नई दिल्ली: 36 घंटे बाद बवाना नहर में डूबे रविंद्र का शव मिल गया है. 36 घंटे से रविंद्र के शव को गोताखोर और दिल्ली दमकल विभाग के कर्मचारी नहर में लगातार तलाश रहे थे, साथ में नहर किनारे पुलिस भी मौजूद थी. बावजूद इसके रविंद्र का शव नहीं मिल रहा था.
सोमवार से जारी था सर्च अभियान
बीते सोमवार शाम को सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया. जिसके बाद मंगलवार को पूरे दिन नहर के अंदर करीब 5 से 6 किलोमीटर की दूरी तक गोताखोरों ने गोते लगाए, कई बार बोट से जाल डालकर भी नहर में सर्चिंग की गई, लेकिन रविंद्र का शव नहीं मिला.
पैर फिसलने से नहर में डूब गया था रविंद्र
रविंदर सोमवार शाम को अपने चार दोस्तों के साथ बवाना नहर में खेड़ा पुल के पास नहाने के लिए आया था. पुरानी नहर में सब दोस्त नहा रहे थे. उसी दौरान रविंद्र का पांव फिसल गया. परिजनों के मुताबिक रविंदर को तैरना नहीं आता था और वो नहर में बह गया. इसके बाद तुरंत पुलिस, दमकल विभाग और परिजनों को सूचना दी गई थी. नहर में शव ढूंढने वाले गोताखोरों का कहना था कि 24 घंटे के बाद अक्सर शव फूल कर पानी के ऊपर आते हैं. उससे पहले चलती हुई नहर में शव मुश्किल ही मिल पाते हैं.
कई किलोमीटर दूर नहर के छोर पर मिला शव
आखिरकार 36 घंटे बाद करीब 5 से 7 किलोमीटर दूर जाकर हैदरपुर प्लांट के पास जहां नहर का अंतिम छोर है और वहां पर जाल में फंसा हुआ रविंद्र का शव मिला. रविंद्र के शव को गोताखोरों ने पुलिस को सौंप दिया. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए बाबासाहेब आंबेडकर अस्पताल की मोर्चरी में भिजवा दिया है और पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंपा जाएगा.
अक्सर होती है ऐसी घटनाएं
फिलहाल परिवार में गम का माहौल है, रविंद्र की दो छोटी-छोटी बेटियां भी है. इस नहर में डूबने की ये कोई पहली घटना नहीं है, अक्सर इस तरह की घटना होना आम बात हो गई है.