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त्रिकोणीय मुकाबले में जीत के बाद मनोज तिवारी खुश, क्या पार्टी देगी इनाम?

चुनाव जीतने के बाद मनोज तिवारी ने कहा जिस तरह क्षेत्र की जनता ने उन पर भरोसा किया और दोबारा रिकॉर्ड बहुमत से जिताया अब तो उनके शरीर का एक-एक कण और समय सब जनता को समर्पित है.

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Published : May 24, 2019, 11:20 AM IST

Updated : May 24, 2019, 2:59 PM IST

जीत के बाद मनोज तिवारी खुश

नई दिल्ली: इस बार के लोकसभा चुनाव और उनके परिणाम बेहद रोचक रहे. पिछली बार दिल्ली की सातों सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था. इस बार बीजेपी को शायद सत्ता विरोधी लहर का सामना करने से डर लग रहा था, इसलिए उन्होंने सात में से दो सीट पर अंतिम वक्त में अपने उम्मीदवार बदल दिए.

जीत के बाद मनोज तिवारी खुश

अंतिम वक्त में हुए बदलाव
बीजेपी ने इस बार पूर्वी दिल्ली सीट से गौतम गंभीर को तो उत्तर पश्चिमी सीट से हंस राज हंस को टिकट दिया था. जिसके बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई थी और तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे.

दिल्ली की सभी सातों सीट पर हुए त्रिकोणीय मुकाबले में जिस तरह पार्टी के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने न केवल अपनी सीट रिकॉर्ड बहुमत से जीती, बल्कि अन्य छह प्रत्याशियों को भी भारी मतों के अंतर से जितवाया. अब उन्हें इसके एवज में पार्टी क्या इनाम देती है. सब की नजर इस पर टिक गई है.

मनोज तिवारी ने उत्तरी पूर्वी संसदीय सीट से भारी मतों के अंतर से कांग्रेस के दिग्गज नेता तथा दिल्ली की तीन बार रह चुकी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर अपना कद काफी बड़ा कर लिया है.

शीला दीक्षित के चुनाव मैदान में उतरने से इस सीट पर हलचल काफी तेज हो गई थी. नतीजे अप्रत्याशित हो सकते थे मगर रिकॉर्ड बहुमत से मनोज तिवारी ने न केवल जीत दर्ज की, बल्कि अन्य संसदीय सीटों पर भी पार्टी उम्मीदवारों ने अच्छा काम किया.

अब चर्चा इस बात की शुरू हो गई है कि इसके एवज में पार्टी उन्हें कैसे सम्मानित करेगी. क्या बीजेपी उन्हें केंद्र में कोई जिम्मेदारी देगी या प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष का कार्यकाल जो चंद महीने में खत्म होने वाला है उसे दोबारा उनके ही नेतृत्व में रहने देगी.


जाहिर की खुशी
चुनाव जीतने के बाद मनोज तिवारी ने कहा जिस तरह क्षेत्र की जनता ने उन पर भरोसा किया और दोबारा रिकॉर्ड बहुमत से जिताया अब तो उनके शरीर का एक-एक कण और समय सब जनता को समर्पित है.

इस त्रिकोणीय मुकाबले में सफल तरीके से जिस तरह प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मनोज तिवारी ने काम किया है वह काबिले तारीफ है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी ने बड़े मतों से जीत दर्ज की थी.

तब उनके सामने कांग्रेस के पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रोफेसर आनंद कुमार के बीच मुकाबला हुआ था. मनोज तिवारी ने करीब डेढ़ लाख वोट से तब जीत दर्ज की थी.

नई दिल्ली: इस बार के लोकसभा चुनाव और उनके परिणाम बेहद रोचक रहे. पिछली बार दिल्ली की सातों सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था. इस बार बीजेपी को शायद सत्ता विरोधी लहर का सामना करने से डर लग रहा था, इसलिए उन्होंने सात में से दो सीट पर अंतिम वक्त में अपने उम्मीदवार बदल दिए.

जीत के बाद मनोज तिवारी खुश

अंतिम वक्त में हुए बदलाव
बीजेपी ने इस बार पूर्वी दिल्ली सीट से गौतम गंभीर को तो उत्तर पश्चिमी सीट से हंस राज हंस को टिकट दिया था. जिसके बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई थी और तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे.

दिल्ली की सभी सातों सीट पर हुए त्रिकोणीय मुकाबले में जिस तरह पार्टी के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने न केवल अपनी सीट रिकॉर्ड बहुमत से जीती, बल्कि अन्य छह प्रत्याशियों को भी भारी मतों के अंतर से जितवाया. अब उन्हें इसके एवज में पार्टी क्या इनाम देती है. सब की नजर इस पर टिक गई है.

मनोज तिवारी ने उत्तरी पूर्वी संसदीय सीट से भारी मतों के अंतर से कांग्रेस के दिग्गज नेता तथा दिल्ली की तीन बार रह चुकी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर अपना कद काफी बड़ा कर लिया है.

शीला दीक्षित के चुनाव मैदान में उतरने से इस सीट पर हलचल काफी तेज हो गई थी. नतीजे अप्रत्याशित हो सकते थे मगर रिकॉर्ड बहुमत से मनोज तिवारी ने न केवल जीत दर्ज की, बल्कि अन्य संसदीय सीटों पर भी पार्टी उम्मीदवारों ने अच्छा काम किया.

अब चर्चा इस बात की शुरू हो गई है कि इसके एवज में पार्टी उन्हें कैसे सम्मानित करेगी. क्या बीजेपी उन्हें केंद्र में कोई जिम्मेदारी देगी या प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष का कार्यकाल जो चंद महीने में खत्म होने वाला है उसे दोबारा उनके ही नेतृत्व में रहने देगी.


जाहिर की खुशी
चुनाव जीतने के बाद मनोज तिवारी ने कहा जिस तरह क्षेत्र की जनता ने उन पर भरोसा किया और दोबारा रिकॉर्ड बहुमत से जिताया अब तो उनके शरीर का एक-एक कण और समय सब जनता को समर्पित है.

इस त्रिकोणीय मुकाबले में सफल तरीके से जिस तरह प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मनोज तिवारी ने काम किया है वह काबिले तारीफ है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी ने बड़े मतों से जीत दर्ज की थी.

तब उनके सामने कांग्रेस के पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रोफेसर आनंद कुमार के बीच मुकाबला हुआ था. मनोज तिवारी ने करीब डेढ़ लाख वोट से तब जीत दर्ज की थी.

Intro:नई दिल्ली. दिल्ली की सातों लोकसभा सीट पर हुए चुनाव जितना रोचक था, परिणाम भी काफी रोचक रहा. पिछली बार दिल्ली की सातों सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी को इस बार सत्ता विरोधी लहर का सामना करने का डर सता रहा था. तो वही चुनाव मैदान में जिस तरह 7 सीटों में से 2 सीटों पर ऐन समय पर पर उम्मीदवार बदल दिए, इससे चुनाव काफी रोचक हो गया. इस चुनाव में पूर्वी दिल्ली सीट से गौतम गंभीर को उतार कर सबको पार्टी ने चौंका दिया था तो उत्तर पश्चिमी सीट से हंसराज हंस को टिकट देना भी चौंकाने वाला ही फैसला था. लेकिन नतीजे ने सभी आशंकाओं, दुविधाओं को खत्म कर दिया और सातों सीटें पार्टी की झोली में दोबारा आ गई.


Body:दिल्ली की सभी सातों सीटों पर हुए त्रिकोणीय मुकाबले में जिस तरह पार्टी के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने न केवल अपनी सीट रिकॉर्ड बहुमत से जीता, बल्कि अन्य छह प्रत्याशियों को भी भारी मतों के अंतर से जितवाया. अब उन्हें इसके एवज में पार्टी क्या इनाम देती है? सब की नजर इस पर टिक गई है.

उत्तरी पूर्वी संसदीय सीट से भारी मतों के अंतर से कांग्रेस के दिग्गज नेता तथा दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकी शीला दीक्षित को हराकर मनोज तिवारी ने अपना कद काफी बड़ा लिया. क्योंकि मनोज तिवारी के मुकाबले में शीला दीक्षित के चुनाव मैदान में उतरने से इस सीट पर चुनाव काफी रोचक हो गया था. नतीजे अप्रत्याशित हो सकते थे मगर रिकॉर्ड बहुमत से मनोज तिवारी ने न केवल जीत दर्ज की, अपनी सीट के साथ- साथ जिस तरह हुए दिल्ली की अन्य संसदीय सीटों पर भी पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में चुनाव प्रचार में उतरे थे और सभी सीटें जिताने में सफल रहे, चर्चा इस बात की शुरू हो गई है कि इसके एवज में क्या पार्टी इन है केंद्र में कोई जिम्मेदारी दे सकती है? या फिर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल जो चंद महीने में खत्म होने वाला है दोबारा मनोज तिवारी के नेतृत्व में ही पार्टी दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ने का उन्हें एक और टास्क देगी.

इस बाबत सवाल पूछे जाने पर मनोज तिवारी ने स्वयं तो कोई पत्ते नहीं खोले. उन्होंने कहा जिस तरह क्षेत्र की जनता ने उन पर भरोसा किया और दोबारा रिकॉर्ड बहुमत से जिताया अब तो उनके शरीर का एक-एक कण, समय सब जनता को समर्पित है. अपने क्षेत्र में विकास कार्यों की झड़ी लगाकर जनता के वोट के कर्ज को चुकाने की कोशिश करेंगे. पार्टी उनके बारे में क्या सोचती है यह इस बारे में उन्हें फिलहाल है उनके जेहन में कुछ नहीं है.


Conclusion:बता दें कि वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी 7 सीटें भाजपा ने जीती थी. उस चुनाव में भाजपा ने दिल्ली में सभी सीटों पर जीत कर कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था. मगर इस बार कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी भी चुनौती देने के लिए मैदान में थे.

इसलिए त्रिकोणीय मुकाबले सफल तरीके से जिस तरह प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मनोज तिवारी ने सामना किया यह काबिले तारीफ है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी ने बड़े मतों से जीत दर्ज की थी. तब उनके सामने कांग्रेस के पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल मैदान में थे. वहीं आम आदमी पार्टी के प्रोफेसर आनंद कुमार के बीच मुकाबला हुआ था मनोज तिवारी ने करीब डेढ़ लाख वोट से तब जीत दर्ज की थी.

समाप्त, आशुतोष झा
Last Updated : May 24, 2019, 2:59 PM IST
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