नई दिल्ली: दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन को 20 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है. किसान अभी भी दिल्ली की सर्द रातों में सरकार से अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. किसानों के खिलाफ बनाए गए कृषि बिल को सरकार वापस ले. किसान सर्द रातों में सड़कों पर ही सोते हैं और इन्हीं सड़कों को अपना घर बनाया हुआ है. दिनभर इन्हीं सड़कों पर आंदोलनकारियों की भीड़ रहती है और रात होते-होते यह सड़कें सुनसान हो जाती हैं. उसके बाद यहां पर आंदोलनकारी दिनभर फैली गंदगी को साफ करते हैं, सभी निस्वार्थ भाव से एक दूसरे की सेवा करते हैं ताकि जगह साफ रहे और यह लोग यहां पर आराम से सो सकें.
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ईटीवी भारत की टीम ने रात 10:00 बजे सिंघु बॉर्डर पर जाकर आंदोलनकारी किसानों से बात की. जिन सड़कों पर दिनभर भीड़ रहती है और पैर रखने की जगह भी नहीं होती. उसी सड़क की किसान सफाई कर रहे हैं. हर किसी की अलग-अलग ड्यूटी है, सब अपने-अपने काम में मुस्तैदी के साथ जुटे हुए हैं. सड़क पर ट्रैक्टर ट्रॉलियां खड़ी हुई हैं, जिसमें सड़क से कूड़ा उठाकर डाला जा रहा है. इस कूड़े को गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सेवादार यहां से उठाकर ले जाएंगे.
सर्द रातों में सड़कों पर रुके हुए हैं किसान
ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए सफाई कर रहे लोगों ने बताया कि यह सड़क बेशक हाईवे है. लेकिन इस समय आंदोलनकारियों का घर है. जब लोग अपने घरों की सफाई करते हैं तो उन्हें इस जगह पर भी सफाई करने से कोई गुरेज नहीं है. यह लोग यहां पर पिछले 20 दिनों से रुके हुए हैं और यहां पर जो गंदगी फैलाई जा रही है वह भी आंदोलनकारियों के द्वारा ही है. इसे साफ करना वह अपना कर्तव्य समझ रहे हैं. सभी लोग एक-दूसरे साथ मिलकर सबका सहयोग कर रहे हैं. लोगों ने बताया कि इस आंदोलन में ना कोई बड़ा है और ना कोई छोटा, सभी यहां पर एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं ताकि इलाके की सफाई रहे. किसानों के सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इसी तरह किसान भी सर्द रातों में सड़क को अपना घर बनाकर सरकार से कृषि बिल को साफ करने की मांग कर रहे हैं.
सरकार से मांग, जल्द खत्म हो आंदोलन
दिल्ली की सर्द रातों में किसान आंदोलनकारियों को इसी तरह सड़क पर रुके हुए 20 दिन से ज्यादा का समय हो गया है. अभी भी इन्हें नहीं मालूम कि आंदोलन के लिए इन्हें दिल्ली में कितना और रुकना पड़ेगा. साथ ही यह लोग भी उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द से जल्द कृषि बिल को लेकर सरकार और किसानों के बीच कोई रास्ता निकल जाए. जिससे यह लोग यहां से अपने-अपने घर जा सके.