नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे से जुड़े मामले में चार आरोपियो को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. ये चारों आरोपी 2020 के 25 फरवरी को अशोक नगर में हुए दंगे के मामले से जुड़े थे. दंगाइयों की भीड़ ने एक मौलाबख्श मस्जिद पर पथराव कर उसके निचले हिस्से में बनी 7 दुकानों में लूटपाट कर आग के हवाले कर दिया था.
चार लोगों को किया गया था गिरफ्तार: मामले की एफआईआर ज्योति नगर थाने में दर्ज हुई थी, जिसपर पुलिस वालों ने जांच के बाद चार लोगों को गिरफ्तार किया था. इन चारों के नाम राहुल कुमार, सूरज, योगेंद्र, नरेश उर्फ मोनू था. इन सभी आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. शिकायतकर्ता गुल मोहम्मद ने अपने बयान में कोर्ट को बताया कि उनकी किराये की दुकान मस्ज़िद के बाहरी हिस्से में बनी हुई थी.
इलाके में अचानक से दंगा भड़क गया और दंगाइयों की भीड़ ने मौलाबख्श मस्जिद के साथ उसमें बनी सात दुकानों में भी लूटपाट कर अगजनी कर दी थी. इसी मामले के एक पीड़ित विनोद ने अपनी गवाही में बताया कि दंगे भड़कने के दौरान जब वो अपनी दुकान पर उपस्थित थे तो उस समय सैकड़ो लोगो की भीड़ ने अचानक से हमला शुरू किया था. उन्होंने कहा था कि भीड़ में शामिल कई चेहरों को वो सामने आने पर पहचान भी लेगा.
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सबूतों से नहीं हुई पुष्टि: जांच अधिकारी एएसआई विजय कुमार के सामने शिकायत कर्ता गुल मोहम्मद ने गली नंबर 3 से आरोपी राहुल कुमार की पहचान की थी, जो कि उस समय दंगाइयों की भीड़ के साथ मिलकर पत्थर फेंक रहा था. इस मामले के अन्य आरोपियों को एएसआई देवेंद्र ने मुखबिर की गुप्त सूचना पर गिरफ्तार किया था, जिसमें आरोपी सूरज के घर से 8 जोड़े छोटे बच्चों के जूते भी बरामद हुए थे, जिसको आरोपी द्वारा उन्ही दुकानों से चुराया गया था, घटना की एक वायरल वीडियो में से आरोपी सूरज और योगिंदर की पहचान हुई थी और अन्य आरोपी नरेश को मस्ज़िद पर झंडा लगाने के आरोप में पकड़ा गया था.
मामले में बचाव पक्ष के वकीलों ने कोर्ट से कहा कि जांच अधिकारी इस एक ही वायरल वीडियो को दंगे से जुड़े पिछले कई मामलों में दिखा चुके है, जिससे जुड़े अन्य आरोपी कोर्ट द्वारा आरोपमुक्त कर दिए गए हैं. जिस सीसीटीवी फुटेज में इन आरोपीयों के नजर आने का दावा किया गया था, उस सीसीटीवी फुटेज को एफएसएल टीम की रिपोर्ट ने नकार दिया है. इसलिए सबूत के अभाव में इन सभी आरोपियों को आरोपमुक्त किया जाना चाहिए. अतरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने दोनों पक्षो की दलील सुनने के बाद इस मामले के सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए आरोपमुक्त कर दिया.
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