नई दिल्ली: राजधानी में लगातार दो दिन से हो रही बारिश से कई जगह सड़कें जलमग्न हो गई हैं. वहीं साल 2020 में झड़ौदा गांव से हिरनकी इलाके तक करोड़ों रुपये की लागत से बने 12 किलोमीटर लंबे पुस्ते में बारिश के चलते दरार आ गई है. इसकी जानकारी मिलते ही दिल्ली सरकार व फ्लड विभाग के अधिकारी मुआयना करने के लिए पुस्ते पर पहुंचे.
दरअसल पुस्ते के किनारे बारिश का पानी भरा हुआ है, जिससे पुस्ते के किनारे लगी मिट्टी गीली होकर कटने लगी ओर पुस्ते के किनारों पर कई मीटर लंबी दरार आ गई. ये दरार करीब तीन से चार इंच चौड़ी है और कई मीटर लंबी है. पुस्ते पर कई जगहों पर ऐसी दरारें आई है. इसके बाद पुस्ते पर आवाजाही बंद कर दी गई है और मौके पर सरकारी अधिकारी मौजूद हैं.
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के फ्लड विभाग द्वारा पुस्ते के चौड़ीकरण का काम किया गया था. इसमें कुल 36 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. इसके बावजूद पुस्ते में दरार आने के बाद इलाके के लोगों में दहशत है. अधिकारियों का कहना है कि पुस्ते के किनारों में आई दरार को रोकने के लिए पहले पानी को बाहर निकालने का इंतजाम किया जाएगा, तभी इसके हालात सुधरेंगे. ये पानी बड़े नालों में डाला जाएगा. साथ ही साथ, पुस्ते में दरार के लिए जगह-जगह पोस्टर आदि भी लगाए जाएंगे.
क्या होता है पुस्ता: पुस्त वह ईंट पत्थर मिट्टी आदि की ढलाई कर के बनाई जाने वाली संरचना है, जिसे क्षेत्र को नदी किनारे बनाया जाता है. ऐसी संरचनाएं अमूमन उन जगहों पर देखी जाती हैं जो नदी किनारे बसी हैं.
थाने में घुसा पानी: वहीं दूसरी तरफ बारिश के बाद दिल्ली के बुराड़ी थाने में करीब दो से तीन फीट पानी जमा हो गया. इससे यहां पुलिस अधिकारियों के कमरों में भी पानी जा पहुंचा, जिससे पुलिसकर्मी परेशान हुए. वहीं, दिक्कत की बात यह है कि यहां से पानी की निकासी का कोई रास्ता नहीं है. बारिश की वजह से कई फाइलें भी खराब हो गई और थाने में उनके बैठने के लिए जगह नहीं बची है. यहां ऐसा कोई कमरा नहीं बचा है जहां पानी न भरा हो. पुलिस अधिकारियों के बक्से व अलमारी सहित जरूरी कागजात भी पानी में डूबे हुए हैं.
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बता दें कि साल 2008 में इसे बुराड़ी चौकी से थाना बनाया गया था. तभी से इस इलाके में काम के बढ़े बोझ ओर बिल्डिंग की जरूरत को देखते हुए बिल्डिंग का काम शुरू करने की बात सामने आई. लेकिन अभी तक यह कागजों में ही दबी हुई है. यहां हर साल इसी तरह के हालात होते हैं, जिसके बावजूद अधिकारियों द्वारा इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा.
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