नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को अंग प्रत्यारोपण के मामले में टाइमलाइन तय करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा है कि अंग प्रत्यारोपण के लिए मिले आवेदन पर अथॉराइजेशन कमेटी 10 दिनों के अंदर विचार करें और अंगदान की पूरी प्रक्रिया छह से आठ हफ्ते में पूरी होनी चाहिए.
हाईकोर्ट ने कहा कि टाइमलाइन का पालन नहीं होने से अंग प्रत्यारोपण पर फैसला करने में दो से तीन साल तक लग जाता है और इससे अंग प्रत्यारोपित कराने वाले और अंगदान करने वाले दोनों की परेशानी बढ़ती है. हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन आर्गन्स एंड टिशूज रुल्स के तहत जारी प्रोटोकॉल को प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत है. ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य के अधिकार के लिए भी जरूरी है.
कोर्ट ने कहा कि कोई भी कानून जो मानवीय गरिमा को कम करता है वो जीवन के अधिकार का आंशिक रूप से उल्लंघन करता है. इसलिए ऐसे अवरोध को दूर करने की जरूरत है. हाईकोर्ट ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के लिए मिले आवेदन की प्रोसेसिंग 10 दिनों के अंदर होनी चाहिए. इसके बाद अंग प्रत्यारोपित कराने वाले और अंगदान करने वाले दोनों के दस्तावेजों के वेरिफिकेशन में 14 दिनों से ज्यादा नहीं लगना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि अंग प्रत्यारोपित कराने वाले और अंगदान करने वाले को जरूरी दस्तावेजों के बारे में नियम के मुताबिक सूचित किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के लिए मिले आवेदन की तिथि से 4 से 6 हफ्ते के अंदर दोनों पक्षों का इंटरव्यू तय किया जाना चाहिए. अथॉराइजेशन कमेटी ये इंटरव्यू एक या दो बार कर सकती है और उस इंटरव्यू में दोनों के परिवार के सदस्यों से भी बात की जानी चाहिए. कोर्ट ने साफ किया कि पूरी प्रक्रिया 6 से 8 हफ्ते के अंदर पूरी होनी चाहिए. इसके अलावा अगर अथॉराइजेशन कमेटी के फैसले के खिलाफ कोई अपील करता है तो उस पर 30 दिनों के अंदर फैसला होना चाहिए.
दरअसल, हाईकोर्ट में 2020 में बरेली के अमर सिंह भाटिया नामक व्यक्ति ने याचिका दायर कर गंगाराम अस्पताल की ओर से जल्द फैसला नहीं करने को चुनौती दी थी. अमर सिंह भाटिया को किडनी ट्रांसप्लांट करने की जरूरत थी. अमर सिंह की मौत हाईकोर्ट में केस लंबित रहने के दौरान ही अप्रैल 2021 को मौत हो गई.
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