नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में स्थित भलस्वा इलाके में डीडीए की बहुत सुंदर और अनोखी झील है. जोकि दिल्ली की सुंदरता को चार चांद लगाती है. वहीं दूसरी ओर भलस्वा गांव में बनी भैंसों की डेरियों का गोबर और मूत्र भलस्वा झील की सुंदरता को दागदार कर रहा है.
डीडीए ने साल 1982 में एशियाड खेलों के दौरान इस झील को पुनर्जीवित किया था. ये झील करीब 25 एकड़ में फैली हुई है. एशियाई खेलों के समय इस झील में नौकायान की कई प्रतियोगिताएं भी हुई थी.
भलस्वा झील में होती है प्रतियोगिताएं
भलस्वा झील में समय-समय पर कई प्रतियोगिताएं होती रहती है, लेकिन अब भलस्वा झील का पानी बदबूदार और गंदा हो गया है. जिसकी वजह से यहां पर आने वाले सैलानी और मॉर्निंग और इवनिंग वॉक के लिए आने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है.
अधिकारियों से की शिकायत
भलस्वा झील के कर्मचारियों ने कई बार भलस्वा गांव में बनी भैंसों की डेयरी से आने वाले गोबर और मूत्र की वजह से झील के गंदे होने की शिकायत अपने अधिकारियों से की है. लेकिन अधिकारियों ने भी कभी डेयरी मालिकों से बात करने की हिम्मत नहीं की.
'डेयरी मालिकों का चलता है राज'
लोगों का आरोप है कि डेयरी मालिकों का इलाके में एकछत्र राज चलता है. अधिकारी तो झील पर बने कार्यालय में आते ही नहीं है. झील की देखरेख करने वाले चौकीदार किसी तरह से अपनी नौकरी बचा रहे हैं.
दागदार हो रही झील
आलम ये है कि डेयरी मालिकों ने अपनी भैंसों का गोबर और मूत्र के लिए झील की चार दिवारी तोड़कर झील के अंदर जाने का रास्ता बनाया हुआ है. डेयरी मालिक भैंसा बुग्गी में गोबर लादकर लाते हैं और झील के अंदर डाल देते हैं. जिसकी वजह से भलस्वा झील की सुंदरता दागदार हो रही है.