषित नालों में प्रदूषकों की मात्रा को कम करने के लिए बांध का निर्माण एक प्रभावशाली तरीका साबित हो रहा है.
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