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राजनीतिक दल नहीं, मां-बहनों ने संभाली थी शाहीन बाग आंदोलन की कमान: मौलाना दाउद

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना दाउद अमीनी ने कहा कि शाहीन बाग में CAA-NRC बिल के खिलाफ होने वाला धरना प्रदर्शन पूरी तरह से गैर राजनीतिक था.

Jamiat Ulema-e-Hind targeted aap statemant on protest
मौलाना दाउद
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Published : Aug 22, 2020, 6:49 PM IST

नई दिल्लीः जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष ने 'आप' नेता के बयान पर हैरानी जताई है. उन्हों कहा कि राजनीतिक लाभ उठाने के लिए सीएए-एनआरसी आंदोलन को बीच में रखकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि शाहीन बाग में होने वाले धरना-प्रदर्शन की कमान किसी राजनीतिक दल ने नहीं, बल्कि महिलाओं ने संभाल रखी थी. जो लोग आज इसे लेकर सियासी हंथकंडे अपना रहे हैं, वह उस समय कहां गायब हो गए थे जब आंदोलनकारियों को उनकी जरूरत थी.

'मां-बहनों ने संभाली थी शाहीन बाग आंदोलन की कमान'

उन्होंने कहा कि शाहीन बाग में बैठने वाली महिलाओं का किसी भी राजनीतिक दल संबंध नहीं था. यहां तक कि कोई उनसे बात भी करता था, तो महिलाएं ही बातचीत करती थीं. उन्होंने किसी भी दल के नेताओं को आंदोलन में घुसने नहीं दिया. मौलाना दाउद ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और कानून के दायरे में रहकर विरोध-प्रदर्शन करने का अधिकार है.

'आंदोलन को कोई नहीं कर रहा था कमांड'

दाउद अमीनी ने कहा कि सच तो यह है कि कोई भी शख्स शाहीन बाग आंदोलन को कमांड नहीं कर रहा था. कुछ लोग महज राजनीतिक लाभ के लिए सियासी हंथकंडा अपना रहे हैं. उन्होंने कहा कि 'आप' के केजरीवाल उस समय कहां थे, जब आंदोलन चल रहा था. कोई वहां नहीं गया.

मौलाना दाउद ने कहा कि बाद में सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के एक दल को बातचीत के लिए भेजा गया. खुद गृह मंत्री अमित शाह ने भी दिल्ली विधानसभा चुनावों में इसे लेकर राजनीति की. उंन्होने तो यहां तक कह दिया कि ऐसा बटन दबाओ की झटका शाहीन बाग तक लगे, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ.

नई दिल्लीः जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष ने 'आप' नेता के बयान पर हैरानी जताई है. उन्हों कहा कि राजनीतिक लाभ उठाने के लिए सीएए-एनआरसी आंदोलन को बीच में रखकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि शाहीन बाग में होने वाले धरना-प्रदर्शन की कमान किसी राजनीतिक दल ने नहीं, बल्कि महिलाओं ने संभाल रखी थी. जो लोग आज इसे लेकर सियासी हंथकंडे अपना रहे हैं, वह उस समय कहां गायब हो गए थे जब आंदोलनकारियों को उनकी जरूरत थी.

'मां-बहनों ने संभाली थी शाहीन बाग आंदोलन की कमान'

उन्होंने कहा कि शाहीन बाग में बैठने वाली महिलाओं का किसी भी राजनीतिक दल संबंध नहीं था. यहां तक कि कोई उनसे बात भी करता था, तो महिलाएं ही बातचीत करती थीं. उन्होंने किसी भी दल के नेताओं को आंदोलन में घुसने नहीं दिया. मौलाना दाउद ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और कानून के दायरे में रहकर विरोध-प्रदर्शन करने का अधिकार है.

'आंदोलन को कोई नहीं कर रहा था कमांड'

दाउद अमीनी ने कहा कि सच तो यह है कि कोई भी शख्स शाहीन बाग आंदोलन को कमांड नहीं कर रहा था. कुछ लोग महज राजनीतिक लाभ के लिए सियासी हंथकंडा अपना रहे हैं. उन्होंने कहा कि 'आप' के केजरीवाल उस समय कहां थे, जब आंदोलन चल रहा था. कोई वहां नहीं गया.

मौलाना दाउद ने कहा कि बाद में सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के एक दल को बातचीत के लिए भेजा गया. खुद गृह मंत्री अमित शाह ने भी दिल्ली विधानसभा चुनावों में इसे लेकर राजनीति की. उंन्होने तो यहां तक कह दिया कि ऐसा बटन दबाओ की झटका शाहीन बाग तक लगे, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ.

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