नई दिल्ली: आदर्श नगर विधानसभा में जहांगीरपुरी इलाके जी ब्लॉक के लोगों ने ईटीवी भारत के सामने आरोप लगाया कि जहांगीरपुरी के नाम पर लोगों को कोरोना महामारी के अलावा भी दूसरी सामान्य बीमारियों का इलाज भी नहीं मिल रहा है.
लोगों का आरोप है कि अस्पताल में भर्ती करने की बात तो दूर लोगों का इलाज भी नहीं हो रहा है. जब ये बात AAP पार्टी के प्रवक्ता और तिमारपुर विधायक दिलीप पांडेय ने बताया कि सरकार ने हाल में नियम बनाया है कि निजी अस्पताल किसी भी बीमारी के इलाज के लिए मना नहीं कर सकते. यदि ऐसा होता है तो अस्पतालों पर कार्रवाई भी की जाएगी.
ईटीवी भारत से बात करते हुए जहांगीरपुरी के जी ब्लॉक की जनता ने आरोप लगाया कि आसपास के इलाकों के निजी अस्पताल जहांगीरपुरी के लोगों का इलाज करने से भी मना कर रहे हैं. जहांगीरपुरी में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए दिल्ली सरकार ने जहांगीरपुरी इलाके के कई ब्लॉक को रेड जोन घोषित कर दिया था. जिसके बाद भी जहांगीरपुरी में कोरोना संक्रमित पीड़ितों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती गई.
जहांगीरपुरी के बाबू जगजीवन राम अस्पताल और पुलिस थाने में भी कोरोना संक्रमित लोग पाए गए. हालांकि, बाबू जगजीवन राम अस्पताल में डॉक्टर और अस्पताल कर्मियों के कोरोना संक्रमित होने के बाद कुछ दिनों के लिए दिल्ली सरकार ने अस्पताल को बंद कर दिया था. जिसे बाद में सैनेटाइज करने के बाद कुछ जरूरी विभागों को खोला गया.
शिकायत मिलने पर कार्रवाई का आश्वासन
जहांगीरपुरी जी ब्लॉक की जनता के आरोप के जवाब में AAP प्रवक्ता दिलीप पांडेय ने बताया कि दिल्ली सरकार ने हाल ही में ये कानून बनाया है कि दिल्ली के निजी अस्पताल किसी भी मरीज का इलाज करने से मना नहीं कर सकते. यदि कोई भी अस्पताल ऐसा करता है, तो शिकायत मिलने पर सरकार दोषी अस्पतालों पर कार्रवाई भी करेगी. सभी अस्पताल 50 बेड आरक्षित रखेंगे. कोई भी मरीज यदि इलाज कराने के लिए आता है, तो उनका इलाज किया जाएगा. जिसमें 20 बेड कोरोना वायरस मरीजों के लिए आरक्षित किए गए हैं.
'दिल्लीवासी अस्पतालों की आनाकानी की दे जानकारी'
साथ ही AAP प्रवक्ता दिलीप पांडेय ने अकेले जहांगीरपुरी ही नहीं, दिल्ली की जनता को ये विश्वास दिलाया कि यदि कोई भी मरीज दिल्ली के किसी भी निजी अस्पताल में इलाज के लिए जाता है और अस्पताल के डॉक्टर इलाज करने में आनाकानी करते हैं. तो तुरंत दिल्ली सरकार के संज्ञान में इस तरह के मामले लाए गए. जिससे दिल्ली सरकार दोषी अस्पतालों पर कार्रवाई कर सके.