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किराड़ीः काम नहीं मिलने के कारण दिहाड़ी मजदूर परेशान - लाॅकडाउन का असर

कोरोना महामारी ने डेली वेज मजदूरों की जिंदगी संकट में खड़ा कर दिया है, दिहाड़ी मजदूरों के लिए दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करना और घर का किराया निकालना भी मुश्किल हो रहा है.

daily laborers facing problem due to lack of work in kirari
किराड़ी लेबर
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Published : Oct 3, 2020, 10:10 PM IST

नई दिल्लीः कोरोना महामारी के बीच किराड़ी विधानसभा के दिहाड़ी मजदूरों को काम नहीं मिलने के कारण मायूस होकर लौटना पड़ता है. मजदूरों के लिए परिवार के लिए दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल हो रहा है. मजदूरों का कहना है रोजाना सुबह नाग मंदिर पर 6 बजे आ जाते हैं. कई-कई दिन हो जाते हैं काम नहीं मिलता है. हफ्ते में दो दिन ही काम मिल पाता है, उसी से परिवार का पालन पोषण करते हैं.

काम नहीं मिलने के कारण दिहाड़ी मजदूर परेशान

'दिल्ली सरकार की योजनाओं का मिला लाभ'

दिहाड़ी मजदूर धर्मवीर ने बताया कि लाॅकडाउन ने गरीब लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है. काम ना होने की वजह से पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर खड़ा हो गया है. उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार की कुछ योजनाओं की वजह से परिवार का खर्चा चल पाया, नहीं तो भूखे मरने की नौबत खड़ी हो गई थी.

एक अन्य मजदूर नरेश कुमार ने बताया कि वह एक कंपनी में फील्ड वर्क का काम करता था. नौकरी छूटने की वजह से मजदूर का काम करने के लिए रोजाना आता हूं. हफ्ते में दो से 3 दिन ही काम मिलता है, जिससे परिवार का खर्चा बहुत मुश्किल से चल पाता है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी को देखते हुए लोग काम नहीं दे रहे हैं. कोरोना का डर अभी भी लोगों के मन में बना हुआ है.

नई दिल्लीः कोरोना महामारी के बीच किराड़ी विधानसभा के दिहाड़ी मजदूरों को काम नहीं मिलने के कारण मायूस होकर लौटना पड़ता है. मजदूरों के लिए परिवार के लिए दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल हो रहा है. मजदूरों का कहना है रोजाना सुबह नाग मंदिर पर 6 बजे आ जाते हैं. कई-कई दिन हो जाते हैं काम नहीं मिलता है. हफ्ते में दो दिन ही काम मिल पाता है, उसी से परिवार का पालन पोषण करते हैं.

काम नहीं मिलने के कारण दिहाड़ी मजदूर परेशान

'दिल्ली सरकार की योजनाओं का मिला लाभ'

दिहाड़ी मजदूर धर्मवीर ने बताया कि लाॅकडाउन ने गरीब लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है. काम ना होने की वजह से पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर खड़ा हो गया है. उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार की कुछ योजनाओं की वजह से परिवार का खर्चा चल पाया, नहीं तो भूखे मरने की नौबत खड़ी हो गई थी.

एक अन्य मजदूर नरेश कुमार ने बताया कि वह एक कंपनी में फील्ड वर्क का काम करता था. नौकरी छूटने की वजह से मजदूर का काम करने के लिए रोजाना आता हूं. हफ्ते में दो से 3 दिन ही काम मिलता है, जिससे परिवार का खर्चा बहुत मुश्किल से चल पाता है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी को देखते हुए लोग काम नहीं दे रहे हैं. कोरोना का डर अभी भी लोगों के मन में बना हुआ है.

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