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50 सालों में उतने काम नहीं हुए जितने मैंने किए, चाहे कोई गुप्त सर्वे करा लें- उदित राज - Congress

भाजपा सांसद उदित राज ने कहा कि अभी तक उत्तर-पश्चिमी संसदीय क्षेत्र में जितने काम कराए हैं, उतने पिछले 50 वर्षों में नहीं हुए. इसका जवाब जनता ही देगी चाहे कोई गुप्त सर्वे करा लें, नतीजा मिल जाएगा.

भाजपा सांसद उदित राज के साथ ईटीवी भारत की खास बातचीत
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Published : Mar 26, 2019, 10:11 AM IST

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान हो चुका है. 12 मई को दिल्ली की सातों लोकसभा सीट के लिए मतदान होगा. ऐसे में सातों सीट पर काबिज भाजपा के सामने नई चुनौती होगी कि इस बार वह अपने सांसदों के कामकाज का किस तरह प्रस्तुत कर दोबारा जनता से वोट की अपील करें.

भाजपा सांसद उदित राज के साथ ईटीवी भारत की खास बातचीत

उत्तर-पश्चिमी दिल्ली संसदीय सीट से भाजपा सांसद उदित राज देश के पांच उन सांसदों में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री के आह्वान पर गांव को आदर्श गांव बनाने के लिए गोद लिया तो इसमें वे सफल रहे. ईटीवी भारत में उनसे विस्तृत बातचीत की जिसमें उन्होंने अपने कामकाज का लेखा-जोखा पेश किया.

भाजपा सांसद उदित राज से जब उनके कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने सीधे कहा कि अभी तक उत्तर-पश्चिमी संसदीय क्षेत्र में जितने काम कराए हैं, उतने पिछले 50 वर्षों में नहीं हुए. इसका जवाब जनता ही देगी चाहे कोई गुप्त सर्वे करा लें. उन्हें नतीजा मिल जाएगा. अपने कामकाज कि वह खुद नहीं तारीफ करते बल्कि संसदीय क्षेत्र की जनता बोलती है.

संसदीय क्षेत्र में बहुत ही पिछड़ा इलाका आता है चाहे सुल्तानपुरी हो मंगोलपुरी हो किरारी हो बवाना और दिल्ली देहात के ढेर सारे गांव, वहां पर पहली बार किस सांसद ने सबका साथ सबका विकास नारे को साकार किया. गांव में शहर की कॉलोनियों की तरह पार्क, स्कूल, आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों को समृद्ध बनाने के लिए मैं सप्ताह में 5 दिन उस इलाके के तकरीबन 300-400 लोगों से मिलता रहा. उनसे प्राप्त फीडबैक के आधार पर मैंने योजनाएं तैयार की और उसके अनुसार काम किया.

अपने संसदीय क्षेत्र में मैंने 10 रेल ओवर ब्रिज स्वीकृत करवाएं हैं जिनमें से 2 का निर्माण कार्य हो चुका है और 8 अभी पाइप लाइन में हैं. यह एक बड़ी उपलब्धि है. क्योंकि दशकों से वहां के लोग इसकी मांग कर रहे थे और अब जाकर के यह पूरा हुआ है. संसदीय क्षेत्र में डेढ़ सौ जगहों पर ओपन जिम उन्होंने बनवाए 4 गांव को गोद लिया और उसे आदर्श गांव के तौर पर तब्दील किया.

विकास करने के लिए लाखों बार किया संवाद
अपने संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए 16000 लेटर लिखे जिसकी प्रति पास में है. चार लाख फोन कॉल किए ताकि लोगों का भला हो सके. 1400 दिन जनता दरबार लगाकर संसदीय क्षेत्र के लोगों की समस्याएं हल कराने की कोशिश की. क्षेत्र में जितनी बार वह निकले हैं उतना 30-40 सालों में कोई भी सांसद नहीं गया होगा. दावे के साथ कहता हूं कि निगम पार्षद भी इतने काम नहीं कराते होंगे.

गांव में शहर की तरह कराए विकास कार्य
संसदीय इलाके में गांव की संख्या अधिक है वहां किस तरह विकास कार्य कराए? यह पूछे जाने पर उदित राज कहते हैं कि गांव को भी उन्होंने शहर की रिहायशी कॉलोनी की तरह देखा, समझा और वहां पर भी वही सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की. बवाना और नरेला जैसे इलाके भी संसदीय क्षेत्र में है वहां आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. इस बाबत सांसद के तौर पर उन्होंने क्या किया? उदित राज ने बताया कि 65 वर्षों से जहां की अनदेखी की गई हो वहां अपने कार्यकाल में उन्होंने बहुत कुछ किया. बवाना जेजे कॉलोनी है जहां लोग नारकीय जीवन जीते थे उसे उन्होंने बेहतर बनाने की कोशिश की. बवाना नरेला में सार्वजनिक परिवहन सेवा की कमी को देखते हुए मेट्रो नेटवर्क का विस्तार उनकी पहल पर ही किया गया. जब हरियाणा में बल्लभगढ़,पलवल, बहादुरगढ़ तक मेट्रो जा सकती है तो दिल्ली के गांव में रहने वाले लोगों ने क्या गुनाह किया कि उन्हें मेट्रो नेटवर्क नहीं दिया जाए.

भाजपा जैसी पार्टी में आने का मिला फायदा
चुनाव से कुछ दिन पहले भाजपा में शामिल हुए उदित राज क्या अपने बूते इतना सारा काम करा पाते, क्या पार्टी में आने का उन्हें फायदा मिला? यह पूछने पर वह कहते हैं कि पार्टी का उन्हें बहुत फायदा मिला. पूरी सरकार पार्टी चला रही है जिसका उन्हें लाभ मिला. अपने बूते शायद वे इतना काम नहीं करा पाते. जितना आज करा सके हैं. खुद वे अधिकारी रह चुके इसीलिए उन्हें यह तो पता है कि सरकारी अधिकारियों से कैसे काम कराया जाता है, इसमें उन्हें सहयोग भी मिला. लेकिन सब कुछ तभी संभव हो पाया क्योंकि सत्ता में पार्टी की सरकार थी. पार्टी अगर दोबारा चुनाव लड़ने का मौका देगी तो जो काम किया है उसी काम के आधार पर वह अपने क्षेत्र की जनता से वोट मांगेंगे और फिर अधूरे कामों को पूरा करने की कोशिश करेंगे.

नया यूनिवर्सिटी व बेहतर परिवहन सेवा बनाने का काम रह गया अधूरा
अपने संसदीय क्षेत्र में एक महिला कॉलेज को बेहतर बनाने तथा दिल्ली यूनिवर्सिटी की तर्ज पर बाहरी दिल्ली में एक अलग यूनिवर्सिटी बनाना चाहते थे, इसके अलावा वह सार्वजनिक परिवहन सेवा को और बेहतर बनाना चाहते थे, जो इस कार्यकाल में अधूरा रह गया आगे मौका मिला तो इन अधूरे कार्यों को जरूर पूरा कर लोगों को लोगों की सेवा करूंगा.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान हो चुका है. 12 मई को दिल्ली की सातों लोकसभा सीट के लिए मतदान होगा. ऐसे में सातों सीट पर काबिज भाजपा के सामने नई चुनौती होगी कि इस बार वह अपने सांसदों के कामकाज का किस तरह प्रस्तुत कर दोबारा जनता से वोट की अपील करें.

भाजपा सांसद उदित राज के साथ ईटीवी भारत की खास बातचीत

उत्तर-पश्चिमी दिल्ली संसदीय सीट से भाजपा सांसद उदित राज देश के पांच उन सांसदों में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री के आह्वान पर गांव को आदर्श गांव बनाने के लिए गोद लिया तो इसमें वे सफल रहे. ईटीवी भारत में उनसे विस्तृत बातचीत की जिसमें उन्होंने अपने कामकाज का लेखा-जोखा पेश किया.

भाजपा सांसद उदित राज से जब उनके कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने सीधे कहा कि अभी तक उत्तर-पश्चिमी संसदीय क्षेत्र में जितने काम कराए हैं, उतने पिछले 50 वर्षों में नहीं हुए. इसका जवाब जनता ही देगी चाहे कोई गुप्त सर्वे करा लें. उन्हें नतीजा मिल जाएगा. अपने कामकाज कि वह खुद नहीं तारीफ करते बल्कि संसदीय क्षेत्र की जनता बोलती है.

संसदीय क्षेत्र में बहुत ही पिछड़ा इलाका आता है चाहे सुल्तानपुरी हो मंगोलपुरी हो किरारी हो बवाना और दिल्ली देहात के ढेर सारे गांव, वहां पर पहली बार किस सांसद ने सबका साथ सबका विकास नारे को साकार किया. गांव में शहर की कॉलोनियों की तरह पार्क, स्कूल, आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों को समृद्ध बनाने के लिए मैं सप्ताह में 5 दिन उस इलाके के तकरीबन 300-400 लोगों से मिलता रहा. उनसे प्राप्त फीडबैक के आधार पर मैंने योजनाएं तैयार की और उसके अनुसार काम किया.

अपने संसदीय क्षेत्र में मैंने 10 रेल ओवर ब्रिज स्वीकृत करवाएं हैं जिनमें से 2 का निर्माण कार्य हो चुका है और 8 अभी पाइप लाइन में हैं. यह एक बड़ी उपलब्धि है. क्योंकि दशकों से वहां के लोग इसकी मांग कर रहे थे और अब जाकर के यह पूरा हुआ है. संसदीय क्षेत्र में डेढ़ सौ जगहों पर ओपन जिम उन्होंने बनवाए 4 गांव को गोद लिया और उसे आदर्श गांव के तौर पर तब्दील किया.

विकास करने के लिए लाखों बार किया संवाद
अपने संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए 16000 लेटर लिखे जिसकी प्रति पास में है. चार लाख फोन कॉल किए ताकि लोगों का भला हो सके. 1400 दिन जनता दरबार लगाकर संसदीय क्षेत्र के लोगों की समस्याएं हल कराने की कोशिश की. क्षेत्र में जितनी बार वह निकले हैं उतना 30-40 सालों में कोई भी सांसद नहीं गया होगा. दावे के साथ कहता हूं कि निगम पार्षद भी इतने काम नहीं कराते होंगे.

गांव में शहर की तरह कराए विकास कार्य
संसदीय इलाके में गांव की संख्या अधिक है वहां किस तरह विकास कार्य कराए? यह पूछे जाने पर उदित राज कहते हैं कि गांव को भी उन्होंने शहर की रिहायशी कॉलोनी की तरह देखा, समझा और वहां पर भी वही सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की. बवाना और नरेला जैसे इलाके भी संसदीय क्षेत्र में है वहां आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. इस बाबत सांसद के तौर पर उन्होंने क्या किया? उदित राज ने बताया कि 65 वर्षों से जहां की अनदेखी की गई हो वहां अपने कार्यकाल में उन्होंने बहुत कुछ किया. बवाना जेजे कॉलोनी है जहां लोग नारकीय जीवन जीते थे उसे उन्होंने बेहतर बनाने की कोशिश की. बवाना नरेला में सार्वजनिक परिवहन सेवा की कमी को देखते हुए मेट्रो नेटवर्क का विस्तार उनकी पहल पर ही किया गया. जब हरियाणा में बल्लभगढ़,पलवल, बहादुरगढ़ तक मेट्रो जा सकती है तो दिल्ली के गांव में रहने वाले लोगों ने क्या गुनाह किया कि उन्हें मेट्रो नेटवर्क नहीं दिया जाए.

भाजपा जैसी पार्टी में आने का मिला फायदा
चुनाव से कुछ दिन पहले भाजपा में शामिल हुए उदित राज क्या अपने बूते इतना सारा काम करा पाते, क्या पार्टी में आने का उन्हें फायदा मिला? यह पूछने पर वह कहते हैं कि पार्टी का उन्हें बहुत फायदा मिला. पूरी सरकार पार्टी चला रही है जिसका उन्हें लाभ मिला. अपने बूते शायद वे इतना काम नहीं करा पाते. जितना आज करा सके हैं. खुद वे अधिकारी रह चुके इसीलिए उन्हें यह तो पता है कि सरकारी अधिकारियों से कैसे काम कराया जाता है, इसमें उन्हें सहयोग भी मिला. लेकिन सब कुछ तभी संभव हो पाया क्योंकि सत्ता में पार्टी की सरकार थी. पार्टी अगर दोबारा चुनाव लड़ने का मौका देगी तो जो काम किया है उसी काम के आधार पर वह अपने क्षेत्र की जनता से वोट मांगेंगे और फिर अधूरे कामों को पूरा करने की कोशिश करेंगे.

नया यूनिवर्सिटी व बेहतर परिवहन सेवा बनाने का काम रह गया अधूरा
अपने संसदीय क्षेत्र में एक महिला कॉलेज को बेहतर बनाने तथा दिल्ली यूनिवर्सिटी की तर्ज पर बाहरी दिल्ली में एक अलग यूनिवर्सिटी बनाना चाहते थे, इसके अलावा वह सार्वजनिक परिवहन सेवा को और बेहतर बनाना चाहते थे, जो इस कार्यकाल में अधूरा रह गया आगे मौका मिला तो इन अधूरे कार्यों को जरूर पूरा कर लोगों को लोगों की सेवा करूंगा.

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नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान हो चुका है. 12 मई को दिल्ली की सातों लोकसभा सीट के लिए मतदान होगा. ऐसे में सातो सीट पर काबिज भाजपा के सामने नई चुनौती होगी कि इस बार वह अपने सांसदों के कामकाज का किस तरह प्रस्तुत कर दोबारा जनता से वोट की अपील करे.

उत्तर पश्चिमी दिल्ली संसदीय सीट से भाजपा सांसद उदित राज देश के पांच उन सांसदों में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री के आह्वान पर गांव को आदर्श गांव बनाने के लिए गोद लिया तो इसमें वे सफल रहे. ईटीवी भारत में उनसे विस्तृत बातचीत की जिसमें उन्होंने अपने कामकाज का लेखा-जोखा पेश किया.


Body:भाजपा सांसद उदित राज से जब उनके कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने सीधे कहा कि अभी तक उत्तर पश्चिमी संसदीय क्षेत्र में जितने काम कराए हैं, उतने पिछले 50 वर्षों में नहीं हुए. इसका जवाब जनता ही देगी चाहे कोई गुप्त सर्वे करा लें. उन्हें नतीजा मिल जाएगा. अपने कामकाज कि वह खुद नहीं तारीफ करते बल्कि संसदीय क्षेत्र की जनता बोलती है.


संसदीय क्षेत्र में बहुत ही पिछड़ा इलाका आता है चाहे सुल्तानपुरी हो मंगोलपुरी हो किरारी हो बवाना और दिल्ली देहात के ढेर सारे गांव, वहां पर पहली बार किस सांसद ने सबका साथ सबका विकास नारे को साकार किया. गांव में शहर की कॉलोनियों की तरह पार्क, स्कूल, आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों को समृद्ध बनाने के लिए मैं सप्ताह में 5 दिन उस इलाके के तकरीबन 300- 400 लोगों से मिलता रहा. उनसे प्राप्त फीडबैक के आधार पर मैंने योजनाएं तैयार की और उसके अनुसार काम किया.

अपने संसदीय क्षेत्र में मैंने 10 रेल ओवर ब्रिज स्वीकृत करवाएं हैं जिनमें से 2 का निर्माण कार्य हो चुका है और 8 अभी पाइप लाइन में है. यह एक बड़ी उपलब्धि है. क्योंकि दशकों से वहां के लोग इसकी मांग कर रहे थे और अब जाकर के यह पूरा हुआ है. संसदीय क्षेत्र में डेढ़ सौ जगहों पर ओपन जिम उन्होंने बनवाए 4 गांव को गोद लिया और उसे आदर्श गांव के तौर पर तब्दील किया.

विकास करने के लिए लाखों बार किया संवाद

अपने संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए 16000 लेटर लिखे जिसकी प्रति पास में है. चार लाख फोन कॉल किए ताकि लोगों का भला हो सके. 1400 दिन जनता दरबार लगाकर संसदीय क्षेत्र के लोगों की समस्याएं हल कराने की कोशिश की. क्षेत्र में जितनी बार वह निकले हैं उतना 30-40 सालों में कोई भी सांसद नहीं गया होगा. दावे के साथ कहता हूं कि निगम पार्षद भी इतने काम नहीं कराते होंगे.

गांव में शहर की तरह कराए विकास कार्य

संसदीय इलाके में गांव की संख्या अधिक है वहां किस तरह विकास कार्य कराए? यह पूछे जाने पर उदित राज कहते हैं कि गांव को भी उन्होंने शहर की रिहायशी कॉलोनी की तरह देखा, समझा और वहां पर भी वही सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की. बवाना और नरेला जैसे इलाके भी संसदीय क्षेत्र में है वहां आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. इस बाबत सांसद के तौर पर उन्होंने क्या किया? उदित राज ने बताया कि 65 वर्षों से जहां की अनदेखी की गई हो वहां अपने कार्यकाल में उन्होंने बहुत कुछ किया. बवाना जेजे कॉलोनी है जहां लोग नारकीय जीवन जीते थे उसे उन्होंने बेहतर बनाने की कोशिश की. बवाना नरेला में सार्वजनिक परिवहन सेवा की कमी को देखते हुए मेट्रो नेटवर्क का विस्तार उनकी पहल पर ही किया गया. जब हरियाणा में बल्लभगढ़,पलवल, बहादुरगढ़ तक मेट्रो जा सकती है तो दिल्ली के गांव में रहने वाले लोगों ने क्या गुनाह किया कि उन्हें मेट्रो नेटवर्क नहीं दिया जाए.

भाजपा जैसी पार्टी में आने का मिला फायदा

चुनाव से कुछ दिन पहले भाजपा में शामिल हुए उदित राज क्या अपने बूते इतना सारा काम करा पाते, क्या पार्टी में आने का उन्हें फायदा मिला? यह पूछने पर वह कहते हैं कि पार्टी का उन्हें बहुत फायदा मिला. पूरी सरकार पार्टी चला रही है जिसका उन्हें लाभ मिला. अपने बूते शायद वे इतना काम नहीं करा पाते. जितना आज करा सके हैं. खुद वे अधिकारी रह चुके इसीलिए उन्हें यह तो पता है कि सरकारी अधिकारियों से कैसे काम कराया जाता है, इसमें उन्हें सहयोग भी मिला. लेकिन सब कुछ तभी संभव हो पाया क्योंकि सत्ता में पार्टी की सरकार थी. पार्टी अगर दोबारा चुनाव लड़ने का मौका देगी तो जो काम किया है उसी काम के आधार पर वह अपने क्षेत्र की जनता से वोट मांगेंगे और फिर अधूरे कामों को पूरा करने की कोशिश करेंगे.

नया यूनिवर्सिटी व बेहतर परिवहन सेवा बनाने का काम रह गया अधूरा

अपने संसदीय क्षेत्र में एक महिला कॉलेज को बेहतर बनाने तथा दिल्ली यूनिवर्सिटी की तर्ज पर बाहरी दिल्ली में एक अलग यूनिवर्सिटी बनाना चाहते थे, इसके अलावा वह सार्वजनिक परिवहन सेवा को और बेहतर बनाना चाहते थे, जो इस कार्यकाल में अधूरा रह गया आगे मौका मिला तो इन अधूरे कार्यों को जरूर पूरा कर लोगों को लोगों की सेवा करूंगा.

समाप्त.


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