नई दिल्ली: इस बार के लोकसभा चुनाव और उनके परिणाम बेहद रोचक रहे. पिछली बार दिल्ली की सातों सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था. इस बार बीजेपी को शायद सत्ता विरोधी लहर का सामना करने से डर लग रहा था, इसलिए उन्होंने सात में से दो सीट पर अंतिम वक्त में अपने उम्मीदवार बदल दिए.
अंतिम वक्त में हुए बदलाव
बीजेपी ने इस बार पूर्वी दिल्ली सीट से गौतम गंभीर को तो उत्तर पश्चिमी सीट से हंस राज हंस को टिकट दिया था. जिसके बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई थी और तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे.
दिल्ली की सभी सातों सीट पर हुए त्रिकोणीय मुकाबले में जिस तरह पार्टी के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने न केवल अपनी सीट रिकॉर्ड बहुमत से जीती, बल्कि अन्य छह प्रत्याशियों को भी भारी मतों के अंतर से जितवाया. अब उन्हें इसके एवज में पार्टी क्या इनाम देती है. सब की नजर इस पर टिक गई है.
मनोज तिवारी ने उत्तरी पूर्वी संसदीय सीट से भारी मतों के अंतर से कांग्रेस के दिग्गज नेता तथा दिल्ली की तीन बार रह चुकी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर अपना कद काफी बड़ा कर लिया है.
शीला दीक्षित के चुनाव मैदान में उतरने से इस सीट पर हलचल काफी तेज हो गई थी. नतीजे अप्रत्याशित हो सकते थे मगर रिकॉर्ड बहुमत से मनोज तिवारी ने न केवल जीत दर्ज की, बल्कि अन्य संसदीय सीटों पर भी पार्टी उम्मीदवारों ने अच्छा काम किया.
अब चर्चा इस बात की शुरू हो गई है कि इसके एवज में पार्टी उन्हें कैसे सम्मानित करेगी. क्या बीजेपी उन्हें केंद्र में कोई जिम्मेदारी देगी या प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष का कार्यकाल जो चंद महीने में खत्म होने वाला है उसे दोबारा उनके ही नेतृत्व में रहने देगी.
जाहिर की खुशी
चुनाव जीतने के बाद मनोज तिवारी ने कहा जिस तरह क्षेत्र की जनता ने उन पर भरोसा किया और दोबारा रिकॉर्ड बहुमत से जिताया अब तो उनके शरीर का एक-एक कण और समय सब जनता को समर्पित है.
इस त्रिकोणीय मुकाबले में सफल तरीके से जिस तरह प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मनोज तिवारी ने काम किया है वह काबिले तारीफ है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी ने बड़े मतों से जीत दर्ज की थी.
तब उनके सामने कांग्रेस के पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रोफेसर आनंद कुमार के बीच मुकाबला हुआ था. मनोज तिवारी ने करीब डेढ़ लाख वोट से तब जीत दर्ज की थी.