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दिल्ली कंझावला केस: नाराज लोगों ने सुल्तानपुरी थाने पर किया प्रदर्शन

दिल्ली के कंझावला हिट एंड रन मामले में लोगों ने सुल्तानपुरी थाने पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के माध्यम से मृतक अंजलि को न्याय दिलाने की मांग की. वाई ब्लॉक से सुल्तानपुरी थाने तक परिजनों और स्थानीय लोगों ने निकाला मार्च.

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Published : Jan 5, 2023, 8:03 PM IST

लोगों ने सुल्तानपुरी थाने पर किया प्रदर्शन

नई दिल्ली: कंझावला हिट एंड रन मामले में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मृतक अंजलि को अंतिम विदाई दी गई. इस मामले में हर दिन नए खुलासे सामने आ रहे हैं. पीड़ित परिजन और स्थानीय लोगों में गुस्से का माहौल देखने को मिल रहा है. स्थानीय लोग लगातार इस मामले को लेकर अपना आक्रोश जता रहे हैं. स्थानीय लोगों ने एक बार फिर दिल्ली के सुल्तानपुरी थाने का घेराव किया. इस दौरान वहां परिजनों समेत बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे.

पोस्टर और बैनर के माध्यम से प्रदर्शनकारियों ने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. प्रदर्शनकारियों ने आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा की मांग की. पोस्टर पर अंजलि को न्याय चाहिए, सरीखी लाइनें लिखी हुई थीं. प्रदर्शनकारियों ने इस मामले में हत्या से संबंधित धाराएं जोड़ने के लिए थाने में जाकर पुलिसकर्मियों से मुलाकात की. प्रदर्शन के दौरान लोग सड़क पर बैठ गए जिससे भारी जाम लग गया. इस कारण वाहन चालकों और राहगीरों को समस्याओं का सामना करना पड़ा. लोगों ने मंगोलपुरी वाई ब्लॉक से सुल्तानपुरी थाने तक मार्च भी निकाला.

कंझावला कांड के बाद लड़कियों-महिलाओं में डर का माहौल

साल 2023 की शुरुआत में हुए कंझावला कांड ने एक बार फिर से महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सोचने को मजबूर कर दिया है. राजधानी के अलग-अलग इलाके में रहने वाली कामकाजी लड़कियों और महिलाओं ने अपनी सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा करनी शुरू कर दी है. उनका कहना है कि निर्भया कांड के बाद लगने लगा था कि देश में महिला सुरक्षा को लेकर कुछ बदलाव आएगा लेकिन आए दिन जिस तरह से महिलाओं के साथ हिंसक घटनाएं हो रही हैं, उससे तो यही लगता है निर्भया कांड से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया है. छात्रा, वर्किंग गर्ल का कहना है कि घर से बाहर चाहे किसी काम से जाएं उन्हें डर लगता है. जॉब करनेवाली लाव्या इसके लिए सरकार को दोषी ठहरा रही हैं जबकि कानून की पढ़ाई करनेवाली गुनीत का कहना है कि घर से बाहर जाने में डर लगता है. उनके अनुसार निर्भया कांड एक अलर्ट था. तब भी सबक नही लिया गया. उनका कहना है कंझावला कांड का राजनीतिकरण शुरू हो गया है. अलग-अलग पार्टियां इसे मुद्दा बनाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लग गई हैं.

ये भी पढ़ें : दिल्ली कंझावला केस: कोर्ट ने आरोपियों को चार दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा

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लोगों ने सुल्तानपुरी थाने पर किया प्रदर्शन

नई दिल्ली: कंझावला हिट एंड रन मामले में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मृतक अंजलि को अंतिम विदाई दी गई. इस मामले में हर दिन नए खुलासे सामने आ रहे हैं. पीड़ित परिजन और स्थानीय लोगों में गुस्से का माहौल देखने को मिल रहा है. स्थानीय लोग लगातार इस मामले को लेकर अपना आक्रोश जता रहे हैं. स्थानीय लोगों ने एक बार फिर दिल्ली के सुल्तानपुरी थाने का घेराव किया. इस दौरान वहां परिजनों समेत बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे.

पोस्टर और बैनर के माध्यम से प्रदर्शनकारियों ने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. प्रदर्शनकारियों ने आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा की मांग की. पोस्टर पर अंजलि को न्याय चाहिए, सरीखी लाइनें लिखी हुई थीं. प्रदर्शनकारियों ने इस मामले में हत्या से संबंधित धाराएं जोड़ने के लिए थाने में जाकर पुलिसकर्मियों से मुलाकात की. प्रदर्शन के दौरान लोग सड़क पर बैठ गए जिससे भारी जाम लग गया. इस कारण वाहन चालकों और राहगीरों को समस्याओं का सामना करना पड़ा. लोगों ने मंगोलपुरी वाई ब्लॉक से सुल्तानपुरी थाने तक मार्च भी निकाला.

कंझावला कांड के बाद लड़कियों-महिलाओं में डर का माहौल

साल 2023 की शुरुआत में हुए कंझावला कांड ने एक बार फिर से महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सोचने को मजबूर कर दिया है. राजधानी के अलग-अलग इलाके में रहने वाली कामकाजी लड़कियों और महिलाओं ने अपनी सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा करनी शुरू कर दी है. उनका कहना है कि निर्भया कांड के बाद लगने लगा था कि देश में महिला सुरक्षा को लेकर कुछ बदलाव आएगा लेकिन आए दिन जिस तरह से महिलाओं के साथ हिंसक घटनाएं हो रही हैं, उससे तो यही लगता है निर्भया कांड से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया है. छात्रा, वर्किंग गर्ल का कहना है कि घर से बाहर चाहे किसी काम से जाएं उन्हें डर लगता है. जॉब करनेवाली लाव्या इसके लिए सरकार को दोषी ठहरा रही हैं जबकि कानून की पढ़ाई करनेवाली गुनीत का कहना है कि घर से बाहर जाने में डर लगता है. उनके अनुसार निर्भया कांड एक अलर्ट था. तब भी सबक नही लिया गया. उनका कहना है कंझावला कांड का राजनीतिकरण शुरू हो गया है. अलग-अलग पार्टियां इसे मुद्दा बनाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लग गई हैं.

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