नई दिल्ली: रेहड़ी लगाकर फल बेचने वाले विक्रेताओं के सामने विकट हालात हैं. लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक होने के बावजूद ग्राहकों की कमी है. इससे फल विक्रेताओं की परेशानियां बढ़ गई हैं. ईटीवी भारत ने नांगलोई मेट्रो स्टेशन के नीचे रेहड़ी लगाकर फल बेचने वालों से बात की.
इन फल विक्रेताओं का कहना है कि कोरोना महामारी की वजह से अचानक लॉकडाउन लगने से इन्हें काफी नुकसान हुआ. हालांकि अनलॉक में उन्हें उम्मीद थी कि उनका काम फिर से चलने लगेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
फल विक्रेताओं ने बताया कि अगर एक दिन में वो 10 हजार का सामान लेकर आते हैं, तो उसमें से सिर्फ ₹2000 का सामान ही बिक पाता है. कभी-कभी तो ₹2000 के फल बेचना भी मुश्किल हो जाता है.
'कभी नहीं देखी ऐसी मंदी'
फल विक्रेता सफीक का कहना है कि वो लगभग 15 साल से सड़क किनारे फल बेचकर अपना गुजारा कर रहे हैं. इतने सालों में उनका सामना इस तरह की मंदी से कभी नहीं हुआ. रोजाना उनके आधे से ज्यादा फल न बिकने के कारण खराब हो जाते हैं. इसी वजह से उनकी जमापूंजी भी खत्म होती जा रही है.
'रोटी जुटा पाना भी मुश्किल'
फल विक्रेताओं को अब ये डर सता रहा है कि अगर अगले कुछ महीने भी मार्केट में मंदी रही, तो ग्राहकों की संख्या नहीं बढ़ेगी. ऐसे में वो कब तक कर्ज लेकर काम करेंगे और किस तरह दो वक्त की रोटी जुटा पाएंगे. उन्हें बस उम्मीद है कि जल्द स्थिति पहले की तरह सामान्य हो जाए.