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ग्राउंड रिपोर्ट: बवाना हुआ 'विराना', औधोगिक क्षेत्र में 70 फीसद कामकाज ठप्प - Ground report of Bawana area

दिल्ली का औधोगिक क्षेत्र बवाना का लगभग 70 फीसद कामकाज बंद पड़ा है. वहीं 30 फीसद फैक्ट्रियों में जहां उत्पादन हो रहा है उसमें अधिकांश चिकित्सा उपकरण बनाए जाते हैं.

Ground Report
ग्राउंड रिपोर्ट
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Published : Jul 14, 2020, 4:29 PM IST

नई दिल्ली: देश-दुनिया में कोरोना वायरस के दस्तक देने के बाद जिस तरह अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबक लेते हुए आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया. लोकल को वोकल बनाने की बात वे लगातार कह रहे हैं. मगर हालात ऐसे बने हुए हैं कि संसाधन के अभाव में औद्योगिक ईकाइयां आज दम तोड़ रही है. दिल्ली के 32 औद्योगिक क्षेत्रों में शामिल बवाना औद्योगिक क्षेत्र इन दिनों वीरान हो चुका है.

बवाना औधोगिक क्षेत्र का ग्राउंड रिपोर्ट



ऑटो पार्ट्स, मेडिकल इक्विपमेंट्स निर्माण के लिए मशहूर

दिल्ली बवाना औद्योगिक क्षेत्र में ऑटो पार्ट्स, मेडिकल इक्विपमेंट, हेवी मशीनरी और केमिकल का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है. यहां की फैक्ट्रियों में तैयार उत्पादों की मांग दिल्ली ही नहीं देश-विदेश में है. लेकिन कोरोना को रोकने के लिए जो लॉकडाउन हुआ था और उसके बाद श्रमिकों का पलायन होने से बवाना औद्योगिक क्षेत्र में 70 फीसद फैक्ट्रियां आज भी बंद है.



औद्योगिक क्षेत्र में 30 फीसद चल रही फैक्ट्रियों में नहीं हो रहा उत्पादन

30 फीसद फैक्ट्रियों में जहां उत्पादन हो रहा है उसमें अधिकांश चिकित्सा उपकरण बनाए जाते हैं. जिसकी मांग आज अधिक है मगर श्रमिकों के अभाव में फैक्ट्रियों में सभी मशीन भी नहीं चल पा रही. तमाम फैक्ट्रियों के बाहर ताला लगा हुआ है. जो खुले हैं उसके बाहर बोर्ड लगा है जिस पर हेल्पर, सुपरवाइजर, टेक्नीशियन चाहिए ये लिखा है.


लॉकडाउन में 45 दिन बंद रहा था औद्योगिक क्षेत्र

फैक्टरी चलाने वाले कहते हैं, आज चिकित्सा उपकरणों की डिमांड अधिक है तो मशीन होते हुए भी बनाने के लिए लोग नहीं मिल रहे. लॉकडाउन के दौरान 45 दिन पूरा औधोगिक क्षेत्र बंद रहा था. जब खुला तो तब से आज तक इस औधोगिक क्षेत्र की रौनक नहीं लौटी है.

industrial area Bawana
बवाना इलाका



मांग-आपूर्ति में असंतुलन की संभावना

लॉकडाउन के 45 दिन बाद जब फैक्ट्रियां खुली तो उद्योगपतियों को लगा उन्हें राहत मिल गई. कामकाज शुरू होगा सब कुछ पटरी पर लौट आएगा. मगर एक महीने गुजरने के बाद भी औद्योगिक क्षेत्र में 50 फीसद भी उत्पादन नहीं हो रहा है इससे आने वाले समय में एक अलग तरह की और संतुलन कायम होने की संभावना हैं.


उद्योग बंद होने से वेतन और बिल देने में भी परेशानी

औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों को अपनी परेशानी है. क्योंकि उनकी फैक्ट्री मजदूरों के अभाव में बंद हैं, जो मजदूर काम कर रहे हैं उन्हें वेतन और खाना उन्हें अपनी जेब से देना पड़ रहा है ऊपर से बिजली, पानी का बिल वह मार रहा है.



बवाना औद्योगिक क्षेत्र में 11 हजार हैं फैक्ट्री

बवाना औद्योगिक क्षेत्र में करीब 11000 उद्यमी है जो यहां फैक्ट्री में अलग-अलग चीजों का उत्पादन करते हैं. इस क्षेत्र के देखरेख दिल्ली राज्य औद्योगिक विकास निगम के जिम्मे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री जब साहिब सिंह वर्मा थे, तब दिल्ली के आवासीय कॉलोनियों में चलाए जा रहे उद्योगों को बवाना औद्योगिक क्षेत्र में 100 से 250 गज के प्लॉट 2003 में आवंटित किए गए थे. इस आवंटन में शर्त थी कि आवासीय कॉलोनियों में जो उद्योग बंद किए गए थे. वहीं उद्योग बवाना में चलाए जाएंगे. उसके बाद बवाना औद्योगिक क्षेत्र अस्तित्व में आया था.

नई दिल्ली: देश-दुनिया में कोरोना वायरस के दस्तक देने के बाद जिस तरह अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबक लेते हुए आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया. लोकल को वोकल बनाने की बात वे लगातार कह रहे हैं. मगर हालात ऐसे बने हुए हैं कि संसाधन के अभाव में औद्योगिक ईकाइयां आज दम तोड़ रही है. दिल्ली के 32 औद्योगिक क्षेत्रों में शामिल बवाना औद्योगिक क्षेत्र इन दिनों वीरान हो चुका है.

बवाना औधोगिक क्षेत्र का ग्राउंड रिपोर्ट



ऑटो पार्ट्स, मेडिकल इक्विपमेंट्स निर्माण के लिए मशहूर

दिल्ली बवाना औद्योगिक क्षेत्र में ऑटो पार्ट्स, मेडिकल इक्विपमेंट, हेवी मशीनरी और केमिकल का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है. यहां की फैक्ट्रियों में तैयार उत्पादों की मांग दिल्ली ही नहीं देश-विदेश में है. लेकिन कोरोना को रोकने के लिए जो लॉकडाउन हुआ था और उसके बाद श्रमिकों का पलायन होने से बवाना औद्योगिक क्षेत्र में 70 फीसद फैक्ट्रियां आज भी बंद है.



औद्योगिक क्षेत्र में 30 फीसद चल रही फैक्ट्रियों में नहीं हो रहा उत्पादन

30 फीसद फैक्ट्रियों में जहां उत्पादन हो रहा है उसमें अधिकांश चिकित्सा उपकरण बनाए जाते हैं. जिसकी मांग आज अधिक है मगर श्रमिकों के अभाव में फैक्ट्रियों में सभी मशीन भी नहीं चल पा रही. तमाम फैक्ट्रियों के बाहर ताला लगा हुआ है. जो खुले हैं उसके बाहर बोर्ड लगा है जिस पर हेल्पर, सुपरवाइजर, टेक्नीशियन चाहिए ये लिखा है.


लॉकडाउन में 45 दिन बंद रहा था औद्योगिक क्षेत्र

फैक्टरी चलाने वाले कहते हैं, आज चिकित्सा उपकरणों की डिमांड अधिक है तो मशीन होते हुए भी बनाने के लिए लोग नहीं मिल रहे. लॉकडाउन के दौरान 45 दिन पूरा औधोगिक क्षेत्र बंद रहा था. जब खुला तो तब से आज तक इस औधोगिक क्षेत्र की रौनक नहीं लौटी है.

industrial area Bawana
बवाना इलाका



मांग-आपूर्ति में असंतुलन की संभावना

लॉकडाउन के 45 दिन बाद जब फैक्ट्रियां खुली तो उद्योगपतियों को लगा उन्हें राहत मिल गई. कामकाज शुरू होगा सब कुछ पटरी पर लौट आएगा. मगर एक महीने गुजरने के बाद भी औद्योगिक क्षेत्र में 50 फीसद भी उत्पादन नहीं हो रहा है इससे आने वाले समय में एक अलग तरह की और संतुलन कायम होने की संभावना हैं.


उद्योग बंद होने से वेतन और बिल देने में भी परेशानी

औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों को अपनी परेशानी है. क्योंकि उनकी फैक्ट्री मजदूरों के अभाव में बंद हैं, जो मजदूर काम कर रहे हैं उन्हें वेतन और खाना उन्हें अपनी जेब से देना पड़ रहा है ऊपर से बिजली, पानी का बिल वह मार रहा है.



बवाना औद्योगिक क्षेत्र में 11 हजार हैं फैक्ट्री

बवाना औद्योगिक क्षेत्र में करीब 11000 उद्यमी है जो यहां फैक्ट्री में अलग-अलग चीजों का उत्पादन करते हैं. इस क्षेत्र के देखरेख दिल्ली राज्य औद्योगिक विकास निगम के जिम्मे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री जब साहिब सिंह वर्मा थे, तब दिल्ली के आवासीय कॉलोनियों में चलाए जा रहे उद्योगों को बवाना औद्योगिक क्षेत्र में 100 से 250 गज के प्लॉट 2003 में आवंटित किए गए थे. इस आवंटन में शर्त थी कि आवासीय कॉलोनियों में जो उद्योग बंद किए गए थे. वहीं उद्योग बवाना में चलाए जाएंगे. उसके बाद बवाना औद्योगिक क्षेत्र अस्तित्व में आया था.

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