नई दिल्ली: एनसीआर क्षेत्र में पराली की समस्या बड़ा संकट बनती रही है. किसानों को पराली को जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखता, लेकिन पराली से खाद बनाने की तकनीक और पैदावार की फसल चुनने के तरीके पर थोड़ा और ध्यान दिया जाए तो पराली की समस्या का समाधान कुछ नया भी हो सकता है.
पप्पन सिंह बताते हैं कि कई सालों से लगातार बढ़ते प्रदूषण को लेकर सरकार किसानों के ऊपर नकेल कस रही है. भारी-भरकम जुर्माने की अगर सरकार समय पर किसानों को मशरूम जैसी वैकल्पिक फसलों को लेकर प्रोत्साहन दे तो समस्या का समाधान भी होगा और खेती-किसानी में फसलों को लेकर नए प्रयोग भी हो सकेगा.
पप्पन सिंह गहलोत बताते हैं कि हम पराली की समस्या खत्म कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए सरकार का सहयोग जरूरी है, लेकिन सहयोग की बात तो दूर मशरूम उत्पादकों से दिल्ली में कृषि का दर्जा ही छीन गया है.
पप्पन सिंह के अपने तो कुछ ही एकड़ खेत हैं, लेकिन वह दूसरों की जमीन किराए पर लेकर खेती करते हैं और पिछले कई सालों से इसी तरह मशरूम की खेती के लिए किसानों की पराली खरीदकर खाद बना रहे हैं. ऐसे में अब मशरूम उत्पादक पप्पन सिंह गहलोत भी अनोखे अंदाज में विरोध प्रदर्शन की सोच रहे हैं.
ऐसे में सवाल ये है कि सरकार आखिर मशरूम उत्पादकों की मदद क्यों नहीं कर रही. इस सवाल के जवाब में पप्पन सिंह का कहना है कि वो खुद कई बार पत्र लिख चुके हैं लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता.
ऐसे में सवाल ये उठता है कि हरियाणा और पंजाब की सरकारों पर पराली को लेकर निशाना साधने वाली केजरीवाल सरकार अपने प्रदेश में ही इन किसानों से बात क्यों नहीं कर रही.