नई दिल्लीः देश की राजधानी समेत पूरे भारत में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. वहीं लॉकडाउन की वजह से लोगों ने अपने-अपने गांव भी जाना शुरू कर दिया है. वहीं लॉकडाउन के ऐलान के बाद से ही मस्जिद, मंदिर, गुरुद्वारों पर तालाबंदी है और लोगों से घरों पर ही नमाज पढ़ने की अपीलें की जा रही थी.
ऐलान पहले से ही किए गए थे ऐसे में कोई भी नमाज पढ़ने के लिए मस्जिदों में नहीं पहुंचा. मस्जिदों में मौजूद इमाम, मौअज्जिन और इक्का-दुक्का लोगों ने ही नमाज पढ़ी. हालांकि जुमे की नमाज घर में पढ़ने के लिए लोगों से कहा गया था कि सभी सिर्फ जोहर की नमाज ही पढ़ें.
बात की जाए उत्तर पूर्वी दिल्ली की तो, यहां जाफराबाद मैन रोड पर स्थित मदरसा बाबुल उलूम हो, सीलमपुर की जामा मस्जिद हो या फिर जाफराबाद की मदीना मस्जिद, किसी भी मस्जिद में जुमे की नमाज नहीं हुई, वैसे भी इस इलाके की ज्यादातर मस्जिदों पर पहले से ही साइन बोर्ड और पोस्टर लगाए दिए गए थे.
जुमे की नमाज के लिए कर दिए गए थे ऐलान
जुमे की नमाज के लिए पहले से ही मस्जिदों में ऐलान कर दिए गए थे कि कोरोना वायरस के चलते मस्जिदों में नमाज की इजाजत नहीं है. ऐसे में नमाज के लिए मस्जिदों में भीड़ किसी भी हालत में न लगाएं और सभी लोग अपने अपने घरों पर ही नमाज अदा करें. बाबुल उलूम मदरसे के इंचार्ज मौलाना मौहम्मद दाउद अमिनी ने बताया कि पहले से ही मस्जिदों में ऐलान कर दिया गया था, लिहाजा सभी लोग से आह्वान किया जाता है कि वे अपने अपने घरों पर ही रहें.
सड़कें व धार्मिक स्थल सुनसान
कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन ने न केवल सड़को को वीरान किया, बल्कि धार्मिक स्थलों को भी सुनसान कर दिया. दरअसल सरकार की एडवाइजरी के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे पूरी तरह से बंद हैं. जुमे की नमाज के लिए भी मस्जिदों के दरवाजे पूरी तरह से बंद रहे. देखना यह होगा कि लॉकडाउन में सोशल डिस्टेंस का यह मैनेजमेंट महामारी को रोकने में किस हद तक कारगर साबित होता है.