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Delhi Riots 2020: ताहिर हुसैन ने दिल्ली दंगा मामले में एफआईआर रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

दिल्ली दंगा मामले में पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है. इससे पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने उसपर कई धाराओं में आरोप तय किए थे.

Delhi riot case
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Published : May 16, 2023, 9:46 AM IST

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने फरवरी 2020 में यहां भड़की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान दंगे के अपराध में अपने खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी को रद्द करने की मांग को लेकर सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. हुसैन के वकील ने तर्क दिया कि वर्तमान मामले में सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है और उन्हीं कथित घटनाओं के संबंध में पहले से ही एक और प्राथमिकी दर्ज है.

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विकास महाजन ने दिल्ली पुलिस के वकील की अनुपलब्धता के कारण इस मामले को 25 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. ताहिर हुसैन के खिलाफ दिल्ली की अदालत में पहले से ही कई मामले दर्ज हो चुके है, जिसमें तीन साल पहले दिल्ली में हुए दंगों के मामले में पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और अन्य 10 लोगों के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोप तय कर दिए हैं. कोर्ट ने एमसीडी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और दस अन्य के खिलाफ साजिश, दंगा, हत्या और समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं.

दिल्ली की ही एक अदालत ने इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में यह फैसला दिया है. कोर्ट ने इस हत्या में ताहिर हुसैन की भूमिका को भी अहम माना है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयानों से स्पष्ट परिलक्षित होता है कि सभी आरोपी घटनास्थल पर मौजूद थे. कोर्ट ने कहा कि ताहिर ही उस समय भीड़ को उकसा रहा था और इस घटना के दौरान लोगों को निशाना बनाने के लिए कहा गया था.

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दंड प्रकिर्या संहिता की धारा 147, 148, 153A, 302 और 120बी के तहत मामला आरोप तय किए. कोर्ट ने कहा भीड़ लोगों और उनकी संपत्ति पर हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार की गई थी. ताहिर हुसैन ने भी लोगों को मारने और भीड़ को उकसाने की भूमिका निभाई. कोर्ट ने कहा कि जब अंकित भीड़ के सामने आया तो ताहिर हुसैन भीड़ को उकसाया था.

यह भी पढ़ें-Delhi Riots Case: कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगे के एक मामले में 3 आरोपियों को किया बरी

उस समय अदालत ने यह भी कहा कि, हुसैन निरंतर भीड़ की निगरानी कर रहा था और उन्हें निर्देश दे रहा था. यह सब एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाने के लिए किया गया. कोर्ट ने कहा, भीड़ में मौजूद सभी व्यक्ति एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाने के लक्ष्य से उसमें शामिल हुए थे. भीड़ लोगों को मारने और हानि पहुंचाने के स्पष्ट उद्देश्य से काम कर रही थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी के खिलाफ मौजूद प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि ताहिर दंगा करने, लोगों की संपत्ति को नष्ट करने और उनको हानि पहुंचाने वाले आपराधिक षड़यंत्र में शामिल था.

यह भी पढ़ें-Delhi Riots 2020: मारपीट कर राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करने के मामले में चश्मदीद का बयान दर्ज करने का आदेश

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने फरवरी 2020 में यहां भड़की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान दंगे के अपराध में अपने खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी को रद्द करने की मांग को लेकर सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. हुसैन के वकील ने तर्क दिया कि वर्तमान मामले में सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है और उन्हीं कथित घटनाओं के संबंध में पहले से ही एक और प्राथमिकी दर्ज है.

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विकास महाजन ने दिल्ली पुलिस के वकील की अनुपलब्धता के कारण इस मामले को 25 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. ताहिर हुसैन के खिलाफ दिल्ली की अदालत में पहले से ही कई मामले दर्ज हो चुके है, जिसमें तीन साल पहले दिल्ली में हुए दंगों के मामले में पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और अन्य 10 लोगों के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोप तय कर दिए हैं. कोर्ट ने एमसीडी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और दस अन्य के खिलाफ साजिश, दंगा, हत्या और समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं.

दिल्ली की ही एक अदालत ने इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में यह फैसला दिया है. कोर्ट ने इस हत्या में ताहिर हुसैन की भूमिका को भी अहम माना है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयानों से स्पष्ट परिलक्षित होता है कि सभी आरोपी घटनास्थल पर मौजूद थे. कोर्ट ने कहा कि ताहिर ही उस समय भीड़ को उकसा रहा था और इस घटना के दौरान लोगों को निशाना बनाने के लिए कहा गया था.

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दंड प्रकिर्या संहिता की धारा 147, 148, 153A, 302 और 120बी के तहत मामला आरोप तय किए. कोर्ट ने कहा भीड़ लोगों और उनकी संपत्ति पर हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार की गई थी. ताहिर हुसैन ने भी लोगों को मारने और भीड़ को उकसाने की भूमिका निभाई. कोर्ट ने कहा कि जब अंकित भीड़ के सामने आया तो ताहिर हुसैन भीड़ को उकसाया था.

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उस समय अदालत ने यह भी कहा कि, हुसैन निरंतर भीड़ की निगरानी कर रहा था और उन्हें निर्देश दे रहा था. यह सब एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाने के लिए किया गया. कोर्ट ने कहा, भीड़ में मौजूद सभी व्यक्ति एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाने के लक्ष्य से उसमें शामिल हुए थे. भीड़ लोगों को मारने और हानि पहुंचाने के स्पष्ट उद्देश्य से काम कर रही थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी के खिलाफ मौजूद प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि ताहिर दंगा करने, लोगों की संपत्ति को नष्ट करने और उनको हानि पहुंचाने वाले आपराधिक षड़यंत्र में शामिल था.

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