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Ground Report: दिल्ली का 700 साल पुराना गांव बदहाल, जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान

दिल्ली का 700 साल पुराना गांव जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते बदहाली की कगार पर पहुंच गया है. आजकल यहां समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. इलाके के लोगों का आरोप है कि चुनाव जीतने के बाद प्रतिनिधि यहां पर आते भी नहीं हैं.

Development works not being done in historic Tikri Khurd village in Delhi
टिकरी गांव
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Published : Feb 10, 2021, 3:23 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की नरेला विधानसभा का टिकरी गांव बेहद पुराना और ऐतिहासिक बताया जाता है. आजकल यहां समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. इलाके के लोग आरोप लगा रहे हैं कि स्थानीय प्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते गांव बदहाली के कगार पर पहुंच गया है.

दिल्ली का 700 साल पुराना गांव बदहाल

जिस काम को पूर्व प्रधान खुद करवाते थे, आज उसी के लिए क्षेत्र के प्रतिनिधियों की कृपा का इंतजार कर रहे हैं. इलाके की बदहाली पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से बात करने की कोशिश की गई तो किसी से भी बात नहीं हो सकी.

नेताओं की अनदेखी के कारण ऐतिहासिक गांव हुआ बदहाल

ईटीवी भारत से बात करते हुए टिकरी गांव के पूर्व प्रधान उमेद सिंह खत्री ने बताया कि ऐसे बदतर हालात तो तब भी नहीं थे, जब वह खुद प्रधान थे. आज के हालात देखकर उन्हें खुद रोना आता है कि क्षेत्र के निगम पार्षद और विधायक लोगों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं. गांव की बदहाली के ऊपर किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं है, जिसकी वजह से आज गांव के घरों से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी का कोई रास्ता नहीं है.

पानी की निकासी नहीं होने की वजह से गंदा पानी इलाके में खाली पड़े प्लॉट व डीडीए की जमीन में जा रहा है. अब यह खाली प्लॉट और जमीन तालाब में तब्दील हो गए हैं. समस्या को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों से शिकायत भी की गई, लेकिन कोई भी सुनने को तैयार नहीं है.

'राजनीतिक खींचतान के चलते नहीं हो रहा है काम'


इलाके के लोगों का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद प्रतिनिधि यहां पर आते भी नहीं है, जबकि टिकरी खुर्द गांव नरेला विधानसभा के अलीपुर वार्ड में आता है. जहां से भाजपा की निगम पार्षद निशा मान हैं और नरेला विधानसभा से आम आदमी पार्टी से विधायक शरद चौहान है. दोनों प्रतिनिधियों की खींचतान के चलते गांव का नुकसान भी हो रहा है. जो विकास कार्य गांव में सालों पहले हो जाने चाहिए थे, अब गांव के लोग उसके लिए नेताओं की बाट जो रहे हैं.

'700 साल पुराना ऐतिहासिक गांव है'

नेशनल हाईवे पर यह 700 साल पुराना ऐतिहासिक गांव है. लेकिन क्षेत्र के प्रतिनिधियों की अनदेखी की वजह से गांव बदहाली के कगार पर पहुंच गया. इलाके के लोगों ने पुलिस प्रशासन पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि गांव में आपराधिक गतिविधियां भी काफी होती है. गांव के पास बहुत बड़ा स्लम इलाका है, इलाके में नशाखोरी भी काफी फल-फूल रही है. पुलिस प्रशासन भी यहां पर लगाम लगाने में नाकाम रहा है.

ये भी पढ़ें:-संगम विहार: रतिया मार्ग में रोजाना लग जाता है लंबा जाम, राहगीर होते हैं परेशान

अब इलाके के लोग अपने प्रतिनिधियों से गुहार लगा रहे हैं कि गांव की बदहाली को खत्म करने के लिए क्षेत्र के प्रतिनिधि काम करें. यह गुहार गांव के खुद पूर्व प्रधान भी प्रतिनिधियों से लगा रहे हैं जो टिकरी खुर्द गांव के दो बार प्रधान रह चुके हैं. जिस काम को वे खुद अपने हाथ से कराते थे, आज इन्हें सरकार के ऊपर आश्रित होना पड़ रहा है.

नई दिल्ली: दिल्ली की नरेला विधानसभा का टिकरी गांव बेहद पुराना और ऐतिहासिक बताया जाता है. आजकल यहां समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. इलाके के लोग आरोप लगा रहे हैं कि स्थानीय प्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते गांव बदहाली के कगार पर पहुंच गया है.

दिल्ली का 700 साल पुराना गांव बदहाल

जिस काम को पूर्व प्रधान खुद करवाते थे, आज उसी के लिए क्षेत्र के प्रतिनिधियों की कृपा का इंतजार कर रहे हैं. इलाके की बदहाली पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से बात करने की कोशिश की गई तो किसी से भी बात नहीं हो सकी.

नेताओं की अनदेखी के कारण ऐतिहासिक गांव हुआ बदहाल

ईटीवी भारत से बात करते हुए टिकरी गांव के पूर्व प्रधान उमेद सिंह खत्री ने बताया कि ऐसे बदतर हालात तो तब भी नहीं थे, जब वह खुद प्रधान थे. आज के हालात देखकर उन्हें खुद रोना आता है कि क्षेत्र के निगम पार्षद और विधायक लोगों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं. गांव की बदहाली के ऊपर किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं है, जिसकी वजह से आज गांव के घरों से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी का कोई रास्ता नहीं है.

पानी की निकासी नहीं होने की वजह से गंदा पानी इलाके में खाली पड़े प्लॉट व डीडीए की जमीन में जा रहा है. अब यह खाली प्लॉट और जमीन तालाब में तब्दील हो गए हैं. समस्या को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों से शिकायत भी की गई, लेकिन कोई भी सुनने को तैयार नहीं है.

'राजनीतिक खींचतान के चलते नहीं हो रहा है काम'


इलाके के लोगों का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद प्रतिनिधि यहां पर आते भी नहीं है, जबकि टिकरी खुर्द गांव नरेला विधानसभा के अलीपुर वार्ड में आता है. जहां से भाजपा की निगम पार्षद निशा मान हैं और नरेला विधानसभा से आम आदमी पार्टी से विधायक शरद चौहान है. दोनों प्रतिनिधियों की खींचतान के चलते गांव का नुकसान भी हो रहा है. जो विकास कार्य गांव में सालों पहले हो जाने चाहिए थे, अब गांव के लोग उसके लिए नेताओं की बाट जो रहे हैं.

'700 साल पुराना ऐतिहासिक गांव है'

नेशनल हाईवे पर यह 700 साल पुराना ऐतिहासिक गांव है. लेकिन क्षेत्र के प्रतिनिधियों की अनदेखी की वजह से गांव बदहाली के कगार पर पहुंच गया. इलाके के लोगों ने पुलिस प्रशासन पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि गांव में आपराधिक गतिविधियां भी काफी होती है. गांव के पास बहुत बड़ा स्लम इलाका है, इलाके में नशाखोरी भी काफी फल-फूल रही है. पुलिस प्रशासन भी यहां पर लगाम लगाने में नाकाम रहा है.

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अब इलाके के लोग अपने प्रतिनिधियों से गुहार लगा रहे हैं कि गांव की बदहाली को खत्म करने के लिए क्षेत्र के प्रतिनिधि काम करें. यह गुहार गांव के खुद पूर्व प्रधान भी प्रतिनिधियों से लगा रहे हैं जो टिकरी खुर्द गांव के दो बार प्रधान रह चुके हैं. जिस काम को वे खुद अपने हाथ से कराते थे, आज इन्हें सरकार के ऊपर आश्रित होना पड़ रहा है.

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