दिल्ली: 58 दिन से सिंघु बॉर्डर पर डटे किसानों के लिए खाने की व्यवस्था करना सबसे मुश्किल काम लग रहा था, लेकिन पिछले 2 महीने में एक भी दिन ऐसा नहीं गया, जब यहां खाने की दिक्कत आई हो और किसी को भूखा सोना पड़ा हो. खाने की समस्या समाधाना यहां चल रहे लंगर ने कर दिया है.
इस लंगर में खाने की तैयारी सुबह 4 बजे से शुरू हो जाती है. सबसे पहले चाय बनती है जो आधे घंटे में साढ़े 4 बजे तक बनकर तैयार हो जाती है. सुबह से ही कुछ किसान सुबह की चाय से रात के खाने तक के इंतजामों में लग जाते हैं. सुबह की चाय के बाद 4:30 बजे भुजिया, बिस्किट, लड्डू, ब्रेड-पकौड़े व पकौड़े का लंगर चलता है. यह लंगर 10 बजे तक चलता है.
10 बजे से शुरू हो जाती है खाने की तैयारी
सुबह के नाश्ते के बाद दोपहर के खाने के तैयारी शुरू होती है. सेवादार सतपाल बताते हैं कि दोपहर के खाने की तैयारी में वे लोग सुबह 10 बजे से लग जाते हैं. करीब 2 से 3 घंटे इन्हें खाना बनाने में लगता है, जिसमें यहां एक साथ हजारों लोगों का खाना तैयार कर लेते हैं. यह प्रक्रिया दिन भर जारी रहती है. यदि इन्हें लगता है कि इनका खाना खत्म होने वाला है तो यह खाना खत्म होने से पहले दोबारा से खाना बना कर तैयार कर लेते हैं. इस तरह लंगर सेवा में सुबह से शाम तक हजारों लोगों को खाना, चाय-नाश्ता और प्रसाद मिलता रहता है.